कृपया ध्यान दें !

 

आज हमारे देश में सड़क हादसों का ग्राफ जिस रफ़्तार से बढ़ रहा है वह इस हकीकत को बताने के लिए काफी है कि सड़क सुरक्षा के प्रति हमारी सरकारें कितनी जिम्मेदार हैं। पिछले महीने हिमाचल प्रदेश और जम्मू में हुए बस हादसों में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। दोनों हादसों में एक समानता यह थी कि इन बसों में निर्धारित क्षमता से अधिक लोग सवार थे। वहीं दिल्ली-आगरा के बीच यमुना एक्सप्रेस-वे तो मौत के हाइवे में तब्दील हो चुका है। हाल ही में इस एक्सप्रेस-वे पर एक बस हादसे में 31 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे का कारण बस के ड्राइवर को झपकी आना बताया गया है। ऐसे हादसे देशभर में रोजाना हो रहे हैं और सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं। ज्यादातर हादसे वाहन चालकों की लापरवाही और चूक से होते हैं।

 

अब होगा इनसे निपटारा

 

एम्बुलेंस को जाम से निजात दिलायें

 

मोटर यान (संशोधन) विधेयक-2019 लोकसभा में पास हो गया है। इस विधेयक में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काफी सख्त प्रावधान रखे गये हैं। किशोर नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना, बिना लाइसेंस, खतरनाक ढंग से वाहन चलाना (स्टंट करना), शराब पीकर गाड़ी चलाना, निर्धारित सीमा से तेज गाड़ी चलाना और निर्धारित मानकों से अधिक लोगों को बिठाकर या अधिक माल लादकर गाड़ी चलाने जैसे नियमों के उल्लंघन पर कड़े जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसमें इमरजेंसी वाहनों को रास्ता नहीं देने पर 10 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। बिना बीमा पॉलिसी के वाहन चलाने पर भी जुर्माना रखा गया है। इसके साथ ही साथ बिना सीट बेल्ट लगाए या बिना हेलमेट पहने वाहन चलाने पर 1हजार रुपये का जुर्माना और तीन महीने के लिए लाइसेंस निलंबित किया जाना भी इसमें शामिल है। किशोर नाबालिग द्वारा गाड़ी चलाते हुये सड़क पर यदि कोई हादसा हो जाता है तो  ऐसी स्थिति में गाड़ी के मालिक अथवा अभिभावक को दोषी माना जायेगा और तीन साल की सजा के साथ 25 हजार रुपये तक का जुर्माना किया जाएगा। साथ ही वाहन का रजिस्ट्रेशन भी निरस्त कर दिया जाएगा। इस विधेयक में केंद्र सरकार के लिये मोटर वाहन दुर्घटना कोष के गठन की बात भी कही गई है, जो हमारे देश में सड़क का उपयोग करने वालों को अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगा। इस विधेयक में यातायात नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है, जिसका मुख्य कारण है कि हमारे देश में सड़क सुरक्षा और परिवहन संबंधी कायदे-कानून वर्षों से पुराने चले आ रहे हैं। इससे भी गंभीर बात यह है कि लोग इन नियम-कायदों को भी ताक पर रख कर चल रहे हैं। उनमे कानून का कोई भय नहीं रह गया है। इसका उदाहरण देश में जारी किये गए 35 फीसदी से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी हैं। जबकि हकीकत में यह आंकड़ा इससे भी ज्यादा निकलेगा। फर्जी लाइसेंस बनने का कारोबार जिस पैमाने पर होता है, वह आरटीओ दफ्तरों के भीतर हो रहे भ्रष्टाचार की पोल खोलने के लिए काफी है।

 

शराब पीकर गाडी चलाने का न सोचें तो बेहतर है

 

"अब नए विधेयक के लागू होने के साथ ही साथ ये भी ज्यादा जरूरी है कि कानून पर ईमानदारी से अमल सुनिश्चित कराने वाले तंत्र का भी कायाकल्प हो वरना ये कानून भी बस नाम का ही रह जायेगा।"


भड़ास अभी बाकी है...