कहीं 64 साल पहले की गलती का खामियाजा तो नहीं सोनभद्र कांड

यूपी का सोनभद्र जिला एकाएक चर्चा का केंद्र बन गया है। घोरावल तहसील के उम्भा गांव में 100 एकड़ जमीन पर कब्जे को लेकर गोलीबारी हुई जिसमें 10 लोग मारे गए और 28 लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद यूपी की सियासत गरमा गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पीड़ितों से मिलने के लिए सोनभद्र जा रही थीं। लेकिन वाराणसी के नारायणपुर से आगे प्रशासन ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया और चुनार गेस्ट हाउस में उन्हें रखा।

 

यूपी सरकार के इस कदम पर कांग्रेस हमलावर है और ये कह रही है कि योगी सरकार असुरक्षित है और वो विपक्ष के आवाज को दबाना चाहती है। इन सबके बीच प्रियंका गांधी ने कहा कि वो किसी भी कीमत पर सोनभद्र का दौरा करेंगी। लेकिन उनके यूपी की धरती पर कदम रखने से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने उम्भा की घटना के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया और 1955 के एक वाकये का जिक्र किया।

 

योगी आदित्यनाथ ने कहा सोनभद्र की इस घटना को 1955, 1989 और 2017 के संदर्भ में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1955 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय उम्भा ग्राम सभा की जमीन को आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी के नाम किया गया, जो नियमों के खिलाफ था। इतना ही नहीं 1989 में एक बार फिर कांग्रेस के शासन में ही आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी ने जमीन को व्यक्तिगत हाथों में बेच दिया जिसकी वजह से यह मामला उलझा रहा। जमीन के लेन-देन में कुछ प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल थे।

 

सोनभद्र काण्ड से सहमे लोग

 

1989 में जिस अधिकारी ने जमीन खरीदी थी उसने 2017 में उम्भा के ग्राम प्रधान को जमीन बेच दी। इसलिए जमीन पर कब्जा करने के लिए ग्राम प्रधान यज्ञदत्त अपने समर्थकों के साथ पहुंचा और आदिवासी समाज के लोगों से उलझ पड़ा जो सालों से खेती कर रहे थे। दरअसल इस भूमि के संबंध में कई मामले राजस्व न्यायालय में लंबित है। 

 

उम्भा की घटना के बाद सरकार ने राजस्व परिषद के अध्यक्ष की अगुवाई में तीन सदस्यों की समिति जांच कर रही है और इसके तह तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। जहां तक अलग-अलग राजनीतिक दलों के  सोनभद्र जाने की बात है उसमें सरकार को आपत्ति नहीं है लेकिन सोनभद्र में उस हत्याकांड के बाद धारा 144 लागू कर दिया गया था और उस धारा के तहत लोगों का मजमा नहीं लग सकता। क्या इस सच्चाई को जानते हुए कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने वहां का दौरा करने का कार्यक्रम बनाया? अगर हाँ तो यह राजनीति का एक विशुद्ध तरीका माना जा सकता है। 

 

क्या है सोनभद्र कांड ?

 

सोनभद्र उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा ज़िला है। यह देश का एकमात्र ऐसा ज़िला है जिसकी सीमा चार राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार से जुड़ती हैं। कैमूर की पहाड़ियों और जंगलों में बसे सोनभद्र इलाक़े में तक़रीबन 70 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। यहाँ के आदिवासी भी वन अधिकार क़ानून के तहत ज़मीन का मालिकाना हक पाने के लिए सरकारी हुक्मरानों के साथ निवेदन से लेकर विरोध तक कि सारी लड़ाईयाँ लड़ रहे हैं। लेकिन सरकारी हुक्मरान अपने फ़ायदे के लिए वनाधिकार क़ानून की बजाए जंगल के क़ानून की तरह बरताव करने लगते हैं। यानी कि जंगल में जो ज़्यादा मज़बूत है उन्हीं का राज चलता रहता है।

 

उम्भा गाँव में छाया मातम

 

ज़मींदारों की इस ज़मीन पर काफ़ी समस्या नज़र आ रही थी। वहां क़ानून को ताक पर रखकर 30 ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर गुर्जर समाज के प्रधान समेत 150 से अधिक लोग ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने पहुंचे। इस नरसंहार में बेखौफ़ दबंगों ने ज़मीन की ख़ातिर दिनदहाड़े ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर 10 लोगों की हत्या कर दी और 28 लोगों को ज़ख़्मी कर दिया। सोनभद्र के घोरावल क्षेत्र के उम्भा गांव में दो साल पहले ग्राम प्रधान यज्ञदत्त ने एक आईएएस अधिकारी से 100 एकड़ ज़मीन ख़रीदी थी। 


भड़ास अभी बाकी है...