किसी की ज़िन्दगी के साथ खेलना इतना आसान क्यों हैं ??

 

जवानी, ज़िंदगी का वो पड़ाव जब शरीर में कुछ करने का जज़्बा तो होता ही है उसे पूरा करने की ताक़त और ऊर्जा भी होती है। लेकिन अगर किसी की जवानी जेल की दीवरों के भीतर क़ैदी बनकर गुज़र जाए, फिर दो दशक बीतने के बाद एक दिन उसे रिहा कर दिया जाए और बताया जाए कि पर्याप्त सुबूत नहीं मिले, इसलिए उसे रिहा किया जाता है। इस स्थिति को आप क्या नाम देना चाहेंगें।


वैसे तो यह नि:शब्द है लेकिन शब्दों के माध्यम से इसका व्याख्यान भी आवश्यक है, क्योंकि ऐसा ही कुछ हुआ है 57 साल के अब्दुल गनी गोनी के साथ जिन्होंने  अपनी ज़िंदगी के 23 साल जेल में गुजारे हैं। इसकी वजह तीन राज्यों की पुलिस की ओर से लगाए गए वे आरोप हैं, जिन्हें वह ट्रायल के दौरान साबित करने में नाकाम रही। इसके बावजूद अब्दुल का भारतीय कानून व्यवस्था में भरोसा कायम है। उनका कहना है, 'आखिर क्यों न हो? अगर बुरे लोग हैं तो अच्छे और ईमानदार लोग भी हैं। बुरे लोग कम हैं लेकिन वे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। अच्छे और ईमानदार लोगों को बुरे लोग काम नहीं करने देते।'


अब्दुल का कहना है कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ भ्रष्ट लोग ही बड़े पदों पर काबिज होते हैं। ईमानदार लोगों को भी मौका मिलता है। अब्दुल ने 1996 में गुजरात एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अपने साथ हुए जुल्मों की कहानी बयां की है। उनकी यह लंबी तकलीफ मंगलवार को उस वक्त खत्म हुई, जब 23 साल बाद उन्हें जयपुर सेंट्रल जेल से रिहा किया गया।


अब्दुल को समलेती ब्लास्ट केस में राजस्थान हाई कोर्ट ने बरी किया है। हाई कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष साजिश के सबूत पेश करने में नाकाम रहा। साथ ही आरोपियों और मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद के बीच लिंक साबित करने में भी असफल रहे। अब्दुल हमीद की मौत की सजा बरकरार रखी गई।

 


 

कश्मीर के भादरवाह कस्बे के रहने वाले गोनी का कहना है कि अल्लाहवाले नाम के संगठन से जुड़े थे। उनके मुताबिक, यह संगठन धर्म के बारे में लोगों को जानकारी देता है। उन्होंने बताया कि इस संगठन के काम से ही वह 1996 में दिल्ली स्थित बंगलावाली मस्जिद गए थे। इसके बाद 10 से 15 लोगों के साथ विशाखापत्तनम भी गए। वहां 40 दिन बिताने के बाद वे दिल्ली आ रही समता एक्सप्रेस में सवार हुए। उनके अनुसार कुछ लोग ट्रेन में चढ़े और उन्होंने यात्रियों से उनके नाम पूछे। यह जानने के बाद कि वह कश्मीर से हैं, उन्होंने उसे हिरासत में ले लिया और आंखों पर पट्टी भी बांध दी। अब्दुल के मुताबिक, 'अगली सुबह, मुझे पता चला कि मैं अहमदाबाद स्थित शाही बाग एटीएस दफ्तर हूं। सवाल-जवाब के बाद उन्हें एहसास हुआ कि मैं निर्दोष हूं। कश्मीर के भादरवाह कस्बे के रहने वाले गोनी का कहना है कि अल्लाहवाले नाम के संगठन से जुड़े थे। उनके मुताबिक, यह संगठन धर्म के बारे में लोगों को जानकारी देता है। उन्होंने बताया कि इस संगठन के काम से ही वह 1996 में दिल्ली स्थित बंगलावाली मस्जिद गए थे। इसके बाद 10 से 15 लोगों के साथ विशाखापत्तनम भी गए। वहां 40 दिन बिताने के बाद वे दिल्ली आ रही समता एक्सप्रेस में सवार हुए।


अब्दुल के मुताबिक कुछ लोग ट्रेन में चढ़े और उन्होंने यात्रियों से उनके नाम पूछे। यह जानने के बाद कि वह कश्मीर से हैं, उन्होंने उसे हिरासत में ले लिया और आंखों पर पट्टी भी बांध दी। अब्दुल के मुताबिक, 'अगली सुबह, मुझे पता चला कि मैं अहमदाबाद स्थित शाही बाग एटीएस दफ्तर में हूँ। एक युवा पुलिसवाले ने मुझे रिहा करने के लिए कहा। लेकिन, एक डिप्टी एसपी ने अधिकारियों से कहा कि मुझे एक दिन के लिए रोका जाए। दिल्ली में (लाजपत नगर) धमाके हुए थे और उन्हें फंसाने के लिए किसी कश्मीरी की तलाश थी।’

 

 

अब्दुल के मुताबिक, उन्हें गैरकानूनी ढंग से हिरासत में ही रखा रहा गया। इसके अलावा, जज के सामने पेश किए बिना ही 14 दिन तक पुलिस रिमांड में रखा गया। उन्होंने कहा, ‘वे मुझे पाकिस्तानी नागरिक दिखाना चाहते थे। वे मुझे साबरमती जेल भेजने की इतनी जल्दी में थे कि उन्होंने चार्जशीट पर न तो मेरे हस्ताक्षर नहीं लिए और न ही मेरा कथित बयान दर्ज किया।’ अब्दुल के मुताबिक, अधिकारी जानते हैं कि वह निर्दोष हैं लेकिन असली दोषियों को पकड़ने तक उन्हें हिरासत में ही रखा गया। वहीं, जब वह साबरमती जेल पहुंचे, इसके कुछ घंटे बाद ही उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर राजस्थान भेज दिया गया।

 

अब्दुल ने बताया कि राजस्थान में उन पर दो केस लगाए गए। एक जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में हुए धमाके का और एक समलेती गांव में बस में हुए ब्लास्ट का। हर केस में 14 दिन की पुलिस रिमांड मांगी गई। उन्हें 28 दिन हिरासत में रखा गया लेकिन कोई सवाल नहीं पूछा गया। अब्दुल ने कहा,‘उन्होंने मुझे किसी आईजी राठौड़ के सामने पेश किया। उन्होंने अपने दफ्तर में मुझे चाय पिलाई और कहा कि वह जानते हैं कि मैं निर्दोष हूं। उन्होंने यह भी कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि मुझे फंसाया न जाए।’


भड़ास अभी बाकी है...