नॉन स्मोकर्स पर हावी आबोहवा....

  • 50 प्रतिशत लंग कैंसर के मरीज़ है नॉन स्मोकर्स।
  • 9 सिगरेट पीने के बराबर है आज के वातावरण हमारा में सांस लेना।
  • 1 सिगरेट जलकर खुद के साथ ख़त्म करती है आपकी जिंदगी के 11 मिनट।
  • हर साल 60 हजार नए लंग कैंसर के केस आ रहे है हॉस्पिटल्स में। 


अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं और आपको लगता है कि आपको कभी फेफड़ों का कैंसर नहीं हो सकता, तो ये आपकी बहुत बड़ी गलतफहमी हैं। लंग कैंसर पर हुई स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक ये बीमारी अब उन लोगों को बहुत तेज़ी से शिकार बना रही है, जो सिगरेट नहीं पीते। आपके आस-पास की हवा इतनी ज़हरीली हो चुकी है कि उसमें सांस लेना, हर रोज़ 9 सिगरेट पीने के बराबर है। कैंसर का ये कांटा हमारे देश/प्रदेश/शहरों में रहने वाले हर इंसान की सांसों में अटका हुआ है।

 

एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में 50 प्रतिशत फेफ़ड़े के कैंसर के मरीज़....नॉन स्मोकर यानी सिगरेट न पीने वाले लोग हैं। आश्चर्य की बात ये है कि इनमें से 30 प्रतिशत मरीज़ इस बीमारी की शुरूआत में टीबी यानी ट्यूबरक्‍युलोसिस का इलाज करवाते हैं। क्योंकि सिगरेट न पीने की वजह से उन्हें लंग कैंसर का ख़तरा महसूस नहीं होता है। जब इन मरीज़ों को इस कैंसर के बारे में पता चलता है तो वो अपने डॉक्टर से सबसे पहले यही पूछते हैं कि सिगरेट न पीने के बाद भी ये बीमारी कैसे हो गई। आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर की एक स्टडी के मुताबिक जिन लोगों के घर सड़क के आसपास होते हैं, उनमें इस बीमारी का ख़तरा बढ़ जाता है। 

 

सड़क पर गुज़रते वाहनों की वजह से शहर में रहने वाले लोगों की सांसों में लगातार क्रोमियम और निकेल जैसे ज़हरीले पदार्थ मिल जाते हैं जिससे ईसीआर यानी कैंसर की सम्भावनाये बढ़ जाती है। इसके अलावा गाड़ियों के धुएं के साथ निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड्स और सड़क की धूल में मिले हुए आयरन और जिंक जैसे पदार्थ...फेफड़ों के कैंसर का कारण बन जाते हैं। दुःख की बात ये हैं कि इस समस्या को रोकने का उपाय हमारे सिस्टम के पास नहीं है।

 

 

एक रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में हर साल लंग कैंसर के 60 हज़ार नए मामले सामने आते हैं। इनमें से 50 प्रतिशत मामलों में कैंसर की वजह है आसपास का प्रदूषण।



उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश के शहरों की हवा में फैले प्रदूषण में सांस लेने का मतलब है हर रोज़ 9 सिगरेट पीना। सर्दियों के मौसम में यूपी में वायु गुणवत्ता इंडेक्स...360 से ऊपर पहुंचना एक सामान्य बात है। लेकिन इस ज़हरीली हवा में सांस लेना 20 से 25 सिगरेट पीने के बराबर है। अब आप समझ सकते हैं कि हमारे देश/प्रदेश/शहर में फैला वायु प्रदूषण कैसे हम सभी को बीमार बना रहा है।इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016-17 में लंग कैंसर की वजह से 23 हज़ार 429 लोगों की मौत हुई थी। 

 

हमारे देश में ज़्यादातर लोग लंग कैंसर को सिर्फ़ सिगरेट पीने से जोड़ देते हैं लेकिन इस रिपोर्ट को देखकर लगता है कि सिगरेट ना पीने वालों के ऊपर भी इस बीमारी की तलवार लटक रही है। अगर आपको लग रहा है कि आप कई वर्षों से सिगरेट पी रहे हैं और आपको अब तक कोई नुकसान नहीं हुआ है तो हम आपको बता दें कि एक सिगरेट आपकी जिंदगी से 11 मिनट कम कर देती है सिगरेट पीने वालों को लंग कैंसर के अलावा कई दूसरी गंभीर बीमारियों का ख़तरा भी रहता है। ऐसे में  लोग अगर चाहें तो मज़बूत इच्छाशक्ति की मदद से सिगरेट छोड़ भी सकते हैं। 

 

 

आज जनमानस भड़ास ने अपने व्यूवर्स को सावधान करने के लिए इस गंभीर बीमारी पर एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसे हमारे व्यूवर्स को अपने पूरे परिवार के साथ देखना चाहिए और अपने रिलेटिव्स को भी शेयर करना चाहिए।


भड़ास अभी बाकी है...