मजबूत इरादों और हौसलों की उड़ान थीं सुषमा स्वराज...

भारत की पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की नेत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया है। बताया जा रहा है कि सुषमा स्वराज को कार्डिक अरेस्ट आया था, जिसके बाद उन्हें नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। पांच डॉक्टरों की टीम सुषमा स्वराज का इलाज कर रहे थे, स्वराज की हालात बेहद गंभीर बताई जा रही थी। सुषमा स्वराज के निधन की खबरे मिलते ही राजनीतिक जगत में शोक की लहर है। सुषमा स्वराज के निधन की खबर मिलते ही भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता एम्स अस्पताल पहुंच रहे। नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, राजनाथ सिंह जैसे भाजपा नेता एम्स अस्पताल पहुंच गए है। कांग्रेस पार्टी ने भी सुषमा स्वराज के निधन पर दुख जताया है।

 

वर्ष 2016 में सुषमा स्वराज ने किडनी ट्रांसप्लांट कराया था। सुषमा स्वराज ने अस्वस्थता के कारण ही पिछला लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था।उनके इस निर्णय पर बीजेपी के ही समर्थकों में हैरानी थी।कई लोगों ने उनसे चुनाव लड़ने की अपील की थी।इस पर सुषमा स्वराज ने जवाब दिया था कि- मेरे चुनाव ना लड़ने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। श्री नरेंद्र मोदी को पुनः प्रधानमंत्री बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने में हम सब जी जान लगा देंगे। सुषमा स्वराज ट्विटर पर काफी सक्रिय रहती थीं। विदेश मंत्री रहते हुए वे ट्वीटर पर शिकायत मिलते ही विदेश मंत्रालय से जुड़ीं पासपोर्ट आदि समस्याओं का समाधान कर देती थीं।

जीवन परिचय

 

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को श्री हरदेव शर्मा और श्रीमती लक्ष्मी देवी के यहाँ अंबाला छावनी में हुआ था। इनके पिता श्री हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रतिष्ठित सदस्य थे। इन्होंने राजनीति विज्ञान और संस्कृत जैसे प्रमुख विषयों से अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। सुषमा स्वराज ने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के कानून विभाग से एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1970 में इन्होंने, अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से सर्वश्रेष्ठ छात्रा का पुरस्कार प्राप्त किया। 

 

 

सुषमा स्वराज ने 13 जुलाई 1975 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ वकील श्री स्वराज कौशल, जो कि एक क्रिमिनल लॉयर हैं, से विवाह किया। श्री स्वराज कौशल 1990 में देश के सबसे कम उम्र के राज्यपाल बने थे।1990 से 1993 के दौरान श्री स्वराज कौशल ने मिजोरम के राज्यपाल के रूप में सेवा की। 1998 से 2004 तक, वे संसद सदस्य रहे। स्वराज दम्पत्ति की एक पुत्री है जिनका नाम बांसुरी है, जिन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक किया है और इस समय लंदन के इनर टेम्पल में वकालत कर रही हैं।

 

लंबा रहा राजनीतिक सफर

 

सुषमा स्वराज के राजनीतिक करियर की शुरुआत तो आपातकाल के दौरान ही हो गई थी। लेकिन राजनीति में उनकी एंट्री 1977 में तब हुई जब वह हरियाणा से विधायक चुनी गईं। 1977-1979 में ही वह राज्य में चौधरी देवी लाल की सरकार में श्रम मंत्री बनाई गईं। सुषमा महज 25 साल की उम्र में मंत्री बन गईं थी। यह उस समय सबसे कम उम्र में मंत्री होने का रिकॉर्ड था। उनके नाम सबसे कम उम्र में जनता पार्टी हरियाणा की अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड भी है।


साल 1990 में वह पहली बार सांसद बनीं। गौरतलब है कि वह 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री थीं। इसके बाद केंद्रीय राजनीति से उनकी वापसी फिर से एक बार राज्य में हुई। साल 1998 में उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई और वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि यह सरकार ज्यादा दिनों तक न चल सकी।

 


 

आए कई मोड़

 

उनके राजनीतिक करियर ने साल 1999 में फिर से टर्न लिया और उन्हें सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से चुनावी रण में उतारा गया। दरअसल बीजेपी का यह कदम विदेशी बहू सोनिया गांधी के जवाब में भारतीय बेटी को उतारने की नीति का हिस्सा था। हालांकि सुषमा यह चुनाव हार गईं। जिसके बाद साल 2000 में वह राज्य सभा सांसद चुनी गईं और अटल बिहारी सरकार में फिर से सूचना प्रसारण मंत्री बनीं। इस दरमियान न सिर्फ बीजेपी बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी उनका कद काफी बढ़ गया था। यही कारण था कि साल 2009 में उन्हें बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री उम्मीदवार माना जा रहा था। हालांकि जब इन चुनावों में कांग्रेस फिर से सत्ता में आई तब सुषमा विपक्ष की नेता के तौर पर चुनी गईं। इस पद पर वह साल 2014 तक बनी रहीं।वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद मोदी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया।

 

जनमानस भड़ास ऐसी अद्भुत छवि को शत्-शत् नमन करता है।