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जम्मू- कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। इसी के मद्देनजर पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक बुलाई थी। इस बैठक आर्टिकल 370 को हटाए जाने के विरोध में प्रस्ताव पास किया गया और यह फैसला लिया गया कि भारत से सभी व्यापारिक रिश्ते तोड़ लिए जाए।  

 

भारत और पाक की अर्थव्यवस्था में जमीन आसमान का अंतर है। भारत ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाक के खिलाफ कड़ी आर्थिक कार्रवाई करते हुए उससे आयातित सभी वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दिया था। इसके अलावा पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का भी तमगा छिन लिया था।


वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मार्च में पाक का आयात 92 प्रतिशत घटकर लगभग 24 लाख डॉलर रह गया था, जो मार्च 2018 में 3.4 करोड़ डॉलर था। भारत ने पाकिस्तान से कपास, ताजे फल, सीमेंट, पेट्रोलियम उत्पाद और खनिज अयस्क जैसे सामानों का आयात करता है।


भारत-पाक व्यापार की गहराई से विश्लेषण करें तो पता चलता है कि पाकिस्तान के फैसले का दोनों ही देशों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। वैसे भी वर्ष 2014 के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच आयात-निर्यात में काफी गिरावट आई है। भारत सरकार ने हथियारों, मादक पदार्थों और अवैध नोटों की चल रही तस्करी की वजह से अप्रैल 2019 में पाक के साथ क्रॉस एलओसी ट्रेड को निलंबित कर दिया था।

 

 

वित्तीय वर्ष 2017-18 में दोनों देशों के बीच व्यापार केवल 2.4 बिलियन डॉलर था, जो भारत के विश्व के साथ कुल व्यापार का केवल 0.31 प्रतिशत और पाकिस्तान के वैश्विक व्यापार का लगभग 3.2 प्रतिशत था।


वहीं कुछ विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को निलंबित करने के पाकिस्तान के निर्णय से अगर किसी को ज्यादा नुकसान होगा तो वो खुद उसी को होगा। उनका कहना है कि इसका मुख्य वजह यह है कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी भारत से कई आवश्यक वस्तुओं का आयात करता है। निर्यातकों के संगठन फियो के अनुसार, “पाकिस्तान द्वारा व्यापार संबंधों को निलंबित करने का बुरा असर पाक पर ही होगा। क्योंकि भारत इस मामले में उस पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं है जबकि पाक की भारत पर निर्भरता अपेक्षाकृत अधिक है। दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार में करीब 80 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान का भारत से आयात का ही है।‘

 

पाकिस्तान के आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में यह भी सामने आया था कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में उसकी जीडीपी केवल 3.3 प्रतिशत ही बढ़ी है। दूसरी ओर, वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान भारत की जीडीपी 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी। वैसे भी भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी पाकिस्तान से बहुत बड़ी है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2,900 बिलियन डॉलर है, जो पाकिस्तान के 273 बिलियन डॉलर से लगभग नौ गुना बड़ा है। वहीं विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भी, पाकिस्तान लगभग 17.4 बिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है, जबकि भारत $ 420 बिलियन विदेशी मुद्रा रिजर्व है।

 

 

मतलब साफ़ है, पहले से महंगाई की मार झेल रहे पकिस्तान में महंगाई और बढ़ जाएगी। इमरान सरकार का यह कदम केवल पाकिस्तानी जनता को गुमराह करने के लिए एक हथकंडा मात्र है, जिसका खामियाजा पाकिस्तानी जनता को ही भुगतना पड़ेगा।

भड़ास अभी बाकी है...