यहाँ खुलता है सबकी बंद किस्मत का ताला

आपने देवी-देवताओ को खुश करने के लिए मंदिरों में फुल,माला,मिठाई आदि का चढ़ावा तो सुना होगा पर आज "जनमानस भड़ास" बताने जा रहा है अपने व्यूवर्स को कानपुर के बंगाली मोहाल में स्थित काली माता के ऐसे मंदिर के बारे में जहाँ भक्त अपनी मुराद पाने के लिए ताला लगाते है, और जब माँ उनकी मनोकामना पूरी कर देती है तो वह अपना ताला खोल देते है और अपनी सामर्थ्यानुसार माँ का श्रृंगार कराते है| काली माता के इस मंदिर को लोग ताले वाली माता के मंदिर के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर के बारे में दावा किया जाता है कि यह तीन सौ साल से अधिक पुराना है। जहां बंगाल से आ कर बसे बंगाली समुदाय के लोग पूजा करते चले आ रहे हैं। लेकिन नवरात्र में इस मंदिर में ना केवल कानपुर बल्कि दूर-दराज से भी लोग आकर माता के दर्शन करते हैं। यहां बंगाली पद्धति से पूजा की जाती है। जिसके बाद माता का भोग लगाया जाता है। मंदिर के बारे मे कहा जाता है कि बंगाल में रहने वाले एक काली माता के भक्त को मां सपने में आयी,उन्होंने उससे कानपुर में मंदिर की स्थापना करने को कहा,जिसके बाद वह यात्रा कर कानपुर पहुंचा और गंगा किनारे मां के मंदिर की स्थापना कर पूजा अर्चना करने लगा। थोडे दिनों बाद इस क्षेत्र को बंगाली मोहाल के नाम से जाना जाने लगा|



-शहर की तंग गलियों से होकर लोग मंदिर तक पहुंच माता के दर्शन करते हैं। मंदिर परिसर में लगे ताले यह बताने को काफी है कि लोगों की आस्था मंदिर के प्रति कितनी प्रबल है,जबकि अनेको ताले रोज खोले भी जाते हैं।

(रॉबिन बनर्जी, मंदिर के पुजारी)