थमीं जीडीपी की रफ़्तार...

अर्थव्यवस्था में सुस्ती की समस्या से जूझ रही केंद्र सरकार को आर्थिक विकास दर के मोर्चे पर भी झटका लगा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की आर्थिक विकास दर घटकर महज 5.0 फीसदी रह गई है, जो साढ़े छह वर्षों का निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.8 फीसदी रही थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। 

 

आर्थिक विकास दर में गिरावट के बाद भारत से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा छिन गया है। पहली तिमाही में देश की वृद्धि दर चीन से भी नीचे रही है। अप्रैल-जून तिमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत रही जो उसके 27 साल के इतिहास में सबसे कम रही है। देश में घरेलू मांग में गिरावट तथा निवेश की स्थिति अच्छी नहीं रहने से पहले से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि जून तिमाही में विकास दर का आंकड़ा पहले से ज्यादा बदतर रहेगा। 

वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था साल दर साल आधार पर महज 5.0 फीसदी की दर से आगे बढ़ी है। विकास दर का यह आंकड़ा बाजार की 5.8 फीसदी की उम्मीद से काफी कम है। साल 2013 के बाद जीडीपी ग्रोथ का यह सबसे बुरा दौर है। 

 

 

इस गिरावट के पीछे का अहम कारण बैंकों द्वारा उधार की दरों को कम करने से इंकारकरना माना जा रहा है। इसके साथ ही समय पर कर्ज समाधान कर पाने के मामले में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (IBC) की अक्षमता के कारण भी विकास दर में गिरावट देखने को मिली है। बैंकों ने ब्याज दरों को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के आह्वान पर ध्यान नहीं दिया है। रिज़र्व बैंक ने रेपो रेटको चार बार घटाया है। वहीं क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने साल 2019 के लिए भारत का जीडीपी ग्रोथ 6.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने बताया था कि सर्विस सेक्‍टर में सुस्‍ती, कम निवेश और खपत में गिरावट से भारत की जीडीपी सुस्‍त हुई है। चार नीतिगत बैठकों में, आरबीआई ने एक असामान्य कदम उठाते हुए रेपो दर को 110 बेस प्वाइंट घटा दिया है। बैंकों, जो फिलहाल एनपीए और तरलता की कमी का सामना कर रहे हैं, उनकी ब्याज दरों में मामूली कटौती की गई है। माइनिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 0.4 फीसदी की तुलना में 2.7 फीसदी की दर से आगे बढ़ा। वहीं इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वाटर सप्लाई तथा अन्य यूटिलिटी सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 6.7 फीसदी की तुलना में 8.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ा। ट्रेड, होटेल्स, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन तथा सर्विसेज पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 7.8 फीसदी की तुलना में 7.1 फीसदी की तुलना में आगे बढ़ा। वहीं फाइनेंसियल, रियल एस्टेट तथा प्रोफेशनलसर्विसेज पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 6.5 फीसदी की तुलना में 5.9 फीसदी की दर से आगे बढ़ा। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, डिफेंसजैसी अन्य सेवाएं पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 7.5 फीसदी की तुलना में 8.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ा है।

 

 

जीडीपी ग्रोथ में गिरावट पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि के अनुकूल है, जो महज 3.6 फीसदी रही थी, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा 5.1 फीसदी था। बार-बार आने वाले आर्थिक सूचकों, जैसे वाहनों की बिक्री, रेलफ्रेट, डॉमेस्टिक एयर ट्रैफिक एंड  इंपोर्ट्स (नॉन ऑइल, नॉन गोल्ड, नॉन सिल्वर, नॉन प्रेसियस और सेमी प्रेसियस स्टोन्स) ने उपभोग खासकर निजी उपभोग में गिरावट का संकेत दिया था।

 

भड़ास अभी बाकी है...