अगर ऐसा ही रहा तो...कैसे बढ़ेगा इंडिया

 

  • देश में 9 करोड़ 30 लाख बच्चे नहीं जाते है स्कूल।
  • 68 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जो किसानी जैसे काम करते हैं।
  • 78 लाख से ज्यादा बच्चे करते है रोजी-रोटी के लिए काम।

क्या आप जानते है कि हमारे देश के करीब साढ़े 9 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। जाहिर है ये आकड़ें चौकाने वाले है, एक तरफ हमारा देश विश्वगुरु बनने के सपने देखता है, लेकिन जिस देश के करोड़ों छात्र-छात्रा स्कूल ही नहीं जा रहे हों, वो विश्वगुरु कैसे बन सकता है? जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक देश के 9 करोड़ 30 लाख बच्चे स्कूल ही नहीं जाते हैं। जनगणना का ये डाटा अभी जारी किया गया है और ये आंकड़ा बहुत गंभीर है। आपको जानकर हैरानी होगी कि 9 करोड़ 30 लाख छात्रों की संख्या इटली ,इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की जनसंख्या से भी बहुत ज्यादा है, इसका मतलब है कि हमारे देश में स्कूल ना जाने वाले छात्रों की संख्या इन विकसित देशों की जनसंख्या से भी ज़्यादा है। 

 

 

इन आकड़ों में एक चौंकाने वाली बात ये भी सामने आई है कि देश के 78 लाख से ज्यादा बच्चे स्कूल जाने के साथ-साथ रोज़ी रोटी कमाने के लिए काम भी करते हैं। वहीं स्कूल के साथ-साथ काम करने वाले बच्चों में 57 प्रतिशत लड़के हैं, जबकि 43 प्रतिशत लड़कियां हैं। वहीं इन 78 लाख बच्चों में से 68 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जो किसानी जैसे काम करते हैं। जो 9 करोड़ 30 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं, वो शिक्षा के अधिकार के दायरे में आने वाले कुल बच्चों के 27 प्रतिशत हैं। यानी इन बच्चों के लिए शिक्षा पूरी तरह से मुफ्त है, लेकिन इसके बाद भी तमाम मजबूरियों की वजह से ये बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। इन बच्चों की ये मजबूरियां ही  हमारे देश की कमज़ोरियां हैं। इसलिए बच्चों को पढ़ाई से दूर करने वाली इन मजबूरियों को हमें खत्म करना होगा ताकि हमारा देश एक कमज़ोर राष्ट्र बनकर ना रह जाए।

 

ये आंकड़े हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था का आईना हैं। अब आप खुद अंदाज़ा लगाइये कि जब हमारे देश के स्कूल बच्चों का ये हाल है तो बेहतर शिक्षा का पूर्ण स्वराज मिलना कितना मुश्किल होगा? जब भी स्कूल की बात होती है तो सबसे पहले दिमाग में ब्लैक बोर्ड की तस्वीर आती है लेकिन CAG(नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश के 3680 सरकारी स्कूलों में बच्चे बिना ब्लैक बोर्ड के पढ़ते हैं। इतना ही नहीं हमारे देश के 20 फीसदी शिक्षक अयोग्य यानी बच्चों को पढ़ाने लायक नहीं हैं। सरकारी स्कूलों में 84 फीसदी शिक्षकों को आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार जैसी ज़रूरी बातों का भी ज्ञान नहीं है और 42 फीसदी सरकारी स्कूलों में विद्याथियों का कोई ऑफिशियल रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है। भारत में 28 करोड़ 70 लाख लोग पढ़ लिख नहीं सकते। ये संख्या फ्रांस की कुल जनसंख्या से चार गुना है। यानी दुनिया की 37 फीसदी निरक्षर आबादी भारत में रहती है जिसकी मुख्या वजह है स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, शिक्षकों का ना होना और पढ़ाई के माहौल का अभाव लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। अगर सरकार और सिस्टम चाहे तो देश में शिक्षा के अच्छे दिन आ सकते हैं।

 

 

“एक अनपढ़ य़ा कम पढ़ा लिखा बच्चा बड़ा होकर बेरोज़गार युवक बनता है और एक बेरोज़गार युवक आगे चलकर देश पर बोझ बनता है और बेरोज़गारी का ये बोझ बढ़ता ही जाता है और जिस देश पर बेरोज़गारों का इतना बोझ हो वो कैसे सुपरपावर बन पायेगा।”

 

“अगर नहीं पढ़ेगा...तो कैसे बढ़ेगा हमारा इंडिया”

 

भड़ास अभी बाकी है...