ये जंग की साज़िश तो नहीं...

बीते दिनों सऊदी अरब के ऑइल प्रोसेसिंग प्लांट्स पर हुए ड्रोन हमलों के चलते इंटरनेशनल मार्केट में तेल के दाम 10 फीसदी बढ़ गए हैं। सोमवार के एशियाई बाजारों में शुरुआती कारोबार में कीमतों में तेजी देखी गई, जिसका असर पूरे विश्व पर पड़ सकता है। हमले की वजह से दुनिया के सबसे बड़े क्रूड उत्पादक की आपूर्ति करीब आधी हो गई और कच्चे तेल की कीमत ऊपर पहुंच गई हैं। एशियाई बाजार में शुरुआत में ब्रेंट क्रूड 11.77 फीसदी की तेजी के साथ 67.31 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 10.68 फीसदी चढ़कर 60.71 डॉलर पहुंच गया। इस बीच अरामको हमले के बाद बाजार में फैली घबराहट दूर करने की कोशिशें कर रही है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बाजार को आश्वस्त करने की कोशिश करते हुए कहा उत्पादन क्षमता को दोबारा पुराने स्तर पर लाने के लिए काम चल रहा है। अरामको को कुछ ही दिनों में अधिकांश उत्पादन दोबारा शुरू कर लेने की उम्मीद है। यह ड्रोन हमला ऐसे समय में हुआ है, जब कंपनी 100 अरब डॉलर की पूंजी जुटाने के लिए आईपीओ (प्रथम सार्वजनिक शेयर बिक्री) की तैयारी में है।

 


 

विश्लेषकों का मानना है कि इस हमले से शायद ही आईपीओ की योजना टले, लेकिन कंपनी के मूल्यांकन पर इसका असर देखने को मिल सकता है। सऊदी इंक किताब के लेखक एलेन वॉल्ड ने कहा, 'सउदी अरब के पास प्रचुर मात्रा में तेल का भंडार है, जिससे उपभोक्ताओं की मांग को पूरा किया जा सकता है। मुझे नहीं लगता कि इस कारण अरामको को किसी तरह का आर्थिक नुकसान होने वाला है। ऐसा माना जाता है कि सउदी अरब के पास कई भूमिगत स्टोरेज फैसिलिटीज हैं, जिनमें तमाम रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों के लाखों बैरल यूनिट्स भंडारित हैं। संकट के समय इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। अरामको की दो तेल रिफाइनरियों पर हुए ड्रोन हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव फिर गहरा गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो कल तक ईरान से बातचीत किए जाने को तैयार थे, अब बिफर गए हैं। ट्रंप की तरफ से विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि सऊदी अरब पर लगभग 100 हमलों के लिए तेहरान जिम्मेदार है, जबकि रूहानी और जरीफ कूटनीति में शामिल होने का दिखावा करते हैं। ईरान ने अब दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति पर एक अभूतपूर्व हमला किया है।

 


 

ड्रोन हमले के कारण रियाद से 150 किलोमीटर दूर अब्कैक स्थित सबसे बड़े तेल शोधन संयंत्र और खुरैस स्थित तेल क्षेत्रमें आग लग गई। अरामको कंपनी दुनिया के सबसे बड़े ऑयल प्रोसेसिंग प्लांट के रूप में जानी जाती है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि ईरान ने दुनिया भर में तेल सप्लाई रोकने के लिए ड्रोन हमले करवाए हैं। यमन के ईरान समर्थित हाउती विद्रोहियों ने ऑयल रिफाइनरी पर हमले की जिम्मेदारी ली है। विद्रोहियों ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया जिसमें 10 ड्रोन शामिल थे, जिन्होंने पूर्वी अरब में अब्कैक और खुरैस में रिफाइनरियों को निशाना बनाया। इस हमले के बाद फारस की खाड़ी में तनाव बढऩे की आशंका प्रबल हो गई है क्योंकि एटमी डील को लेकर अमेरिका और ईरान पहले से एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। अरामको का खुरैस प्लांट हर दिन लगभग 10 लाख बैरल कच्चा तेल प्रोसेस करता है। अरामको के मुताबिक, इस प्लांट के पास फिलहाल 20 अरब बैरल तेल रिजर्व है। यह हमला ऐसे समय हुआ है, जब अमेरिका और ईरान के बीच तनाव के हालात हैं। ईरान और अमेरिका के बीच पैदा हुए तनाव को लेकर दुनिया दो हिस्सों में बंटती नजर आ रही है। फिक्र की बात ये है कि दोनों ही तरफ परमाणु ताकत से लैस देशों की खेमेबंदी है। ऐसे में जरा सी चूक एक भयानक जंग को जन्म दे सकती है।

 

भड़ास अभी बाकी है...