अब रिटायरमेंट की उम्र बदलने की तैयारी में मोदी सरकार...

केंद्र सरकार अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को कम करने जा रही है। हालांकि अभी जो प्रपोजल तैयार हुआ है, उसके तहत सेवानिवृत्ति की आयु दो तरीके से तय होगी। पहला कर्मचारी ने अगर 33 साल की सेवा पूरी कर ली हो या उसकी खुद की आयु 60 साल हो गई हो। सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर सुरक्षा बलों पर पड़ेगा। चूंकि सैन्य एवं दूसरे सुरक्षा बलों में औसतन 22 साल के आसपास ज्वाइनिंग हो जाती है, इसलिए इनकी 33 साल की नौकरी 55 साल में ही पूरी हो जाएगी। इस फैसले पर सरकार की दलील है कि यह कोई नई पहल नहीं है, सातवें वेतन आयोग में भी इसका जिक्र किया गया है। अगर सेवानिवृत्ति की इस योजना को लागू किया जाता है, तो बैकलॉग की समस्या दूर हो जाएगी। नई भर्तियों का रास्ता खुलेगा और जिन कर्मियों को समय पर प्रमोशन न मिलने की शिकायत रहती थी, वह भी दूर हो सकेगी। सूत्रों के आधार से इस प्रपोजल पर काम शुरु हो चुका है। तकरीबन हर विभाग में अधिकारियों और कर्मियों की सूची तैयार हो रही है और योजना को कई चरणों में लागू किया जाएगा। इसके वित्तीय प्रावधानों को लेकर भी रिपोर्ट बनाई जा रही है और वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद अगले वित्तीय वर्ष से सेवानिवृत्ति के नए नियम क्रियान्वित कर दिए जाएंगे।

 

 

इसी साल 31 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक सेवानिवृत्त अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया था। जिसमें कहा गया था कि गृह मंत्रालय चार माह में तय करे कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सभी रैंकों में सेवानिवृत्ति की उम्र समान हो। अभी तक केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल 'सीआरपीएफ', भारत-तिब्बत सीमा पुलिस 'आईटीबीपी', सीमा सुरक्षा बल 'बीएसएफ' तथा सशस्त्र सीमा बल 'एसएसबी' में कमांडेंट से नीचे के पदों पर जवान 57 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं। डीआईजी और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों की रिटायरमेंट की उम्र 60 वर्ष होती है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और असम राइफल्स में सभी रैंक 60 वर्ष की उम्र पूरी करके रिटायर होते हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में मेडिकल टीचर के लिए 65 साल, डॉक्टर की 62 साल और दूसरे पदों के लिए 60 साल की सेवानिवृत्ति आयु तय की गई है। सभी पदों के लिए आंध्रप्रदेश में 60, त्रिपुरा में 60, कर्नाटक में 60, असम में 60, बिहार में 60, मेघालय में 60, मध्यप्रदेश में 60, छत्तीसगढ़ में 60, नागालैंड में 60, गुजरात में 60, उत्तराखंड में 60, उत्तरप्रदेश में 60 और सिक्किम में 60 साल की आयु में रिटायमेंट होती है। जबकि झारखंड और केरल में सेवानिवृत्ति आयु 56 साल रखी गई थी, जिसे अब एक समान रखने पर बल दिया जा रहा है।


 

किसी अधिकारी या कर्मचारी की 32 साल की सेवा के बाद भी उसकी वेतन श्रेणी में कोई बड़ा वित्तीय बदलाव नहीं होता, लेकिन वे 60 साल तक जब नौकरी करते हैं तो उनके जूनियर्स के प्रमोशन में बाधा आने लगती है। केंद्र सरकार का तर्क है कि 33 साल की सेवा या 60 साल की आयु, जो भी पहले आए, इसके मुताबिक सेवानिवृत्ति होने से सरकार ही नहीं, बल्कि दूसरे कर्मियों को भी फायदा होगा। इसके साथ पदोन्नति के नए अवसर पैदा होंगे जिससे नई जॉब की राह भी प्रशस्त होगी। इस तरीके से संचय की समस्या भी दूर हो जाएगी। इस योजना में आईएएस, आईपीएस से लेकर केंद्र सरकार की सभी श्रेणी की नौकरियां शामिल हैं। देश में पांच प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल हैं जिनमें लगभग 10 लाख से अधिक कर्मी कार्यरत है, जो सीमाओं की सुरक्षा से लेकर विभिन्न आंतरिक सुरक्षा ड्यूटियों में तैनात रहते हैं। इस फैसले से उन सभी सेनानी और उनके नीचे के रैंक के कर्मियों जो इस संख्या का 60% भाग हैं, उन्हें इसका लाभ मिलेगा या नहीं ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा

 

भड़ास अभी बाकी है...