दोस्त दोस्त न रहा...

स्वामी चिन्मयानंद को बचाने की हर मुमकिन कोशिश भी कुलदीप सेंगर की तरह ही नाकाम साबित हुई। बीमारी का बहाना बनाने और तमाम तिकड़म अपनाने के बावजूद चिन्मयानंद को भी जेल जाना ही पड़ा। भगवा चोला, धार्मिक पृष्ठभूमि और मजबूत राजनीतिक कनेक्शन भी चिन्मयानंद को जेल जाने से नहीं बचा पाये। स्वामी चिन्मयानंद को बचाने की हर मुमकिन कोशिश भी कुलदीप सेंगर की तरह ही नाकाम साबित हुई। बीमारी का बहाना बनाने और तमाम तिकड़म संभव था अगर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं होता तो चिन्मयानंद भी उन्नाव केस के आरोपी की तरह कुछ दिन और घूम सकते थे। याद रहे कुलदीप सेंगर को भी सीबीआई ने तभी गिरफ्तार किया जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हैरानी जतायी और सख्ती के साथ पेश आया। चिन्मयानंद की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब बीजेपी अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है। चिन्मयानंद राम मंदिर आंदोलन से 80 के दशक से जुड़े रहे हैं। माना जा रहा है कि चिम्मयानंद भी कुलदीप सेंगर की ही तरह यूपी में योगी सरकार से अच्छे रिश्तों के चलते बचते आ रहे थे वरना जो शख्स यौन शोषण और बलात्कार के इल्जाम में पहले से ही फंसा हुआ हो, दूसरे अपराध के लिए अब तक खुलेआम कैसे घूम पाता। कुलदीप सेंगर तो यूपी के एक मामूली विधायक हैं, लेकिन स्वामी चिन्मयानंद तो राम मंदिर आंदोलन और धर्मपीठ से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। यही वजह है कि स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी भारतीय जनता पार्टी और योगी आदित्यनाथ दोनों ही के लिए कुलदीप सेंगर की गिरफ्तारी से भी बड़ा झटका है।


चिन्मयानंद और सेंगर की अहमियत

राजनैतिक प्रभाव के बारे में चिन्मयानंद का कहना रहा कि वह सरकार और खासकर मुख्यमंत्री के वो बेहद करीबी हैं। सुप्रीम कोर्ट दखल न देता तो उनके ऊपर भला कौन हाथ डाल सकता था। अब भी कोशिशें बहुत हो रही हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सख्ती को देखते हुए लगता नहीं कि राज्य सरकार उन्हें बचा पाएगी। जैसी आशंका जतायी गयी थी, हुआ बिल्कुल वही। चिन्मयानंद को जेल जाने से बचाया नहीं जा सका।

 

 

केंद्र की वाजपेयी सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का रिश्ता कैसा और कितना पुराना है? रिश्ते की नजदीकी से ही मालूम होता है कि कैसे योगी सरकार ने चिन्मयानंद के खिलाफ बलात्कार के पिछले मामलों को वापस लेने का फैसला क्यों किया था?

 

  •   योगी को CM बनाने की वकालत: 2017 में यूपी विधानसभा के चुनाव नतीजे आने के कई दिन बाद तक मुख्यमंत्री का नाम नहीं फाइनल हो पा रहा था। उस वक्त जिन चंद लोगों ने योगी आदित्यानाथ के नाम की वकालत की थी, उनमें सबसे ऊपर चिन्मयानंद का नाम भी लिया जाता है। इससे कहने की जरूरत नहीं कि संबंध कितने नजदीकी होंगे।


  •  योगी के गुरु के साथ राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत: मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए चिन्मयानंद के योगी आदित्यनाथ की पैरवी करने की बड़ी वजह भी रही। चिन्मयानंद योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ से जुड़े रहे हैं। महंत अवैद्यनाथ ने चिन्मयानंद के साथ मिल कर 80 के दशक में राम मंदिर आंदोलन को शेप देने की कोशिश की थी। मंदिर मुहिम को लेकर अब जो भी सक्रिय नाम लिये जाते हैं, वे चिन्मयानंद के बाद इस आंदोलन से जुड़े बताये जाते हैं।


  •  ठाकुर बिरादरी से आते हैं: चिन्मयानंद का असली नाम भी बहुत कुछ साफ करता है। उनका का असली नाम कृष्णपाल सिंह है। यूपी के ही गोंडा के रहने वाले चिन्मयानंद उसी ठाकुर बिरादरी से आते हैं जिससे उन्नाव के बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर और ये यूपी की जातीय राजनीति ही है जो योगी आदित्यनाथ को ये सब करना पड़ता है और विरोधियों का वो इल्जाम भी सहना पड़ता है जिसमें वे कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ खूब जातिवाद करते हैं।

 

 

मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी पैरवी का पहला एहसान योगी आदित्यनाथ ने कुर्सी पर बैठने के बाद ही उतारने की कोशिश की। योगी सरकार ने चिन्मयानंद के खिलाफ चल रहे यौन शोषण के मुकदमे को वापस लेने का फैसला किया। लेकिन  पीड़ित ने पक्ष अदालत में सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी। 2011 में शाहजहांपुर की ही एक युवती ने चिन्मयानंद पर यौन शोषण और उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। युवती स्वामी चिन्मयानंद के ही आश्रम में रहती थी और उनकी शिष्या बतायी जा रही थी। इतना ही नहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा शुरू से ही चिन्मयानंद को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार पर हमलावर हैं जिसमे उन्होंने ट्विटर पर लिखा है,‘भाजपा सरकार की चमड़ी इतनी मोटी है कि जब तक पीड़िता को ये न कहना पड़े कि मैं आत्मदाह कर लूँगी, तब तक सरकार कोई एक्शन नहीं लेती।’ चिन्मयानंद के मामले में विशेष जांच टीम भी तभी हरकत में आयी जब बीजेपी नेता के मसाज का एक वीडियो वायरल होने लगा। वैसे चिन्मयानंद के वकील के बचाव का अंदाज भी काफी दिलचस्प है, उनका कहना है कि मसाज कराना कोई अपराध नहीं है।'इन्हीं सब दलीलों के कारण आज भी हमारे देश में ना जाने कितने यौन शोषण की घटनायें है जिसके विरुद्ध आवाज उठाने में पीडिता अपने आप को ही कटघरे में खड़ा पाती है इसीलिए वह अपने रोष को प्रकट करने की बजाय उसका गला घोंट देती है।  

 


भड़ास अभी बाकी है...