लो रूठ गये ट्रम्प अब मनायें कैसे !

(दीप्ति यादव)

खबर है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प भारत-रूस के बीच होने वाले एस-400 मिसाइल से खुश नही है और अमेरिका के विदेश विभाग ने हिंदुस्तान के नामी अखबारों को चिठ्ठी भेज के बता दिया है कि हिंदुस्तान इस मुगालते में न रहे कि उसने रूस से मिसाइल सिस्टम खरीद लिया तो अमेरिका उसे कुछ नही कहेगा और इस बात के पूरे आसार है कि राष्ट्रपति ट्रम्प इस नाकाबिले बर्दाश्त गुस्ताखी की वो सजा देंगे कि मोदी का मुल्क याद रखेगा। बात दरसल ये है कि अंग्रेज अमेरिकी अगर किसी से गले मिलते है तो बिना वजह नही मिलते। शैतान और अमेरिका से दोस्ती की जरूरी शर्त यही होती है कि अपना ईमान और आजादी गिरवी रख दें। पूरी दुनिया में अमेरिकी बादशाहत को चुनैती देने वाले कुल जमा चार मुल्क ही दुनिया के नक्शे पर बचे हुए है- रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया। इन अमेरिकियों ने कानून बना रखा है कि इन मुल्कों (अमेरिकी इन्हें शैतानी मुल्क कहते है) से जो भी कुछ खरीदारी करेगा उसका हुक्का पानी बंद। इस कानून का नाम है काउंटरिंग अमरीकाज़ अडवर्सरीज थ्रु सैंक्शंस एक्ट। हर वो मुल्क जो इस तरह का काम करेगा उस पर कड़ी बंदिशें लगाई जायेंगी। चीन पर इस कानून के तहत बंदिशें लगी क्योंकि उसने रूस से एसयू-35 एयरक्राफ्ट और एस-400 सिस्टम ख़रीदा था। रूस में बनने वाले 'एस-400: लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम' को भारत सरकार ख़रीदना चाहती है ये मिसाइल ज़मीन से हवा में मार कर सकती है। एस-400 को दुनिया का सबसे मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। इसमें कई ख़ूबियां हैं। जैसे एस-400 एक साथ 36 जगहों पर निशाना लगा सकता है। इसके अलावा इसमें स्टैंड-ऑफ़ जैमर एयरक्राफ्ट, एयरबोर्न वॉर्निंग और कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ्ट है। यह बैलिस्टिक और क्रूज़ दोनों मिसाइलों को गिरने से पहले रास्ते में ही नष्ट कर देगा। एस-400 को सड़क के रास्ते कहीं भी ले जाया जा सकता है और इसके बारे में कहा जाता है कि पांच से 10 मिनट के भीतर इसे तैनात किया जा सकता है। इसके आने से हमारी सेना की ताकत में जबर्दस्त इजाफा होगा। इसके लिये रूस से डील भी हो चुकी है। लेकिन अमेरिकी सरकार का कहना है कि यह सौदा हुआ तो भारत सरकार से किसी भी तरह का आर्थिक लेनदेन बन्द कर दिया जायेगा, यहां के लोगो को वीजा नही मिलेगा और यहाँ से कोई भी सामान खरीदना बन्द कर दिया जायेगा।

 

 

संविधान के हिसाब से हम एक सार्वभौमिक देश है। अंदर और बाहर क्या फैसला लेना है इस बात की पूरी आजादी हमारी चुनी हुई सरकार को मिली हुई है और उससे उम्मीद की जाती है कि वह मुल्क की बेहतरी के लिये ऐसे फैसले लेने में डरेगी नही। अमेरिकी वैसे भी बिजनेसमैन है। पिछले महीने उन्होंने हमारे मुल्क को अपाचे हेलीकॉप्टर बेचा तो हम खुशी से दोहरे होकर यह भी भूल गये कि यही अमेरिका वाले इससे पहले  पाकिस्तान को एफ-16 बेच चुके हैं। रूस हमारे मुल्क को आजादी के बाद से ही रियायती दर पर जंगी साजोसामान मुहैया करवाता रहा है और टेक्नोलॉजी भी दे देता है। हमारी एयरफोर्स के पास 80 फीसदी हथियार रूसी ही है। ये सब गुज़रे दौर की बाते हो चुकी है। अब मोदी जी और ट्रम्प का ज़माना है, वही ट्रम्प जिन्हें हमारे मोदी जी  अमेरिका का सबसे महान राष्ट्रपति बता चुके हैं। मोदी जी तो ट्रम्प की शान में डिप्लोमेसी की A, B, C,D भूल कर अबकी बार ट्रम्प सरकार का नारा दे आये। खुदा न करे कि 14 महीने बाद होने वाले अमेरिकी प्रेसिडेंट के चुनाव में डेमोक्रेट जीत कर आ गए तो? खैर यह तो वक्त ही बतायेगा। ट्रम्प कितने महान है यह मोदी जी जाने हमे तो इतना पता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बहुत बड़े कलाकार जरूर है जो इमरान और मोदी दोनों को खुश कर के भेज दिये और दोनों के चाहने वाले अपने-अपने मुल्क में जिन्दाबाद के नारे लगाकर खुश है। हम खुश है कि हमारे यहां नौकरियां भले कम हो रही हों, मंदी और प्याज ने हाल बेहाल कर रखा हो मगर पाकिस्तान और मुसलमान दोनों ही अपनी हद में आ गये है।

 

 

खबर है कि रूस से पुरानी दोस्ती निभाने के इस चक्कर ने ट्रम्प को गुस्से में ला दिया है। लेकिन टेंशन क्यों लेनी, उन्हें मनाने के लिये मोदी जी है न। मोदी हैं तभी मुमकिन है।

 

(लेखिका सीनियर जर्नलिस्ट और न्यूज़ एंकर है, ये लेखिका के अपने विचार है।)

 


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