अब बैंक में भी सुरक्षित नहीं है जनता का पैसा...

रिजर्व बैंक ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक के खाताधारकों पर एक साथ पैसे निकालने पर रोक लगा दी। रिजर्व बैंक ने पहले एक हजार रुपया, इसके बाद जब जनता ने विरोध किया तो रिजर्व बैंक ने दूसरी बार में दस हजार रुपये तीसरी बार पच्चीस हजार और चौथी बार में अधिकतम चालीस हजार रूपया तक निकालने का आदेश जारी किया । किंतु यह राशि भी खाताधारकों को बैंक की ब्रांचों से नहीं मिल पा रही है। रिजर्व बैंक के इस आदेश के विरोध में तथा बैंक द्वारा जमा राशि नहीं निकालने देने से, मुंबई और अन्य स्थानों पर बैंक के सामने लोग प्रदर्शन कर अपना जमा पैसा वापस मांग रहे। पिछले वर्षों में सरकारी और सहकारी बैंकों ने बड़े पैमाने पर ऐसे लोगों को कर्ज दिया है। जो कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं। बैंकों के पास लोगों का जमा पैसा, वापस करने के लिए नगदी नहीं है। रिजर्व बैंक नियामक संस्था है। किंतु इसने भी बैंकों द्वारा किए जा रहे फाइनेंस और निवेश पर समय रहते ध्यान नहीं दिया। फलस्वरूप बैकों में बड़े पैमाने पर घोटाले हुए हैं। लगभग सभी बैंकों की हालत आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय हो गई है। केंद्र सरकार ने कई बैंकों को दिवालिया होने से बचाने के लिए, मुनाफे वाले बैंकों में बैंकों का विलय कर दिया है। जिसके कारण कुछ माह वह दिवालिया होने से बच गए। लेकिन जिन बैंकों में घाटे वाले बैंकों का विलय किया गया है। अब वह बैंक भी दिवालिया होने की कगार पर बढ़ चले हैं। सरकार ने जनता से लिए गए टैक्स के अरबों रुपया सरकारी खजाने से बचाने के लिए निवेश भी किए, किंतु यह पैसा भी लगभग डूबने की कगार पर है। बैंक में जो राशि खाते धारकों की जमा है। उसका 1 लाख रुपए का अधिकतम बीमा है।जिस बड़े पैमाने पर बैंक एनपीए और नकदी की कमी से जूझ रहे हैं। उससे बीमा कंपनी भी जमा कर्ताओं को एक साथ एक लाख रुपए, दे पाएगी। इस पर भी संदेह उत्पन्न होने लगा है।

 

 

वहीं रिजर्व बैंक ने जमा राशि पर रोक लगाकर बैंकों के जमा कर्ताओं के विश्वास को तोड़ दिया। सरकार भी केवल आश्वासन दे रही है। लोगों ने अपनी बचत और अपनी सारी कमाई बैंकों में जमा कर रखी है। नगदी लेनदेन को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले वर्षों में जिस तरह के कानून बनाए हैं। उसके बाद आम आदमी घरेलू खर्च यहां तक चिकित्सकीय के लिए भी लाख दो लाख रुपए नहीं रख पा रहा है। ऐसी स्थिति में यदि बैंकों से पैसा,जमाकर्ताओं को नहीं मिला, तो स्थिति बहुत भयावह होगी। मुंबई के पंजाब एंड महाराष्ट्र को ऑपरेटिव बैंक के खाताधारक 51 वर्षीय संजय गुलाटी की मौत हार्ट अटैक से हो गई। संजय जेट एयरवेज में काम कर रहे थे। वहां से उनकी नौकरी चली गई। उनके जीवन भर की कमाई लगभग 90 लाख रुपए बैंक में जमा थी। उन्हें अपने नियमित और मासिक खर्च के लिए भी बैंक से जब पैसे नहीं मिले, तो उसी तनाव में उनकी जान चली गई। केंद्र सरकार राज्य सरकार और रिजर्व बैंक इस पूरे मामले में तमाशबीन बनकर, केवल लोगों के साथ हमदर्दी अदा कर रहे हैं। वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है,कि पिछले एक दशक में जिस तरह से बैंकों ने जमा धन का मनमाने तरीके से शेयर बाजार में निवेश किया है। इसका लाभ बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने उठाया है। इसके साथ ही बैंकों ने मनमाने तरीके से कर्ज बांटा है। अब यह राशि बैंकों के पास वापस नहीं आ रही है। जिसके कारण जमाकर्ताओं को बैंक पैसा नहीं दे पा रहे हैं। केंद्र सरकार ने दिवालिया कानून भी बना दिया है। ऐसी स्थिति में बैंकों में जिन लोगों ने पैसे जमा किए हैं। उनको तुरंत पैसे नहीं मिलेंगे, कितने पैसे मिलेंगे,यह भी कई महीने बाद इसका पता चलेगा।

 

 

बैंकों में बंधक संपत्तियां जब बिकेगी, उनसे पैसा आएगा, तभी जाकर लोगों को जमा राशि का एक छोटा सा हिस्सा, कई वर्षों बाद जमा कर्ताओं मिल पाए। ऐसी स्थिति में बैंकों में जिन लोगों का पैसा बचत खाते और एफडी के रूप में जमा है। वह एकाएक सड़क पर आ गए हैं। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है, सरकार और रिजर्व बैंक के पास ऐसा कोई रिजर्व फंड नहीं है।जिससे वह बैंकों के खाताधारकों को जमा राशि वापस दिलाने में मदद कर सके। ऐसी स्थिति में आम जनता का बैंकों के प्रति विश्वास खत्म होता जा रहा है।यह स्थिति आर्थिक मंदी की दशा में देश की अर्थव्यवस्था को बड़ी तेजी के साथ प्रभावित करेगी।वहीं करोड़ों लोग जिनका पैसा बैंकों में जमा है। इसमें से अधिकांश, वह लोग हैं,जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, बहुत बुजुर्ग हैं, और उन्होंने अपने जीवन भर की कमाई बैंकों में सुरक्षित मान कर रखी हुई थी। उनके बुढ़ापे ओर नौकरी चले जाने की दशा में उनके परिवार के लोगों के काम आएगी। केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक, सरकारी और सहकारी बैंकों की इस स्थिति पर आंख मूंदकर बैठे हुए हैं। उन्हें लग रहा है कोई चमत्कार होगा और सारी व्यवस्था ठीक हो जाएगी। लेकिन ऐसा संभव नहीं है। बैंकों की बंधक संपत्तियां बिक नहीं रही हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बैंकों से शेयर बाजार को गिरने से रोकने के लिए कई बार निवेश कराया जो अब फांसी का फंदा बन गया है। लोगों के पास नगद पैसा ही नहीं है, ऐसी स्थिति में स्थिति बहुत विकराल हो गई है। लाखों लोग पहले से मंदी और बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं, अगर अब बैंक भी उनका पैसा वापस नहीं करेगी तो वह लोग भूखे मरने की नौबत आ जायेगी, इसलिए सरकार को वक़्त रहते प्रयासरत हो जाना चाहिए।


भड़ास अभी बाकी है...