प्रदूषण से जहरीली गैस के चैम्बर में तब्दील होते शहर...

देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर का क्षेत्र दीपावली के त्यौहार के बाद से एक बार फिर से जबरदस्त चचार्ओं में शामिल है। हर बार की तरह इस बार भी चर्चा की वजह है दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण, अपने जानलेवा वायु प्रदूषण के लिए विश्व में प्रसिद्ध हो गयी देश की राजधानी दिल्ली दीपावली के बाद से काले धुएं के बादलों के आगोश में छिपी हुई है। वायु प्रदूषण के चलते लोगों को भगवान सूर्यदेव के दर्शन बहुत ही मुश्किल से हो पा रहे हैं। लेकिन हम लोग है कि सुधरने का नाम नहीं लेते। अपने ही हाथों से अपने प्यारे चमन में आग लगा लेते हैं और स्वर्ग सी भूमि को स्वयं ही प्रदूषित करके नरक बना लेते हैं। हम सभी अपने चारों तरफ देखें तो ईश्वर की बनाई इस अद्भुत दुनिया के निराले प्राकृतिक नजारों को देखकर हमारा मन खुश हो जाता है। लेकिन आज हम लोग अपनी जिज्ञासा और नयी-नयी  खोज की अभिलाषा में जब से प्रकृति के कार्यो में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है, तब से पर्यावरण की हालात दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होकर बेहद प्रदूषित होती जा रही है। आज देश में जहरीली होती आबोहवा की वजह से साँस, एलर्जी सम्बन्धी व अन्य प्रकार की तरह-तरह की गम्भीर बीमारियों का खतरा हम सभी पर बहुत तेजी से मंडरा रहा है। जहरीली हवा के चलते रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटने से और गम्भीर बीमारियों के बढ़ने से मृत्युदर में काफी तेजी से इजाफा हो रहा है। प्रदूषण की वजह से दम तोड़ते लोगों के आकड़ों में साल दर साल बहुत ही तेजी से वृद्धि हो रही है। वहीं अमेरिका के दो संस्थान हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिट्यूट एवं इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन ने हाल ही में विश्व भर में वायु की गुणवत्ता से सम्बंधित आकडों पर अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी।

 

 

जिस रिपोर्ट का शीर्षक “स्टेट ऑफ़ ग्लोबल एयर-2019” इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में वायु प्रदूषण से होने वाली 5 मिलियन मौतों में से 50% मौत केवल भारत और चीन में ही होती है जो कि बहुत ही भयावह स्थिति को दशार्ने वाले आकड़े हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि लंबे समय तक घर से बाहर रहने या घर में वायु प्रदूषण के चलते वर्ष 2017 में स्ट्रोक, डायबिटीज, हार्ट अटैक, फेफड़े के कैंसर या फेफड़े आदि की गम्भीर बीमारियों से विश्व में लगभग 50 लाख लोगों की मौत हुई है।इतना ही नहीं आज भारत में वायु प्रदूषण अब स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक जोखिमों के तीसरे पायदान पर पहुँच गया है, जो कि अब देश में मौत का तीसरा सबसे बड़ा गम्भीर कारक बन गया है। जो देश में धूम्रपान से होने वाली मौतों के ठीक ऊपर है। 2017 में भारत की लगभग 60% आबादी घरेलू प्रदूषण के संपर्क में थी। वहीं जब वायु गुणवत्ता का अध्ययन किया गया है, तो पाया कि विश्व में सबसे अधिक हमारे देश में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों की मृत्यु हो रही हैं जो कि भविष्य में देशहित के लिए ठीक नहीं है। उल्लेखनीय है कि नाइट्रोजन, सल्फर और कार्बन खासकर पीएम 2.5 जैसे वायु प्रदूषक तत्वों को असमय मौत का एक बहुत बड़ा कारक माना जाता है। ठीक उसी प्रकार “केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड” ने अपनी रिपोर्ट में जिन शहरों को सबसे अधिक प्रदूषित शहर माना है। लेकिन फिर भी सरकार ना जानें क्यों उन शहरों के वायु प्रदूषण के संदर्भ में आयी रिपोर्टों को अभी भी खास तवज्जो नहीं दे रही, जिसकी वजह से ना तो सही ढंग से प्रदूषण नियंत्रण हो पा रहा है ना ही सही आंकड़े हम सभी के सामने आ रहे हैं। लेकिन विदेशी संस्थाओं की रिपोर्ट में दी गयी इस बात से तो सहमत हुआ जा सकता है कि वायु प्रदूषण की वजह से  हमारे देश में होने वाली मौतों की जो संख्या इस रिपोर्ट में दी गई है उसकी संख्या कम या ज्यादा तो हो सकती हैं, लेकिन यह भी कड़वा सच’ है कि वायु प्रदूषण के चलते हमारा देश/प्रदेश/शहर दिन-प्रतिदिन जहरीले गैस के चैम्बर बनते जा रहे है और जो असमय ही काल का ग्रास बना रहा हैं।

 

 

आज इस सच्चाई से ना तो सरकार और ना ही हम लोग मुँह मोड़ सकते है, क्योंकि अब यह समझ आ गया है कि वायु प्रदूषण एक बहुत ही गम्भीर पर्यावरणीय समस्या है जिसका जल्द से जल्द कारगर समाधान करने के लिए सरकार को और जनमानस के सहयोग से प्रभावी कदम उठाने होंगे। वर्ष 2016 में “विश्व स्वास्थ्य संगठन” ने दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की थी, उनमें भारत के 10 शहर शामिल थे। फिर भी अभी तक सरकार ने छोटे शहरों और गांवों के प्रदूषण रोकने के लिए कोई ठोस कारगर पहल नहीं की है। गौर करने वाली बात ये है कि ना तो हमलोग और ना ही स्थानीय प्रशासन अपने शहरों में वायु प्रदूषण का अन्दाजा ठीक से नहीं लगा पा रहे हैं। हम सभी को समझना होगा कि आजकल हमारे देश के सभी शहरों में तरह-तरह का इतना प्रदूषण और शोर है कि पक्षी तक भी वहां से पलायन करने लगे हैं। अब पक्षियों के नाम पर शहरों में सिर्फ कुछ गिने चुने चंद प्रजाति के पक्षी ही देखने को मिलते हैं। आज शहर और गाँव में तरह-तरह के प्रदूषण की वजह से लोग आये दिन गम्भीर बीमारियाँ से ग्रसित हो रहे है। प्रदूषण के चलते शहर का तो हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के रोग से ग्रसित हो गया है। देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में तो अब इतना वायु प्रदूषण बढ़ गया की लोगों का साँस लेना मुश्किल हो गया। इन हालातों को देखते हुए जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से अपील कर रहा है कि हम सभी को सरकार के साथ मिलकर फाईलों से बाहर आकर धरातल पर पर्यावरण के सरंक्षण और सुरक्षा के लिए हर संभव ठोस कारगर उपाय करना है। ना कि दीपावली की आतिशबाजी, वाहनों के धुएं के चलते प्रदूषण, औधोगिक ईकाईयों से या अत्यधिक निर्माण कार्यो का चलते गम्भीर प्रदूषण हो रहा है पर बात टाल कर अपनी नैतिक जिम्मेदारी से मुहँ नही मोड़ना, बल्कि प्रयासरत रहना चाहिये।

 

भड़ास अभी बाकी है...