शक्ति भी असुरक्षित है आखिर क्यों??

'बेटी है अनमोल' के नारे को अपनाने वाले प्रदेश में आज बेटियों पर होने वाला अत्याचार झकझोरने लगा है। देवभूमि में देवी की तरह पूजी जाने वाली बेटियों के प्रति बढ़ रही दुष्कर्म, छेड़छाड़ व अत्याचार की घटनाएं समाज के जिस चेहरे को दर्शा रही हैं उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं किया जा सकता है। इन घटनाओं का बढ़ना न केवल चिंताजनक हैं नहीं बल्कि शर्मनाक भी है। महिला सुरक्षा के तमाम दावों के बावजूद प्रदेश में दुष्कर्म व छेड़छाड़ के मामलों में कोई कमी नहीं आ रही है। इससे लगने लगा है कि अपराधियों के मन में कानून का कोई डर नहीं रह गया है। शहर,राज्य व केंद्र की सरकारों ने दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। कानून को कड़ा किया है लेकिन अब भी कुछ अराजकतत्वों की आपराधिक सोच दूर नहीं हुई है। दुष्कर्म या छेड़छाड़ की घटनाएं हमारे समाज की बुराई ही नहीं बल्कि चिंता का विषय है ,जिसे महिलाओं के प्रति गलत सोच रखने वाले क्षीण मानसिकता वाले लोग अंजाम दे रहे हैं। अगर ऐसे लोग सुधरते नहीं हैं तो कानून के माध्यम से उन पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि कोई दूसरा ऐसा घिनौना अपराध करने से पहले अपनी होने वाली दुर्दशा के बारे में ज़रूर सोच लें। ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ लोगों को भी सचेत रहना होगा। महिलाओं को जुर्म मिटाने के लिए दूसरों की मदद लेने की बजाय खुद को इतना मजबूत बनाना होगा कि वह हिम्मत व बहादुरी के साथ अपने ऊपर होने वाले अत्याचार का सामना कर सके। शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न को सहने की आदत छोड़नी होगी और ऐसी हरकत करने वालों को तोड़ जवाब भी देना होगा। समाज का डर और परवाह छोड़कर शिकायत दर्ज करवानी होगी ताकि अपराधियों के हौसले दम तोड़ दें । इस सामाजिक बुराई से निपटने के लिए हर किसी को व्यक्तिगत रूप से आगे आना होगा।ये भी जरुरी है कि दुष्कर्म का शिकार चाहे जो भी हुआ हो,पर उसकी लड़ाई में सभी को एकजुट होना पड़ेगा,तभी इंसाफ होगा,मानवता की जीत होगी और नारी-शक्ति को उसका हक मिलेगा| बेटियों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया हैं क्यों आज भी बेटियाँ और महिलायें घर से लेकर कार्यस्थल और सड़क पर असुरक्षित है?? हर माँ-बाप की सबसे बड़ी चिंता उसकी बेटी हैं| बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा शर्मिंदा हो रहा हैं|


"जनमानस भड़ास" अपने व्यूवर्स को ये बताने का प्रयास कर रहा है कि ये समय केवल विचार करने का नहीं,बल्कि ठोस कदम उठाने का है|

भड़ास अभी बाकी है.....