अब कोई नहीं रहेगा भूखा..यदि आप होंगे जागरूक

भारतीय संस्कृति में अन्न को देवता का दर्जा प्राप्त है और यही कारण है कि भोजन छोड़ना या उसका अनादर करना पाप माना जाता है। मगर आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में हम अपने यह संस्कार ही भूल गए हैं। यही कारण है कि होटल-रेस्टोरेंट के साथ ही साथ शादी या अन्य कार्यक्रमों में खाना बर्बाद हो रहा है, आज बढ़ती समृद्धि के लोगों में भोजन के प्रति संवेदना कम होती जा रही है| खर्च करने की क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ लोगों में भोजन फेंकने की प्रवृत्ति भी बढ़ती जा रही है। रोजाना भोजन,विवाह,और अनेक प्रकार के पार्टी फंक्शन आदि में खानेकी बहुत ज्यादा बर्बादीदेखी जा सकती है| हमारी संस्कृति में थाली में भोजन छोड़ना एक बुरी आदत माना जाता है। आम तौर पर हम अपने घरों में अपने बच्चो को समझाते हैं कि भोजन की बर्बादी कम होनी चाहिए लेकिन ठीक इसी के विपरीत जब हम किसी शादी या पार्टी में जाते हैं तो हम सब कुछ भूल जाते हैं। शहर की पार्टियों में भोजन की बर्बादी एक आम बात बन गई है। यह स्वतः भोजन लेने की सेवाया जिसे हम साधारण शब्दों में बुफे कहते है ,की शुरुआत के बाद से और भी बढ़ गया है। आज अपने आप को और संपन्न दिखाने के लिए हम अपने यहाँ होने वाले समारोह या फंक्शन में ज्यादा से ज्यादा खाने की डिशेज बढ़ा लेते है, यही कारण है कि पार्टीज में आये हुए मेहमान भी अपनी प्लेट में ज़रूरत से ज्यादा खाना डालने लग गए हैं|पहले के समय में समारोह में पारिवारिक सदस्य या दोस्तों के द्वारा भोजन को बहुत प्यार से परोसा जाता था,मेहमान अपने परिवार के साथ बैठकर खाना खाते थे और थाली में भोजन छोड़ने में संकोच करते थे। आजकल चलन में आये हुए स्टार्टर्स,चाट और अनेक प्रकार के स्टाल्स जिनमे इटैलियन,चाईनीज़ आदि के साथ-साथ आइसक्रीम के भी अनेक फ्लेवर्स होते है, लोगो के ध्यान को आकर्षित करने के लिए लगे होते है|इतनी ज्यादा खाने कि वैरायटी होने के कारण लोग अपनी प्लेट में अनावश्यक मात्रा में खाना परोस लेते है जो उनकी रेगुलर डाइट से भी ज्यादा होता है, जिसका नतीजा ये होता है कि हमें खाना प्लेट में छोड़ना ही पड़ जाता है| विवाह स्थलों के पास रखे कूड़ाघरों में खाना फेंका हुआ मिलता है|यह खाना किसी उपयोग में भी नहीं लिया जा सकता है,|ज्यादा दिनों तक पड़े रहने के कारण ये खाना सड़ने भी लगता है जिसकी दुर्गन्ध से राहगीरों एवं स्थानीय लोगो को भी असुविधा होने लगती है|



वैसे तो खाने की बर्बादी आम बात सी लगती है परन्तु इसकी असली अहमियत वही लोग जानते है जिन्हें खाना खाने के लिए ही बार-बार सोचना पड़ता है|आज "जनमानस भड़ास" अपने व्यूवर्स से इतनी अपील कररहा है कि अपने खाने को फ़ेकने से अच्छा है कि उसे उन जरुरत मंदों या बेसहारा लोगो तक पहुँचाये जिन्हें वास्तव में उसकी ज़रूरत है| इस आधुनिकता के समय में भी कानपुर शहर में अनेको ऐसे लोग और संस्थायेंहै जो नियमित रूप से बेसहारा और जरूरतमंद लोगो को भरपेट भोजन उपलब्ध कराते है|



खाने को फ़ेकने से अच्छा है कि उससे किसी का पेट भर दिया जाये|



इसलिए

अगली बार खाना प्लेट में छोड़ने से पहले सोचिएगा जरुर...

भड़ास अभी बाकी है.....