नेपाल ने भारतीय भूभाग को अपना बताने वाला मानचित्र पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया

पड़ोसी देश नेपाल भी भारत के साथ सीना-जोरी पर उतर आया है। भारतीय क्षेत्रों पर अपना दावा कर रहे नेपाल ने एक नई चाल चली है और नई पाठ्य पुस्तकों में छपे देश के नक्शे में भारतीय क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। 
 
इससे पहले भी नेपाल ने एक संशोधित मानचित्र जारी किया था जिसमें लिपुलेख, काला पानी और लिंपियाधुरा को अपना भाग बताया गया था। इस नक्शे को नेपाल की संसद ने मंजूरी दे दी थी। भारत का आरोप था कि नेपाल कृत्रिम तरीके से अपनी सीमाओं का विस्तार कर रहा है। 
 
नेपाल जिन भूभागों को अपना बता रहा है वो सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। नेपाली संसद द्वारा पास किए गए नए राजनीतिक नक्शे को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी। 

क्या है इन नई पाठ्य पुस्तकों में-
 
नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र को दिखाती पुस्तकें कक्षा 9 और 12 के छात्रो के लिए लिखी गई हैं। नेपाल के पाठ्यक्रम डेवलपमेंट सेंटर ने इन पुस्तकों को तैयार किया है। इन पुस्तकों की प्रस्तावना गिरिराज मणि पोखरेल ने लिखी है जो नेपाल के शिक्षा मंत्री हैं। 
 
इससे पहले नेपाल के वित्तमंत्री युवरात खातिवाड़ा कह चुके थे कि उनकी सरकार संविधान की अनुसूची को अपडेट कर संशोधित मानचित्र को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करेगी। 
 
भारत ने नेपाल के इस कदम का विरोध किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि सीमा विस्तार के नेपाली दावे ऐतिहासिक तथ्य या साक्ष्य पर आधारित नही हैं और भारत इसका विरोध करता है। लेकिन नेपाल सरकार ने इस विरोध की परवाह न करते हुए राष्ट्रीय बैंक को आदेश दिया है कि वह संशोधित मानचित्र वाले सिक्के बनाए।