मोदी सरकार का कृषि विधेक राज्यसभा में पेश, सदन में हाहाकार की स्थिति


नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विवादास्पद दोनों कृषि विधेयक राज्यसभा में पेश कर दिए हैं। यह दोनो कृषि विधेयक लोकसभा में पारित हो चुके हैं। कृषि मंत्री ने एक तीसरा विधेयक भी सदन में पेश किया है जो लोकसभा में अभी तक पारित नही हो सका है। 
इन विधेयकों के सदन पटल पर आते ही हाहाकार की स्थिति बन गई है। कांग्रेस, टीएमसी सहित सभी विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। 

कांग्रेस ने इसे किसानों का डेथ वारंट बताया-

कांग्रेस ने कहा है कि यह विधेयक किसानों का डेथ वारंट है। कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि यह विधेयक किसानों का डेथ वारंट है और हम इस पर साइन नहीं कर सकते। उन्होने कोरोना काल में इन विधेयकों के पेश करने पर सवाल उठाए। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने के लिए यह बिल लाई है। यह खेती किसानी को कॉरपोरेट के हाथों में सौंपने का षडयंत्र है। बाजवा ने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी? उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं।

डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सरकार गुमराह कर रही है-

टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन के साथ ही किसानों को भी गुमराह कर रहे हैं। उन्होने भाजपा के सांसदों की समझ पर सवाल उठाते हुए पूछा कि इन बिलों का समर्थन कर रहे कितने सांसदों ने इसे पढ़ा है। उन्होंने कहा कि आपने कहा था कि किसानों की आय 2022 तक डबल हो जाएगी। पर अभी वर्तमान में जो रेट चल रहा है उसके हिसाब से किसान की आय 2028 तक डबल नहीं हो सकती।

क्या इन बिलों के पास होने के बाद आत्महत्या नहीं करेगा किसानः संजय राउत

शिवसेना के संजय राउत ने पूछा है कि क्या इन बिलों के पास होने के बाद किसान आत्महत्या करना बंद करेंगे। जब पूरा देश लॉकडाउन में घर में बैठा था तो किसान खेत में काम कर रहा था। इसलिए हम आज अनाज खा रहे हैं। इस बिल को लेकर पूरे देश में विरोध हो रहा है। इस बिल को लेकर जरूर कोई भ्रम है। क्या केंद्रीय मंत्री ने एक अफवाह की वजह से इस्तीफा दे दिया। क्या वो कान के इतने कच्चे थे। अभी तो शुरू नहीं किया आप खत्म करने के लिए कह रहे हैं। खेती धीरे-धीरे कॉरपोरेट के हाथ में जा रही है।

नीतिश कुमार की पार्टी कृषि बिलों के समर्थन में उतरी- 

जेडीयू ने इन बिलों का समर्थन किया है। पार्टी के  सांसद राम चंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पहली बार कृषि पर नीति तब आई जब अटल बिहार वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और नीतिश कुमार कृषि मंत्री थे। दोनों बहुत अच्छे कानून है और किसानों की आय बढ़ेगी।

राज्यसभा में कृषि बिलों के पास होने की राह बेहद मुश्किल-

गौरतलब है कि मोदी सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नही है। एनडीए का सहयोगी रहा शिरोमणि अकाली दल भी विधेयक के विरोध में उतर आया है। कांग्रेस और अकाली दल ने अपने सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है। इन समीकरणों को देखते हुए सरकार की राह काफी मुश्किल है।