संसद में लोकतंत्र की हत्या का आरोप झेल रहे उपसभापति उपवास पर बैठे, मोदी ने की तारीफ


राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश विपक्षी सांसदों द्वारा किए गए कथित अभद्र व्यवहार से दुखी होकर एक दिन के उपवास पर बैठ गए हैं। वह कृषि विधेयकों के पास होने के दौरान विपक्षी सांसदों के व्यवहार से व्यथित बताए जाते हैं। गौरतलब है कि 20 सितंबर के दिन संसद में मोदी सरकार ने विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद राज्यसभा में कृषि विधेयकों को पास करवा लिया। इसके लिए ध्वनिमत का सहारा लिया गया जबकि विपक्ष मतविभाजन की मांग कर रहा था। इसके विरोध में विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया। अगले दिन सरकार ने हंगामा करने वाले 8 विपक्षी सांसदों को सदन के बाकी सत्र से निलंबित करने का प्रस्ताव रखा जिसे सभापति वेंकैया नायडू ने ंमंजूरी दे दी। सदन से निलंबित होने वाले 8 सांसद हैं- डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, रिपुन बोरा, नजीर हुसैन, केके रागेश, ए करीम, राजीव साटव और डोला सेन। ये सांसद निलंबित होने के बाद भी सदन से बाहर नहीं गए और सारा दिन सदन में हंगामा होता रहा। थकहार कर राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया। 

सदन से निलंबित हुए सांसद पूरी रात राज्यसभा के बाहर गांधी प्रतिमा के समीप बैठे रहे और घर नहीं गए। निलंबन के विरोध में कांग्रेस, माकपा, शिवसेना, जनता दल (एस), तृणमूल कांग्रेस, भाकपा और सपा के सांसद संसद भवन परिसर में धरने पर बैठ गए। उनके हाथों में ‘लोकतंत्र की हत्या’ और ‘संसद की मौत’ लिखी तख्तियां थीं।

माकपा नेता करीम ने कहा, निलंबन से आवाज दबाई नहीं जा सकती। हम किसानों के साथ उनकी लड़ाई में साथ रहेंगे। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा, किसानों जाग जाओ और इस काले कानून का विरोध करो।
इसके बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सुबह धरने पर बैठे सांसदों के लिए चाय लेकर पहुंचे लेकिन सांसदों ने उनकी चाय पीने से इंकार कर दिया। हरिवंश ने सांसदों से कहा कि वो व्यक्तिगत तौर पर इसलिए मिलने के लिए आए हैं क्योंकि वो सभी उनके सहयोगी हैं लेकिन इन सांसदों ने कहा कि अगर व्यक्तिगत तौर पर मिलना है तो या तो हरिवंश सांसदों के घर आएं या सांसदों को अपने घर बुलाएं। आप नेता संजय सिंह बोले, “हमने उप सभापति जी को कहा कि किसान विरोधी काला क़ानून वापस लो।”

उपवास पर बैठे उपसभापति हरिवंश ने क्या कहा-
 
हरिवंश ने कहा, ’सदन के सदस्यों की ओर से लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ। आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुई। उच्च सदन की हर मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गईं। सदन में सदस्यों ने नियम पुस्तिका फाड़ी। मेरे ऊपर फेंका।’

उन्होंने लिखा ’नीचे से कागज को रोल बनाकर आसन पर फेंके गए। आक्रामक व्यवहार, भद्दे और असंसदीय नारे लगाए गए। हृदय और मानस को बेचैन करने वाला लोकतंत्र के चीरहरण का पूरा नजारा रात मेरे मस्तिष्क में छाया रहा। इस कारण मैं सो नहीं सका। गांव का आदमी हूं, मुझे साहित्य, संवेदना और मूल्यों ने गढ़ा है।

मोदी ने की उपसभापति हरिवंश की तारीफ-
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की तारीफ की। मोदी इस घटना को बिहार के चुनावी एंगल से जोड़ने से नही चूके। उन्होने कहा कि बिहार के लोग हमेशा से लोकतंत्र की रक्षा करते रहे हैं। यूं तो यह पूरा प्रकरण संसदीय लोकतंत्र की एक खूबसूरती को बयां करती है, जो आजादी के बाद से निरंतर देखने को मिलती रही है।