यहाँ पैदल चलने वालों का तो भगवान ही मालिक है |

पहले कहा जाता था कि त्योहारों के समय अधिक भीड़-भाड़ से ट्रैफिक जाम हो जाता था,पर अब तो ऱोज सड़क पर जाम होना सामान्य बात हो गयी है|सच पूछिए तो इस जाम के लिए व्यवस्था नहीं, हम सभी की लापरवाही भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है|

कौन-किस दिशा से आकर चोट पहुँचा दे??

आज के हालात को देखते हुये ये कह पाना थोडा मुश्किल है,लेकिन हम भी भौकाल टाईट करने के लिए बीच सड़क पर खड़े होकर ऑटो या बस को रुकवाते हैं और फिर बड़ी शान से उसमें चढ़ते हैं, और अगर वो नहीं रुका तो हम उसे उल्टा-सीधा बोलने में भी नहीं कतराते है| हम ये भी नहीं देखते है कि इससे पीछे की गाड़ियाँ रूक जाती हैं| हमारी लापरवाही का खामियाजा दूसरे को भुगतना पड़ता है|विडंबना यह है कि जब हम लोग इस राज्य के बाहर या अन्य शहरों में जाते हैं, तो ट्रैफिक नियमों का पूरा पालन करते हैं,लेकिन हमारे शहर में लोग धड़ल्ले से मोबाइल पर बात करते करते वाहन चलाते या सड़क पार करते हुए मिल ही जायेंगे|

वैसे तो हमारा शहर कानपुर अपने चमड़े कारोबार के लिए जाना जाता है,लेकिन शायद आपको ये मालूम नहीं होगा कि आज कानपुर शहर को ट्रैफिक जाम के लिए भी पहचाना जाने लगा है| हर दिन जाम लगने के पीछे पब्लिक में ट्रैफिक सिग्नल पर सब्र का ना होना और ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही के साथ-साथ शहर की सड़कों पर जगह-जगह होने वाली खुदाई के साथ ही साथ फैला हुआ अतिक्रमण भी है| बिजी रोड्स से लेकर गलियों तक होने वाली खुदाई ने पब्लिक की राह मुश्किल कर रखी है|जगह-जगह होने वाली खुदाई के कारण एक तरफ के ट्रैफिक को बंद कर दिया जाता है जिससे यातायात ठप्प हो जाता है|जिसके कारण वाहन चालकों को दूसरी तरफ से निकलने के लिए न चाहते हुए भी नियम तोड़ने पड़ते है | पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधन जैसे-बस, ऑटो,ई-रिक्शा आदि भी ट्रैफिक जाम करने के महत्वपूर्ण कारक है|हर चौराहे एवं सड़को पर ये नियमों को ताख पर रख कर सरेआम पैसेंजर्स भरते हुए दिख जाते है,जिससे भयानक ट्रैफिक जाम की स्थितियां मजबूरन बन ही जाती है |गोल चौराहा, फज़लगंज चौराहा,बड़ा चौराहा, फूलबाग, परेड चौराहा, गोविन्द नगर चौराहा, चुन्नीगंज चौराहा,जरीब चौकी, अफीम कोठीचौराहा,टाटमिल चौराहे समेत अन्य चौराहों पर भी यहीं नजारा देखने को मिल जाता है|वाहनों को पैसेंजर्स भरने के लिए बनाए गए स्टैण्ड सिर्फ नाम के लिए ही रह गए हैं|

ये है मुख्य वजह:

आज शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या इस रूप में बढ़ गयी है,की यह चिंता का विषय हो गया है और कहीं न कहीं ये हमरे शहर के डेवलपमेंट में स्पीड ब्रेकर का काम कर रहा है|ट्रैफिक जाम असली वजह तलाशने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने शहर के प्रमुख चौराहों, रोड्स का सर्वे किया| इस सर्वे में ट्रैफिक पुलिस ने जाम की मुख्य वजह जगह-जगह खुदी पड़ी सड़के,तादाद में हो रहा अतिक्रमण, सड़क पर खड़ी गाडि़यां,रोड पर ही लगे बिजली के खंबे, ट्रांसफॉर्मर, टेलीफोन खंबे, खराब एवं गड्ढ़े से सराबोर सड़कें आदि पायी गयी है|ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक जाम की समस्याओं को दूर करने के लिए संबंधित विभागों को भेज रही है|

जाम में फंसने पर हम इस अव्यवस्था का भांडा प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस पर फोड़ते है, लेकिन हम कभी खुद का गिरेबां झांककर देखने की कोशिश नहीं करते हैं कि इस समस्या के लिए हम किस हद तक जिम्मेदार हैं|जबकि, यह एक बड़ा कड़वा सच है कि ट्रैफिक की राह में सबसे बड़ी बाधा हम ही है| आज "जनमानस भड़ास" अपने व्यूवर्स को बस ये बताना चाहता है कि ........

"अगर हम अभी से अपने यातायात के तरीके में भारी बदलाव नहीं करेंगे,
तो आने वाले अनेकों साल तक पूरे-के-पूरे शहर में सड़क पर खड़े-खड़े बेकार में बस इंतज़ार करते नज़र हीं आएँगे।"