टाइम ने जारी की दुनिया के 100 ताकतवर लोगों की लिस्ट, शाहीन बाग की दादी के साथ पीएम मोदी


अमेरिका की मशहूर पत्रिका टाइम ने दुनिया की 100 ताकतवर लोगों की लिस्ट जारी की है जिसमें सीएए विरोधी आंदोलन का चेहरा रहीं 82 वर्ष की बिल्कीस बानो का भी नाम शामिल है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं कुछ अन्य भारतीयों के नाम भी इस लिस्ट में शामिल हैं। बिल्क़ीस बानो 'शाहीन बाग़ की दादी' के नाम से भी जानी जाती हैं। वे शाहीन बाग़ में सीएए को वापस लेने की माँग के साथ क़रीब 100 दिन चले प्रदर्शन में शामिल रहीं।

कौन हैं शाहीन बाग की दादी-

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिल्क़ीस बानो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले की रहने वाली हैं। उनके पति क़रीब दस साल पहले गुज़र गये थे जो खेती-मज़दूरी करते थे। बिल्क़ीस बानो फ़िलहाल दिल्ली में अपने बहू-बेटों के साथ रहती हैं। टाइम मैग्ज़ीन ने बिल्क़ीस बानो के लिए लिखा है कि "वे भारत में वंचितों की आवाज़ बनीं। वे कई बार प्रदर्शन स्थल पर सुबह आठ बजे से रात 12 बजे तक रहा करती थीं। उनके साथ हज़ारों अन्य महिलाएं भी वहाँ मौजूद होती थीं और महिलाओं का इस प्रदर्शन को 'प्रतिरोध का प्रतीक' माना गया।"

मैग्ज़ीन ने लिखा है कि बिल्क़ीस बानो ने सामाजिक कार्यकर्ताओं, ख़ासकर छात्र नेताओं को जिन्हें जेल में डाल दिया गया, उन्हें लगातार उम्मीद बंधाई और यह संदेश दिया कि 'लोकतंत्र को बचाये रखना कितना ज़रूरी है।' शाहीन बाग़ प्रदर्शन के दौरान एक दफ़ा भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 'सीएए पर हम (मोदी सरकार) एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे।' इसके जवाब में बिल्क़ीस बानो ने कहा था, "अगर गृहमंत्री कहते हैं कि वे एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे, तो मैं कहती हूँ कि हम एक बाल बराबर भी नहीं हटेंगे।"

मोदी ने मुसलमानों को निशाना बनाया-

टाइम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौ लोगों की सूची में शामिल करते हुए लिखा है कि, "नरेंद्र मोदी ने इस सबको संदेह के घेरे में ला दिया है। हालाँकि, भारत में अभी तक के लगभग सारे प्रधानमंत्री 80% हिंदू आबादी से आए हैं, लेकिन मोदी अकेले हैं जिन्होंने ऐसे सरकार चलाई जैसे उन्हें किसी और की परवाह ही नहीं। उनकी हिंदू-राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने ना केवल कुलीनता को ख़ारिज किया बल्कि बहुलवाद को भी नकारा, ख़ासतौर पर मुसलमानों को निशाना बनाकर. महामारी उसके लिए असंतोष को दबाने का साधन बन गया। और दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र और गहरे अंधेरे में चला गया है।"

यह पहला मौका नहीं है जब टाइम मैग्ज़ीन ने भारत के प्रधानमंत्री की मुखर आलोचना की हो। इससे पहले एक बार टाइम ने पने लेख के कवर पेज पर मोदी को 'India's Divider In Chief' लिखा था। पत्रिका ने साथ ही लिखा था, ''क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार को आने वाले और पांच साल बर्दाश्त कर सकता है?" उस वक़्त बीजेपी ने आरोप लगाया था कि ये लेख प्रधानमंत्री मोदी की छवि को मलिन करने की एक कोशिश है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तब कहा था कि 2014 में भी कई विदेशी पत्रिकाओं ने मोदी की आलोचना करने वाले लेख छापे थे। 2015 में मई के अंक में भी टाइम ने प्रधानमंत्री मोदी पर कवर स्टोरी की थी और तब उसका शीर्षक था- "Why Modi Matters" हालांकि पीएम मोदी के कुछ समर्थक इसे टाइम का टीआरपी बटोरने का तरीका बता रहे हैं।