तीन बार बिकी अलीमुन्निशां, बेटे के संघर्ष ने मां सहित तीन महिलाओं को दिलाई आजादी

कानपुर की एक महिला मानव तस्करों के अंतर्राष्ट्रीय गिरोह की शिकार बन गई। उसे ओमान के मस्कट में तीन बार बेचा गया। बाद में उसके बेटे ने मां को बचाने के लिए संघर्ष किया तब जाकर उसकी मां वापस घर लौट पाईं। मां को बचाने के लिए बेटे का संघर्ष तीन और महिलाओं को उस नरक से आजाद होने का सबब बना। 
 
कानपुर के बेकनगंज में रहने वाली अलीमुन्निशां का परिवार बेहद गरीब है। यह खबर संडीला के रहने वाले एक एजेंट की हीरामन के पुरवा में ससुराल है। उसको किसी तरह से अलीमुन्निशा के परिवार की हालत पता चल गई तो उसने अलीमुन्निशां को खाड़ी देशों में काम कर जिंदगी बेहतर बनाने का सपना दिखाया। एक दिन उसने अलीमुन्निशां को बताया कि ओमान के मस्कट में एक बूढ़ी महिला अपने दो बच्चों के साथ रहती है और उसे देखभाल करने के लिए एक महिला की जरूरत है। अलीमुन्निशां को बताया गया कि केवल उस बूढ़ी महिला की देखभाल करने, उसे समय पर दवाई देने और बच्चों का ख्याल रखने का काम करना है जिसके लिए उन्हे हर महीने 16 हजार की पगार दी जाएगी। गरीबी की मार झेल रहीं अलीमुन्निशां इस काम के लिए हामी भर दी। 
 
एजेंट के चंगुल में फंस चुकी अलीमुन्निशां पिछले साल अक्टूबर में कानपुर से मुंबई पहुंची और फिर वहां से मस्कट। वहां जाकर उन्हे पता चला कि वहां की दो महिलाओं ने एक एजेंट के जरिए उन्हें ढ़ाई लाख में खरीदा था। वो दोनो महिलाएं अलीमुन्निशां को मस्कट के एक ऑफिस में ले गईं जहां उन्हे एक आदमी के हाथों तीन लाख में बेच दिया गया। 
 
वह आदमी अलीमुन्निशां को अपने घर ले गया और जोर-जबर्दस्ती करनी चाही मगर अपनी वहशियाना हरकतों में नाकाम रहने के बाद उसने अलीमुन्निशां को इतना पीटा कि वह बेहोश हो गईं। 
 
अगले दिन वह आदमी अलीमुन्निशां को उसी ऑफिस में वापस कर आया जहां उनका सौदा किया गया था। उसके बाद उन्हे फातिमा नाम की एक औरत को बेचा गया। उनसे जानवरों की तरह काम लिया गया और खाने के लिए दो रोटी भी ठीक से मयस्सर नही होती। इन सबके बीच नवंबर के महीने में अलीमुन्निशां के बेटे मोहसिन खान को अपनी मां की इस हालत का पता लगा। मोहसिन ने अपनी मां को उस नरक से आजाद करने का बीड़ा उठाया। उन्होने दिन-रात कोशिशे कर अपनी मां को छुड़ाने का अभियान चलाया तब जाकर उनकी मां 25 अगस्त को घर वापस आ पाईं। 

देश के कई इलाकों की महिलाएं भी तस्करों के जाल में फंस कर गुलामी करने को मजबूर हैं-
 
मोहसिन को सामाजिक कार्यकर्ता विजयलक्ष्मी का साथ भी मिला। उन्हे पता चला कि उनकी मां जैसी तमाम महिलाएं पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु आदि जगहों से जाकर वहां उनकी मां की तरह कैद हो गई हैं। मोहसिन की कोशिशों से उनकी मां के साथ तीन और महिलाओं को उस नरक से आजादी मिली और वह हिंदुस्तान वापस लौट पाईं। 

मां को छुड़ाने के बाद बाकी महिलाओं को छुड़ाने की कोशिशों में लगे हैं मोहसिन-
 
मोहसिन का संघर्ष यही खत्म नही हुआ। वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क साध कर मां के साथ रह रही बाकी महिलाओं को छुड़ाने की कोशिशों में लगे हुए हैं। 

कानपुर और लखनऊ के जिलाधिकारी को पत्र लिख कर बताई हकीकत-

मोहसिन ने कानपुर और लखनऊ के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर अपने परिवार और मां की आपबीती बताई। कानपुर के डीएम ने सीओ को आगे की कार्यवाही करने का आदेश दिया है। 
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मोहसिन की मां जिस मानव तस्कर की शिकार बनी हैं उसका संबंध मानव तस्करी करने वाले अंतर्राष्ट्रीय रैकेट से हो सकता है। 

पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि अलीमुन्निशां को बेचने वाले एजेंट की ससुराल तो हीरामन का पुरवा में है लेकिन उस एजेंट का खुद का कोई स्थायी पता नहीं है। ससुराल वालों ने एजेंट को संडीला का रहने वाला बताया है लेकिन जब संडीला में तहकीकात की गई तो मालूम हुआ कि एजेंट अपनी मां के साथ नही रहता और अपना पता ठिकाना लगातार बदलता रहता है।