नेपाल के कड़े तेवरों के बावजूद भारत ने किया ऐसा नेक काम कि वहां भी हो रही देश की तारीफ


नेपाल ने भारत पर कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए फिर से दो बार्डर आउट पोस्ट (बीओपी) स्थापित की हैं। चितवन के माणी नगर पालिका क्षेत्र में नेपाल ने दो प्राथमिक स्कूलों को खाली कर बीओपी स्थापित की हैं। यह नेपाल की भारत को रणनीतिक आधार पर घेरने की तैयारी बताई जा रही है। नेपाल इससे पूर्व भी दार्चुला व बैतड़ी में 12 से अधिक बीओपी स्थापित कर चुका है। लेकिन इसके बावजूद भारत ने कल दरियादिली दिखाते हुए एक ऐसा कारनामा अंजाम दिया कि नेपाल में भारत की तारीफ हो रही है। भारत ने नेपाल की माहभर की एक बीमार बच्ची की जान बचाने के लिए तमाम नियम-कानून और विवादों को दरकिनार कर सोमवार दोपहर केवल बीस मिनट के लिए अंतरराष्ट्रीय झूला पुल खोला। पुल खुलते ही सीमा पार बेटी को तड़पते देख रहे माता-पिता को जैसे नये प्राण मिल गए।

महज 20 मिनट के लिए झूला पुल खुलने पर दोनों देशों के 138 लोगों ने पुल से आवाजाही की। एसएसबी के इंस्पेक्टर कश्मीर सिंह ने बताया कि बीमार बच्ची को इलाज के लिए भारत लाया जाना था। इसके अलावा कई अन्य लोगों ने भी भारत और नेपाल में आवाजाही करनी थी। मामले की गंभीरता को समझते हुए भारत और नेपाल प्रशासन के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई। जिसके बाद दोनों देशों की सहमति से पुल खोलने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया इस दौरान 88 लोग नेपाल से भारत और 50 लोग भारत से नेपाल गए।

भारत से लगे नेपाल के मल्लिकार्जुन गांव की बच्ची का लंबे समय से दार्चुला के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। बच्ची की आंतों में गांठें बनने के कारण उसकी हालत गंभीर हो गई है। इसे देखते हुए नेपाल के चिकित्सकों ने परिजनों को उसे भारत ले जाने की सलाह दी। लेकिन झूलापुल बंद होने के कारण परिजन ठिठक गए। बाद में नेपाल के समाजसेवियों के जरिये परिजनों ने पिथौरागढ़ जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई तो भारतीय अफसरों ने मासूम की जिंदगी की खातिर तत्काल झूला पुल खोलने के आदेश दिए।