लॉकडाउन में नही मिला काम तो बालिका वधू के डायरेक्टर आजमगढ़ में बेच रहे सब्जी


मोहम्मद रफी का गाया और साहिर लुधियानवी का लिखा एक गीत है- वक़्त से दिन और रात, वक़्त से कल और आज, वक़्त की हर शै गुलाम, वक़्त का हर शै पे राज। यकीनन हर शख्स वक्त का ही गुलाम है और वक्त इंसान का क्या से क्या बना दे और कहां से कहां पहुंचा दे ये कहा नही जा सकता। आजमगढ़ में ठेला लगा कर सब्जी बेच रहे रामवृक्ष गौड़ को देख कर मोहम्मद रफी का यह गाना बरबस याद आ जाता है। रामवृक्ष गौड़ टीवी के मशहूर सीरियल बालिका वधू के डायरेक्टर हैं। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगा तो उनके पास काम खत्म हो गया। बेरोजगारी की हालत में अपना और परिवार का पेट पालने की जिम्मेदारी ने उन्हे सड़क पर ठेला लगा कर सब्जी बेचने को मजबूर कर दिया। 

मुंबई में संघर्ष कर हासिल की थी कामयाबी- 
रामवृक्ष सुजाता, कुछ तो लोग कहेंगे, इस प्यार को क्या नाम दूं, बालिका वधू जैसे मशहूर सीरियलों का निदेशन कर चुके हैं। उन्होने अपनी जिंदगी के बीस साल मायानगरी मुंबई में व्यतीत किए। मार्च के महीने में वह अपने परिवार के साथ अपने गांव आजमगढ़ आए। यहां वह एक फिल्म की शूटिंग करने की योजना बना रहे थे। तभी कोरोना महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हो गई और वह यहां फंस गए। 

अपनी प्रतिभा के दम पर बनाई अपनी पहचान-
रामवृक्ष ने मुंबई में बहुत संघर्ष किया। सबसे पहले उनको लाइट विभाग में काम मिला। उसके बाद उन्हे टीवी के कुछ प्रोडक्शन हाउसों में काम करने का मौका मिला और उसके बाद वह निर्देशन के क्षेत्र में उतर गए जहां अपनी प्रतिभा के दम पर उन्होने एक नई पहचान बनाई।
सहायक निर्देशक के रूप में कर चुके हैं काम-
रामवृक्ष मशहूर अभिनेता रणदीप हुड्डा, सुनील शेट्टी, राजपाल यादव जैसे कलाकारों की फिल्मों में सहायक निर्देशकर के रूप में काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह हमार सौतन हमार सहेली, झटपट चटपट, सलाम जिंदगी, हमारी देवरानी, थोड़ी खुशी थोड़ा गम, पूरब पश्चिम, जूनियर जी आदि टेलीविजन के शो के निर्देशन का भार भी संभाल चुके हैं। 

लेकिन वक्त हमेशा एक सा नही रहता। कोरोना महामारी के दौर में बर्बाद हुए लोगों में रामवृक्ष जैसे मशहूर डायरेक्टर का नाम भी शामिल हो गया है। फिलहाल उनके पास कोई काम न होने से बेरोजगारी का संकट पैदा हो गया। कोविड-19 संक्रमण के चलते फिल्म और सीरियलों की शूटिंग लंबे दौर तक ठप्प रही है। इस दौरान उनके पास कोई प्रोजेक्ट भी नही आया। हालात से मजबूर हुए रामवृक्ष सब्जी बेच कर अपना और परिवार का पेट पाल रहे हैं।