चीन ने बनाई बॉर्डर पर आधुनिक बैरक, क्या हो सकता है युद्ध का आगाज़?


भारत और चीन के बीच जारी लंबे समय से सीमा विवाद के बीच अब चीन सीमा पर आधुनिक बैरक बना रहा है। जिससे अब देश की सुरक्षा को लेकर मंथन होने लगा है कि क्या आने वाले समय में स्थिति और बिगड़ सकती है। पड़ोसी देश ने अपने सैनिकों और हथियारों को रखने के लिए इन बैरकों का निर्माण किया है। चीन की सरकारी मीडिया रिपोर्ट में 'युद्ध की तैयारियों' जैसे शब्दों का भी जिक्र है। लद्दाख सीमा पर चल रहे वर्तमान तनाव के बीच चीन ने इन नवनिर्मित स्थायी बैरकों का तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में पीएलए के सैनिकों के लिए निर्माण किया है। 
 
सैटेलाइट तस्वीरों से पता चल रही चीनी सेना की गतिविधियां-
 
यह संभवत: पहली बार उन सैटेलाइट तस्वीरों की पुष्टि है, जो इस साल की शुरुआत में सामने आई थीं। उन तस्वीरों में नगारी क्षेत्र की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बड़े पैमाने पर निर्माण की गतिविधियों को देखा जा सकता था। हालांकि, सीमा पर कितने चीनी सैनिकों की मौजूदगी है, भले ही इसका सही जवाब नहीं मिल सका हो। लेकिन, रिपोर्ट्स और तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीनी सैनिक बड़ी संख्या में मौजूद हैं। ये बैरक 1962 के भारत-चीन युद्ध के प्राथमिक युद्ध मोर्चों के करीब 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बैरकों की कुछ तस्वीरों को साझा किया है। इनमें बड़ी सी इमारतों के अलावा हथियारों को रखने की सुविधाओं को देखा जा सकता है। दो अक्टूबर को जारी रिपोर्ट में कहा गया, "अधिकारियों और सैनिकों की रोजमर्रा की जिंदगी को सुगम बनाने के अलावा, ये न्यू जैनरेशन के बैरक सेवा की अवधारणा और युद्ध की तैयारियों पर भी रोशनी डालते हैं।'' 

आपात स्थिति की तैयारी कर रहा चीन-
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सैनिकों और अधिकारियों के डॉरमेट्री एरिया की सीढ़ियों और कॉरिडोर को चौड़ा किया गया है, जिससे तेजी से जवान आ सकें। इसके अलावा, युद्ध की तैयारी सामग्री वाले गोदाम और गैरेज को आपातकालीन स्थितियों में सैनिकों की तेजी से लोडिंग और उन्हें पहुंचाने की सुविधा के लिए जोड़ा गया है।
चीन के सरकारी ब्रॉडकास्टर, चाइना सेंट्रल टेलीविजन (सीसीटीवी) ने इस बारे में ब्योरा साझा नहीं किया है कि इन बैरकों को बनाने में कितना समय लगा या फिर निर्माण की शुरुआत कब हुई, लेकिन यह बताया गया है कि इन बैरकों के निर्माण में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया, जिससे इसके बनने में काफी कम समय लगा।