गैंगरेप पीड़िता के परिवार से मिलना भीम आर्मी चीफ को पड़ा महंगा, हुई FIR


रविवार को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद हाथरस गैंगरेप की पीड़िता के परिवार से मिलने गए थे। परिवार से मिलने के बाद उन्होंने सरकार से पीड़ित परिवार के लिए वाई प्लस सिक्योरिटी की मांग की थी। आज चंद्रशेखर पर एपिडेमिक डिसीज़ एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज हुई है। इसमें भीम आर्मी चीफ के अलावा चार से पांच सौ अज्ञात लोगों पर एफआईआर हुई है। हालांकि रविवार को पहले उन्हें अलीगढ़ में रोक लिया गया था लेकिन बाद में प्रशासन द्वारा पीड़िता के परिवार से मिलने जाने की उन्हें परमिशन मिल गई थी।

वहीं दूसरी ओर हाथरस में भाजपा के पूर्व विधायक राजवीर पहलवान के घर पर सर्व समाज क पंचायत बुलाई गई और इसमें गैंगरेप प्रकरण में जेल भेजे गए सभी आरोपियों को निर्दोष बताया गया है। शहर स्थित पूर्व विधायक के आवास पर आयोजित महापंचायत में राजवीर ने कहा कि बीते 14 सितंबर को घटना के समय पीड़िता और उसकी मां ने थाना और जिला अस्पताल में घटना की सच्चाई के बारे में बताया, लेकिन पुलिस ने उनके बयानों को नजरंदाज कर दिया। 

पंचायत के अनुसार पुलिस ने दबाव में आकर गैंगरेप जैसी धाराओं में लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। पूर्व विधायक ने कहा कि हकीकत कुछ और ही है। इसके बारे में पूरा जिला जानता है। उन्होंने मीडिया पर भी नाराजगी जाहिर की। कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जांच के आदेश दिये हैं। अब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि एसआईटी के अधिकारियों से बातचीत हो चुकी है। वह आरोपी परिवारों का बयान दर्ज करेगी।

महापंचायत के दौरान गैंगरेप में जेल गये चारों आरोपियों के परिजनों को बुलाया गया। सभी परिजनों ने मंच पर आकर पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया। उन्होंने मंच से साफ-साफ कहा कि अगर उनके बेटे दोषी है तो पुलिस चौराहा पर ले जाकर सीधे उन्हें गोली मार दी जाए। उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन उनके बेटों को निर्दोष होते हुए फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार के हिसाब से उनके बेटे अपना नार्को टेस्ट कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन पीड़ित परिवार नार्को टेस्ट से क्यों इंकार कर रहा है। जबकि डर उनके बेटों को होना चाहिये। अब खुद को पीड़ित बताने वाला परिवार सीबीआई जांच से भी इंकार कर रहा है।

वहीं इस केस की जांच में एफएसएल की रिपोर्ट पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सवाल उठाया है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करसे हुए सीएमओ डॉ. अजीम मलिक ने कहा कि कथित रूप से बलात्कार के 11 दिन बाद नमूने एकत्र किए गए थे, जबकि सरकारी दिशा-निर्देशों में सख्ती से कहा गया है कि घटना के 96 घंटे बाद तक केवल फॉरेंसिक सबूत पाए जा सकते हैं। ऐसे में अगर पुलिस कह रही है कि रेप नहीं हुआ है, तो इसका कोई मतलब नहीं रह जाता है।