सार्वजनिक जगहों पर प्रदर्शन के लिए अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट



सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी सार्वजनिक जगह पर अनिश्चित काल तक कब्जा नही किया जा सकता। जस्टिस संजय किशन कौल, अनिरुद्ध बोस और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने शाहीन बाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन से संबंधित एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह बात कही। 

क्या कहा कोर्ट ने-
शीर्ष अदालत ने कहा कि विरोध करने का अधिकार संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार है, लेकिन इसे अन्य नागरिकों के लिए बाधा उत्पन्न करने के लिए इस तरह से प्रयोग नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सड़कों के ऐसे अवरोधों को हटाना प्रशासन का कर्तव्य था। इस संबंध में प्रशासन की निष्क्रियता ने अदालत के हस्तक्षेप को रोक दिया, खंडपीठ ने सुनवाई की। आदेश में कहा गया है कि प्रशासन को सड़कों और मालवाहक रास्तों से अवरोध हटाने का अपना कार्य पूरा करना चाहिए और ऐसा करने के लिए अदालत के आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “शाहीन बाग़ को खाली कराना दिल्ली पुलिस की ज़िम्मेदारी थी। विरोध प्रदर्शनों के लिए किसी भी सार्वजनिक स्थान का अनिश्चितकाल के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, चाहे वो शाहीन बाग़ हो या कोई और जगह। प्रदर्शन निर्धारित जगहों पर ही होने चाहिए।“

कई महीनों तक चला था शाहीन बाग में प्रदर्शन- 
सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने शाहीन बाग में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन कई महीनों तक चला था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाली एक मुख्य सड़क को महीनों तक ब्लाक रखा और वहीं दिन-रात बैठे रहे। सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित कई याचिकाएं दायर की गईं जिस पर शीर्ष कोर्ट ने अपना आदेश 21 सितंबर को सुरक्षित कर लिया। कोर्ट ने कहा था कि विरोध-प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से किया जा सकता है लेकिन ’विरोध-प्रदर्शन का अधिकार निरंकुशता पूर्ण नहीं है. यह एक अधिकार है।’
याचिकाकर्ता अमित साहनी और शशांक देव सुधी ने शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन के खिलाफ याचिका डाल कर कोर्ट से मांग की थी कि वह प्रदर्शनकारियों को वहां से हटने का आदेश दे। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि महीनों से चल रहे इन विरोध प्रदर्शन के चलते लोगों को आने-जाने में तकलीफ हो रही है। 
सुप्रीम कोर्ट ने वार्ताकारों की एक टीम को प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के लिए कहा था। वार्ताकारों - वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और अधिवक्ता साधना रामचंद्रन - ने 26 फरवरी को अदालत के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। कोविड-19 महामारी के कारण, कई महीनों से चल रहे शाहीन बाग के प्रदर्शन को खत्म करना पड़ा और इस साल की शुरुआत में विरोध स्थल को साफ़ करना पड़ा था।