योगी के राज : नल से पानी भर रही 7 माह की गर्भवती दलित महिला की हत्या

योगी राज में मनु स्मृति का दौर वापस लौट आया है। लखीमपुर खीरी जिले में 7 महीने की गर्भवती दलित महिला की सवर्णो ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। इस महिला का कुसूर केवल यह था कि वह ब्राह्यणों के परिवार के बाहर लगे नल से पानी भरने गई थी। आरोप है कि सवर्ण ब्राह्यण परिवार काफी दबंग है और पुलिस ने आरोपियों के साथ मिल कर तहरीर में झूठे तथ्य लिखवाए और पीड़िता के परिवार के सदस्यों से जबरन हस्ताक्षर करवा लिए। यह दलित परिवार इस कदर भयभीत है कि परिवार के सभी सदस्य गांव से पलायन करना चाहते हैं। 

क्या है मामला-
घटना लखीमपुर खीरी के बर्निया गांव की है। यहां रहने वाली अति पिछड़े कहार समुदाय की शालू सरकारी हैंडपंप से पानी लेने गईं थीं। यह हैंडपंप गांव के ही दबंग सुशील मिश्रा के घर के सामने लगा हुआ है। इस परिवार की गुंडई से सारा गांव परेशान है और ये लोग अपने घर के सामने लगे हुए हैंडपंप से किसी भी कथित निचली जाति के परिवारों को पानी नहीं लेने देते हैं। आरोप है कि इस हैंडपंप से पानी लेने के कारण गांव के ही अति पिछड़ी कहार जाति के मनोज कुमार के परिवार से सुशील मिश्रा और उनके परिवार के सदस्यों का झगड़ा हो गया। इस विवाद में सुशील मिश्रा ने मनोज कुमार के घर में घुस कर 30 वर्षीया शालू की पीट-पीट कर हत्या कर दी। शालू 7 माह की गर्भवती थी। 
इस घटना में मनोज कुमार और उनकी मां को भी चोटें आईं हैं। 

सवर्णो के साथ मिली पुलिस ने एफआईआर में दिखाया खेल-
सुशील मिश्रा का परिवार काफी दबंग है और वह पंचायत मित्र के पद पर भी है। उसकी दबंगई और सत्तारूढ़ पार्टी के साथ जुड़ा होने के रसूख के कारण स्थानीय पुलिस भी उसी के पक्ष में आ खड़ी हुई। आरोप है कि घटना स्थल पर पहुंची पुलिस ने अपनी मन मर्जी के मुताबिक तहरीर लिखवाई और हत्या के मामले को गैर इरादतन हत्या में बदल दिया। 
इस घटना के बाद से पीड़ित परिवार बहुत डरा हुआ है। ये लोग गांव से पलायन की योजना भी बना रहे हैं। सवाल यह भी है कि क्या यूपी में संविधान और आजादी के कोई मायने नहीं रह गए हैं। क्या छुआछूत का वह पुराना दौर वापस लौट आया है जब दलितों को सार्वजनिक कुंओं और तालाबों से पीने का पानी भी नही लेने दिया जाता था।