NO VOTE - नो अधिकार

वैसे तो इस बार भी चुनाव आयोग ने हर संभव कोशिश की थी,लेकिन इसके बावजूद भी ऐसे लोगों की कमी नहीं रही,जो मतदान करने में रूचि दिखाते।चुनाव के चौथे चरण में इतना कम वोटिंग परसेंटेज एक चिंता का विषय बन गया है| इससे ये लगता है कि लोग पोलिंग बूथ तक जाना और वोट डालना अपनी शान के खिलाफ मानते हैं। हैरानी की बात यह है कि ऐसे लोगों के पास वोट ना डालने के बहाने भी कुछ कम नहीं है।हर किसी के पास बहाने तैयार रहते है और बहाने भी ऐसे कि जिन्हें सुनकर आप भी सोचने लगेंगे कि क्या वाकई में वोट डालना सही नहीं है?इसके पहले भी चुनाव आयोग ने अपने एक सर्वे के दौरान यह पता लगाने की कोशिश की थी,कि आखिर लोग वोट डालने क्यों नहीं जाते है?इसके पीछे उनकी दलील या बहाने क्या होते हैं?कुछ पुराने लोगो का कहना ऐसा भी है और जिनका ये मानना भी है कि अगर हम मतदान नहीं करते है और बाद में जो सरकार बनती है वो आपकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाती है, तो फिर आपको उस सरकार या उसके नेताओं को कुछ कहने का भी कोई हक नहीं है। यानी पहले अपनी जिम्मेदारी निभाइए और उसके बाद आवाज उठाइए|

“जनमानस भड़ास” ने जब कुछ लोगों से बातचीत की तो पता लगा कि.....

मेरा एक वोट क्या कर लेगा?

चुनाव में एक-एक वोट मायने रखता है, यह बात हर वोटर को समझनी चाहिए। यह एक-एक वोट ही हार-जीत तय करता है|एक वोट ही बदलाव का कारण होता है। अगर हर आदमी यह सोच लें कि मेरे एक वोट से क्या होगा?तब तो कोई वोट डालने ही नहीं जायेगा|लोकतंत्र ने प्रयेक भारत के नागरिक को जो सबसे बड़ी ताकत दी है वो है उसका मताधिकार| ऐसे में अपने इस अधिकार का प्रयोग न करना गलत है। आपका एक वोट कितना कीमती है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस एक वोट को हासिल करने के लिए जहां नेता आपके घर के चक्कर काटते हैं,वहीं चुनाव आयोग को इस इंतजामों पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं और यह पैसा भी आम आदमी के द्वारा टैक्स के रूप में जमा कराया गया पैसा होता है।अन्य लोग भी यही सोच लेते तो शायद कोई भी वोट डालने नहीं जाता|

कौन लगता लम्बी लाइन में?

वोट ना डालने का यह बहाना कई लोगों के मुंह से सुनने को मिला है, लेकिन जरूरी नहीं था कि अगर आप वोट डालने बूथ पर जाते तो वहाँ लंबी लाइन लगी होती, हो सकता था कि आप जाते औैर वहां ज्यादा लोग ना होते और आप महज 5-10 मिनट में वोट डालकर बूथ से बाहर निकल आये होते । वैसे भी जब से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग का सिस्टम बना है तब से वोटिंग में बेहद कम वक्त लगता है।

हॉलिडे मिला था,फैमिली के साथ घूमना था

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में कल हुई इतनी कम वोटिंग के कारण को पहचानते हुए आज जनमानस भड़ास ये बात जो लोग वोट डालने नहीं गए उन लोगों से कहना चाह रहा है कि छुट्टी तो आप हर वीक एंड पर मना सकते हैं और वोटिंग वाले दिन भी आपको कोई दिनभर तो लगना नहीं था। दोपहर में जब भीड़ थोड़ा कम होती तब वोट डाल आते या थोडा सा इन्तजार तो कर ही सकते थे- लाइन में लगकर|जब आप आपने बच्चे के एडमीशन के लिए या हॉस्पिटल में इलाज के लिए या अपने बॉस के कोई काम कहने पर उसे करने के लिए जब वेट कर सकते है तो यह तो परिवर्तन का सवाल था और वोट डालने के बाद तो बाकी का दिन आपका ही होता|ये मत भूलिए कि अगर ये मतदान दिवस न होता तो आपको मिल गया होता ये हॉलिडे|

बहुत धूप थी,कौन जाता इतनी धूप में?

उत्तर प्रदेश के राज्यों में हुई इतनी कम वोटिंग पर सवाल उठाते हुए और उसके कारण को पता करते हुए ये बात सामने आई है कि लोग अपने घर से इसलिए भी बाहर नहीं निकले कि धूप बहुत है, थोड़ी देर बाद चले जायेंगे अपर बाद में भी बिजी होने या आराम करने के करना वो लोग नहीं निकल सके| सवाल ये उठता है कि अगर वो लोग 5-10 मिनट धूप में खड़े होकर लाइन में लग जाते तो क्या हो जाता,पर बात ये नहीं है|बात है-जिम्मेदारी की,जब कोई व्यक्ति किसी के प्रति जिम्मेदार नहीं होता है, तो ऐसा ही करता है|

आज “जनमानस भड़ास” उन लोगो पर चिंतित है,जो वोट डालने नहीं गए क्यों कि बात सिर्फ वोट डालने की नहीं है,बात है कि आप कितना जागरूक है? चुनाव आयोग के साथ ही साथ अन्य माध्यमो से जागरूक कराये जाने के बाद भी जब ये वोटिंग परसेंटेज रहा है, तो सोचो,अगर ये सब न किया गया होता तो क्या होता? इसके साथ ही साथ जनमानस भड़ास उन सभी लोगो को जो वोट डालने नहीं गए,बताना चाहता है कि कुछ लोग ऐसे भी रहे है जिनका वोटर लिस्ट में नाम न आने से उन्हें बहुत आक्रोश भी है और उनके भरसक प्रयत्न करने पर भी सम्बंधित विभाग के माध्यम से उचित कार्यवाही न होने के कारण वो लोग वोट नहीं दे सके|

आज “जनमानस भड़ास” पोलिंग बूथ पर देखे गए उन सभी लोगों को सलाम करता है जो उम्रदराज़ या किसी दुर्घटनावश या शारीरिक समस्या के कारण चलने में असमर्थ होने के बावजूद भी व्हीलचेयर या अन्य लोगो का सहारा लेकर अपने मताधिकार का कर्त्तव्य निभाने आये|

“ऐसे लोगों को कोई अधिकार नहीं हैं कि वो अपने या अपने बच्चो के भविष्य के लिए किसी भी तरह का सरकारी/गैरसरकारी सुविधाओं या अधिकारों कि मांग करें क्योंकि जब ये लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं उठा सकते हैं तो उन्हें भी ये हक़ नहीं मिलना चाहिए|”

जिन लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है,”जनमानस भड़ास” उनका एक बार फिर से आभार प्रगट करता है और जिन्होंने नहीं किया उनको 21 तोपों की सलामी.....

भड़ास अभी बाकी है....