आखिर ये डर है क्यों??

आज हमारे देश में एक विकट समस्या के रूप में आतंकवाद ने सभी भारतवासियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है|व्यक्ति और समाज को भय तोड़ता है,खोखला करता है और आतंक अपनी ओर खींच ले जाता है,जो अपना सीधा प्रहार संस्कृति पर करता हैं|संस्कृति किसी समाज की आत्मा है। आत्मारहित समाज निर्जीव और निष्क्रिय है।


आतंकवाद नकारात्मक मानसिकता का विकास है।


हकीकत तो यह हैं कि आज वर्गभेद, सांप्रदायिकता, शोषण, चरित्रहनन के उदाहरण इस जोश और निरर्थक साहस के साथ सामने आ रहें है क्योंकि निष्ठावान, कर्मठ, सत्यवादी, परिश्रमी और नागरिक का अपना विश्वास डगमगा उठा है। वह या तो डरता है अथवा इसको ढाल बनाकर अपने लिए इस्तेमाल करता है।


"जनमानस भड़ास" अपने व्यूवेर्स से अपील करता है कि आज चारों ओर डर और आतंक फैला हुआ है|यदि हमें इस डर और असुरक्षा के वातावरण से मुक्त होना है तो हम सभी को निर्भीक होकर आगे आना होगा और समस्त समाज-विरोधी शक्तियों का सिर कुचलना होगा| हिंसा का उत्तर हिंसा से दिया जाना आवश्यक नहीं है,लेकिन इसे चुपचाप सहना भी सही नहीं है|यदि हम सभी एकजुट हो जायेंगे तो कोई भी षडय़ंत्र सफल नहीं हो सकता।हमें आतंकवाद का भूत तभी तक भयभीत कर सकता हैं,जब तक हमारे मन में डर है।आखिर ये डर हैं किससे और क्यों?


भड़ास अभी बाकी है....