जनता का धन है लूट सके तो लूट

मोदी सरकार कथित विकास के नाम पर सार्वजनिक संपत्तियों को अपने चहेते उद्योगपतियों के हाथों बेच कर चुनावी कर्ज चुकाने पर अमादा है। इसी क्रम में लखनऊ का एयरपोर्ट अडाणी को बेच दिया गया है। आगामी 1 नवंबर से लखनऊ के चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट पर अडानी का अगले 50 सालों तक के लिए कब्जा होगा। 

एयरपोर्ट की सुविधाएं बेहतर करने के नाम पर बेच दिया-
यह एयरपोर्ट यात्री सुविधाओं को बेहतर करने के नाम पर बेचा गया है। अब यहां भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण की बजाए अडानी लखनऊ इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड का नाम लिखा मिलेगा। केवल एयर ट्रैफिक कंट्रोल का जिम्मा पूर्व की तरह एटीसी और परिसर की सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल संभालेंगें।
गौरतलब है कि लखनऊ एयरपोर्ट पर हर रोज तकरीबन 50 से ज्यादा घरेलू विमान आते-जाते हैं। इसके अलावा प्रतिदिन 6 से 7 तक अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें यहां से संचालित होती हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर मौसमी बाधा या किसी अन्य कारण से वायु यातायात बाधित होता है तो विमानों की आपात लैंडिंग लखनऊ एयरपोर्ट पर ही होती है। 

चार एयरपोर्ट बेच दिए अडानी को-
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अडानी के हाथों जयपुर, तिरूअनन्तपुरम, अहमदाबाद और मंगलुरू एयरपोर्ट को बेच चुकी है। लखनऊ एयरपोर्ट के लिए सबसे अधिक बोली अडानी समूह ने ही लगाई थी। इस एयरपोर्ट की सालाना क्षमता 50 लाख यात्रियों की है। यहां सरकारी खर्च से 1300 करोड़ रूपये का एक नया टर्मिनल भी बनाया जा रहा है। इसके अलावा यहां के रनवे का विस्तार किया जा रहा है और टैक्सी वे का निर्माण भी हो रहा है। यह सभी निर्माण सरकारी खजाने से हो रहा है। बताया जा रहा है कि अडानी को सौंपने से पहले यह सभी निर्माण पूरे कर लिए जाएंगे।