रोमन कैथोलिक चर्च अब समलैंगिकता को क्यों दे रहा है मान्यता

[अमितेश अग्निहोत्री]
पोप फ्रांसिस ने एक डाक्यूमेंट्री फिल्म में समलैंगिक विवाहों की वकालत की है। यह कैथोलिक चर्च के इतिहास की सबसे बड़ी घटना बताई जा रही है। रोमन कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च गुरू के इस स्टैंड ने कैथोलिक चर्च की उस नीति को बदलने का रास्ता तैयार कर दिया है जो यह मानता था कि विवाह केवल विपरीत लिंग यानी स्त्री और पुरूष में ही संभव है। 
पोप ने कैथोलिक चर्च की सैकड़ों सालों की परंपरा को तोड़ दिया है। उन्होने रोमन फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन करते समय कहा कि वह मानते हैं कि समलैंगिक लोग भी ईश्वर की संतानें हैं। पोप फ्रांसिस के इस बयान की काफी सराहना हो रही है। खासकर कैथोलिग ईसाइयों के वह तबका जो एलजीबीटी समुदाय से ताल्लुक रखता है इस बयान के समर्थन में उतर आया है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि पोप फ्रांसिस अभी भी चर्च के अंदर समलैंगिक विवाह के खिलाफ हैं और अपने इस स्टैंड पर उन्होंने कोई बदलाव नही किया है। 
पोप फ्रांसिस इससे पहले जून 2016 में कह चुके हैं कि समलैंगिक लोगों से कैथेलिक चर्च ने जिस तरह का व्यवहार किया है उसके लिए चर्च को माफी मांगनी चाहिए। 
इससे पहले रोमन कैथोलिक चर्च समलैंगिकता को एक पाप मानता था। बाइबल में सोडोम नाम के एक शहर का जिक्र है, जिसे भगवान ने खुद तबाह किया था। किस्सा कुछ यूं है कि जब इस शहर में पाप बढ़ने लगा तो भगवान ने इसकी पड़ताल के लिए कुछ देवदूत भेजे लेकिन यहां के पुरुषों ने इन देवदूतों का ही बलात्कार करना चाहा। वे उनके साथ समलैंगिक संबंध बनाना चाहते थे। भगवान इससे नाराज हुए और उन्होंने इस शहर को तहस-नहस कर दिया। गौरतलब है कि मुसलमान भी इस कहानी को मानते हैं और इस्लाम के हिसाब से समलैंगिकता एक पाप है। हालांकि रोमन कैथोलिक मान्यताओं के उलट ऑर्थोडॉक्स चर्च समलैंगिकों के स्वागत की बात करते हैं। इस चर्च की मान्यता के मुताबिक अगर समलैंगिक जोड़ों को एक दूसरे से अलग किया गया तो ये इनके मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। प्रोटेस्टेंट चर्च भी समलैंगिकता को लेकर उदार रवैया अपनाते हैं और समलैंगिक लोगों की शादी भी धूम-धाम से करते हैं।

रोमन कैथोलिक चर्च समलैंगिकता को मानता है विकृति-
इससे पहले भी रोमन कैथोलिक चर्च समलैंगिकता को एक विकृति मानता रहा है। मई 2011 में रोमन कैथोलिक बहुल देश ब्राजील में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक वैवाहिक संबंधों को मान्यता दी तो रोमन कैथोलिक चर्च ने इसका कड़ा विरोध किया। ब्राजील दक्षिण अमेरिका का ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा समलैंगिक जोड़े मौजूद हैं। एक अनुमान के मुताबिक ब्राजील में तकरीबन 60,000 समलैंगिक जोड़े मौजूद हैं। हालांकि रोमन चर्च इस फैसले से भड़क गया लेकिन ब्राजील की राष्ट्रपति दिल्मा रोसेफ समलैंगिकों को ज्यादा अधिकार दिए जाने के पक्ष में थी तो चर्च का विरोध परवान नही चढ़ सका।

समलैंगिकों से घृणा करता रहा है कैथोलिक चर्च-
फरवरी 2019 में एक फ्रांसीसी पत्रकार फ्रेडरिक मार्टेल की नई किताब बाजार में आई जिसका शीर्षक था- इन द क्लाजेस्ट ऑफ द वेटिकन। इस किताब में वैटिकन और रोमन कैथोलिक चर्च के समलैंगिकता के प्रति दोहरे रवैये और रोमन कैथोलिक चर्च के पादरियों के आपस में समलैंगिक संबंधों और चर्च में पुरूष वैश्याओं की उपस्थिति के बारे में खुलकर लिखा गया है। इस किताब में मार्टेल ने दावा किया था कि जो पादरी समलैंगिकता का जितना ज्यादा विरोधी होगा उसके समलैंगिक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी। मार्टेल की यह किताब 8 देशो और 20 भाषाओं में प्रकाशित करने की योजना पर काम चल रहा है। इस किताब के लिए मार्टेल ने तकरीबन 1500 लोगों का साक्षात्कार लिया जिनमें 200 पुजारी, 41 कार्डिनल और 52 बिशप, राजनयिक अधिकारी, गार्ड और अन्य वेटिकन में रहने वाले अन्य  लोग शामिल थे। मार्टेल खुद भी समलैंगिक हैं। उन्होने अपनी किताब में ख़ुलासा किया है कि स्वर्गीय कोलंबियाई कार्डिनल अल्फोंसो लोपेज भी समलैंगिक वेश्याओं का इस्तेमाल करते थे, जबकि वो चर्च के समलैंगिकों के ख़लिफ़ रहने वाले विचारों का समर्थन करते थे।

 रोमन कैथोलिक चर्च के पादरियों पर दुनिया भर में यौन शोषण के आरोप लगते रहे हैं। यहां तक कि इस चर्च के तमाम पादरी बच्चों के यौन शोषण में शामिल भी पाए गए हैं। पोप फ्रांसिस की समलैंगिक विवाह को स्वीकृति देने वाला कथन निश्चय ही रोमन कैथोलिक धर्म को मानने वाले एलजीबीटी समुदाय के लिए जीत की खबर है।