मज़बूरी...में खो रहा...बचपन

हमारी सरकारें देश का भविष्य कहे जाने वाले बचपन को संवारने के क्रम में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। आए दिन नए-नए कानून, नई-नई योजनाओं और परियोजनाओं की घोषणाएं होती रहती हैं। घोषणाओं पर गौर करें तो ऐसा लगता है जैसे देश की सभी सरकारों की केंद्रीय चिंता का विषय ही बच्चे हैं। यह अलग बात है कि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

 

 

आखिर ऐसा क्यों है?

आज हमें यह मान लेने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि बच्चों की सुरक्षा के लिए कई तरह के कानून उपलब्ध होने के बावजूद ऐसा कोई अत्याचार नहीं है, जिससे बच्चे पीड़ित न हो रहे हो| सरकार के तमाम दावों के बावजूद हम हर शहर में बाल श्रम का शोषण होते देख सकते है। आज हजारों की संख्या में बच्चे कूड़ा बीनते देखे जा सकते हैं। कूड़ा बीनना अपने-आप में एक खतरनाक काम है| बच्चे क्या बड़े भी यह नहीं जानते कि कूड़े के ढेर से वह जो चीज उठा रहे हैं,वास्तव में वह क्या है? देश-प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कबाड़ और कूड़े में विस्फोट से कई हादसे  सामने आ चुके हैं। मासूम बच्चे कूड़े के ढेर में किसी विस्फोटक पदार्थ की पहचान कैसे कर पाएंगे?

 

 

लेकिन आज भी उन बच्चों के लिए कुछ ऐसे प्रयास किये गए हों, जो इनकी परेशानियों को दूर कर सके,ऐसा कहीं दिखाई नहीं देता| आज बच्चों से कानूनी- गैरकानूनी हर तरह के काम कराए जा रहे हैं। रोचक बात ये है की ये सब हमारी आँखों के सामने हो रहा है और हम चुप-चाप इसे देखते भी जा रहे है| धार्मिक स्थलों के पास, बाजारों में, सड़कों पर और गली-मोहल्लों में भी बच्चों को भीख मांगते देखा जा सकता है। क्या हमारी सरकार भीख मांगने को एक अच्छा काम मानती है? अगर नहीं तो क्यों आज भी रोकने के इंतजाम क्यों नहीं किये जा रहे हैं? बच्चों का भीख मांगना कोई अच्छी बात नहीं है। इसके पीछे कई बड़े गिरोह सक्रिय हैं। ये गिरोह बच्चों से केवल भीख मंगवाने का ही काम नहीं करते हैं। ये बच्चों के अपहरण से लेकर उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से अक्षम बनाने और फिर उन्हें विभिन्न अवैधानिक एवं गंदे कामों में लगाने तथा उनकी कमाई पर अपना हक जमाने तक के जघन्य अपराधों को भी अंजाम देते हैं। इन गिरोहों के खिलाफ कोई गंभीर प्रयास नहीं किये जा रहें है| सिर्फ कानून बना देना और किसी अपराध के खिलाफ सजा निर्धारित कर देना ही किसी समस्या का हल नहीं है। अगर इतने से समस्याएं हल हो जातीं तो योजनाएं बनाने और उन पर अमल करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती|

 

 

आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से अपील कर रहा हैं कि हमें बालश्रम, बच्चों के शोषण या उनके खरीदे-बेचे जाने जैसी वीभत्स घटनाओं पर चुप नहीं बैठना हैं बल्कि इसका पुरजोर विरोध करना है| हमें ऐसी मुहिम चलानी हैं कि हैं कि केंद्र और प्रदेश सरकार के साथ-साथ प्रशासन इस अपराध में लिप्त लोगो को सबक सिखाने पर मजबूर हो जाये और उन  बच्चों को जो गरीबी के कारण मजबूरी में अपना बचपन गवां दे रहे,उन्हें मेधावी छात्र-छात्राओं के रूप में आगे लाने के लिए उचित शिक्षा व्यवस्था हेतु ठोस कदम उठाये|

भड़ास अभी बाकी है....