क्यों ये आज आम बात हो गयी है?

आजकल हम अक्सर अखबारों में पढ़ते हैं,टी.वी पर देखते हैं,रेप या बलात्कार की घटना आए दिन हमारे संज्ञान में आती ही हैं| कभी-कभी ये घटनाएँ दिल को झकझोंर देने वाली होती है,जैसे-गैंगरेप और तड़पाकर कर अमानवीय तरीके से की गयी हत्या, छोटी-छोटी बच्चियों से दरिंदगी,बाप या भाई या सगे सम्बन्धी द्वारा दुष्कर्म या सम्बंधित स्त्री की कोई मजबूरी का फायदा उठाकर उसके साथ बलात्कार| ये सब देख या सुनकर हम आप क्या करते हैं?कभी-कभी हमें बहुत गुस्सा भी आता है, कभी हम ज़माने को कोसते है,कभी न्याय व्यवस्था को कभी पुलिस को और फिर थोड़ी देर बाद हम इसे आम बात मान लेते है और सब भूलकर अपनी दिनचर्या में लग जाते हैं|

 

आपने कभी सोचा हैं कि,क्यों ये आज हमें आम बात लगने लगी हैं? इसे हमारे लिए आम बात बनाने वाला हैं कौन? इन घटनाओं के पीछे क्या कारण हो सकते है?

 

 

आज जनमानस भड़ास आपको कुछ ऐसे कारणों से अवगत करा रहा हैं, जिनकी वजह से बलात्कार की घटना बढती जा रही हैं और आज हमारे लिए आम बात बन गयी हैं| ये कारण है: 

पुरुषों की मानसिक दुर्बलता और सामाजिक भय में कमी


सृष्टी के सृजनकर्ता ने नर और नारी की शारीरिक संरचना भिन्न इसलिए बनायी कि यह संसार आगे बढ़ सके। लेकिन आज के परिवेश में घुलती अनैतिकता और बेशर्म आचरण ने पुरुषों के मन से स्त्री को दिया जाने वाला सम्मान ही भुला दिया है|गली-मोहल्लो से लेकर चौराहों तक आने-जाने वाली लड़कियों एवं महिलाओ पर बेहूदा कमेंट से अधिकतर पुरुषों की गिरी हुई सोच से हमारा सामना होता है। पुरुषों में बढती मानसिक दुर्बलता ही बलात्कार का कारण होता है और कहीं न कहीं आज महिलाओं के प्रति बढ़ता अपमानजनक माहौल भी पुरुष के कुकृत्य को बढ़ाने में उत्प्रेरक का काम कर रहा  है। वर्तमान में हमारी सामाजिक मानसिकता भी स्वार्थी हो रही है। फलस्वरूप किसी भी मामले में हम स्वयं को शामिल नहीं करते हैं,जिसके कारण अपराधी में सामाजिक स्तर पर डर नहीं बन पाता।

 

 

नशे की अधिकता

हम आपको पिछली भड़ास में भी बता चुके है कि बलात्कार या अन्य किसी निर्मम घटना का मुख्य कारण नशा है|यह कारण बलात्कार के 83प्रतिशत मामलों में प्रमुख वजह बनकर उभरा है। आज हर छोटे-बड़े शहर में नशा इस तरह बिकरहा  है जैसे पानी के पाऊच मिल रहे हो। शाम को  अगर आप अपने ही शहर का चक्कर लगा लें तो आप पाएंगे की सिटी के चार चौराहों के डिस्टेंस में पांच शराब की दुकाने मिलना छोटी बात है। नशा आदमी की सोच को क्षीण कर देता है। उसका स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता और उसके गलत दिशा में बहकने की संभावनाएं शत-प्रतिशत बढ़ जाती है। ऐसे में कोई भी स्त्री उसे मात्र शिकार ही नजर आती है।

निम्न प्रशासन और पुलिस सहयोग

वास्तव में प्रशासन और पुलिस कभी कमजोर नहीं होते। कमजोर होती है समस्या से लड़ने की उनकी इच्छा शक्ति। सभी जानते हैं कि बड़े कहे जाने वाले लोग जब आरोपों के घेरे में आते हैं तो प्रशासनिक शिथिलताएं उन्हें कटघरे के बजाय बचाव के गलियारे में ले जाती है। पु‍लिस की लाठी बेबस पर जितने जुल्म ढ़ाती है,सक्षम के सामने वही लाठी सहारा बन जाती है। अब तक कई मामलों में कमजोर कानून से गलियां ढूंढकर अपराधी के बच निकलने के कई किस्से सामने आ चुके हैं। कई बार सबूत के आभाव में पीड़ित को न्याय नहीं मिलता और अपराधी छूट जाता है। कई बार हम ये भी पढ़ते हैं,सुनते हैं कि बलात्कारका आरोपी इसी अपराध के लिए पहले भी पकड़ा जा चुका है/जेल जा चुका है और वह फिर वही कृत्य कर रहा है। इसका मतलब साफ है कि बलात्कार के लिए सजा देने के लिए कानून जरूरी रूप से सशक्त नहीं है, जिससे अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं। हालांकि पिछले दिनों सरकार ने बलात्कार के कानून के मजबूत बनाने की पहल शुरू की है, लेकिन आज भी कितने पीड़ित इंसाफ मिलने के इंतजार में  है। कमजोर कानून और इंसाफ मिलने में देरी बलात्कार की घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।




आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से ये सवाल कर रहा हैं कि आखिर ऐसा क्या किया जायें, जिससे रेप या बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों पर काबू पाया जा सके?

सम्पूर्ण देश में बढ़ रही बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए कड़ी क़ानून व्यवस्था के अंतर्गत न्यायलय के द्वारा कड़े दंड के रूप में अपराधी को मृत्युदंड की सजा 7 दिन के अन्दर दी जानी चाहिये,जिससे इस तरह का कुकृत्य करने की किसी की भी हिम्मत न पड़े| इसी कड़ी में यह भी महत्वपूर्ण है कि झूँठे सिद्ध होने पर याचिकाकर्ता को भी कड़े दंड मिले,जिससे झूंठे मामले चलाने वालो पर रोक लगे और इस कानून का दुरूपयोग रोका जा सके जो किसी को फंसाने,धन वसूली और ब्लैक मेल के लिए उपयोग हो सकता है|

हम सभी को महिलाओ के प्रति अपनी सोच हैं| रेप पीड़ित महिला को समाज से सहानुभूति और स्वीकारता दिलानी हैं,धिक्कार नहीं| पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए हम सभी को एकजुट होकर अपनी आवाज़ उठानी हैं|नारी (जो माँ भी-बहन भी-बेटी भी-पत्नी भी हैं) को उसका उचित सम्मान दिलाने के लिए हमें समाज में फैली कुरीतियों को दूर करना होगा|

      

“एक ऐसे देश में जहाँ नारी को देवी का ही स्वरुप माना जाता हैं, आज उसकी इतनी दयनीय दशा हम सभी के लिए शर्म की बात हैं|”

 

भड़ास अभी बाकी हैं...