मजबूरी, गरीबी और बाल तस्करी

अक्सर ऐसा कहा जाता है कि बच्चें देश का भविष्य होते हैं। लेंकिन इस वाक्य को शायद ही कोई गंभीरता से लेता होगा। शायद यही वजह है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान बाल-तस्करी के लगातार बढ़ते मामलों की हकीकत एक बार नहीं, बार-बार सामने आने के बावजूद भी हमारी सरकारें इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। बालतस्करी यानी बच्चों का अवैध व्यापार, वर्तमान समय में भारत की सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक है। भारत में बाल तस्करी होना अब एक आम बात हो गयी है। जब कि भारत सरकार ने इस ओर अपना ध्यान केन्द्रित करते हुए बहुत सारे कड़े कदम भी उठायें हैं,फिर भी सरकार द्वारा की गई सारी कोशिशें असफल रही हैं। हम अक्सर समाचारों या आस पड़ोस के माध्यम से सुनते है कि मोहल्ले या किसी जानने वालों के  बच्चे लापता हो गये है, फिर कुछ दिन तक कोई सूचना ना मिलने पर हम उन बातों को भूल जाते है| लेकिन क्या आपने कभीं जानने का प्रयास किया कि देश/प्रदेश/शहर से गायब हो रहे बच्चों के साथ क्या हो रहा है?

 

आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स को रूबरू करा रहा हैं ऐसी हकीकत से जिसे जानकर आप हैरानी में पड़ जायेंगे। हमारे देश में हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता होता है। वर्ष 2017-18 में लगभग 35,200 बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई थी, जिसमें से 8,000 से ज्यादा बच्चें तो सिर्फ उत्तर प्रदेश से थे। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल औसतन 49,500 बच्चे गुम हो जाते हैं। उनमें से कई बच्चों को शारीरिक-शोषण के लिए,बस अड्डों या रेलवे स्टेशनों पर भीख मंगवाने के लिए और मानव अंगों की तस्करी करने वाले गिरोह के पास पहुँचा दिया जाता है। इसके अलावा यह माना जाता है कि ऐसे मामलों में से केवल 30 प्रतिशत मामलों की ही रिपार्ट दर्ज करवाई जाती है जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है। बाल-तस्करी आज हमारे देश/प्रदेश में एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके तस्‍करी के पनपने के पीछे का सबसे प्रमुख कारण गरीबी है। भारत  में अधिक आर्थिक विषमता के कारण देश की आधी से अधिक जनसंख्या गरीबी से जूझ रही हैं।

 

 

गरीबी,अशिक्षा,रोजगार का अभाव और भविष्य के लिए सुरक्षा व्यवस्था का न होना आदि कारण हैं और इन कारणों को दूर करने के लिए ही बच्चे स्वयं मजबूर होकर निकलते हैं या फिर उनके अभिभावक उन्हें बाहर भेज देते हैं और अशिक्षा एवं असुरक्षा के चलते वे किसी ना किसी तरह से तस्करों के जाल में फंस जाते हैं।

 


बंधुआ मजदूर

भारत में आज भी बंधुआ मजदूरी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। जिसके सबसे ज्यादा शिकार बच्चें हो रहे हैं। बाल श्रम आमतौर पर मजदूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य कराना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, ये एक वैश्विक समस्या है। बंधुआ मजदूरी भारत में गैर कानूनी है, लेकिन इसके बाबजूद यह आज भी हमारे समाज में प्रचलित है। पैसों से तंगी झेल रहे लोग,पैसों के बदले में अक्सर अपने बच्चों को बेच देते हैं। बाल मजदूर बनाने के बाद उनसे हर तरह का काम करवाया जाता है। उन्हें न तो सही से खाने को दिया जाता है और न ही पहनने को कपड़े और न ही रहने की उचित जगह। आज  इन बच्चों को चाय की दुकानों, ढाबों, होटलों में काम करने के लिए और सड़क किनारे खान-पान के ठिकानों और घरों में किए जाने वाले कामों के अलावा कई अन्य खतरनाक व्यवसायों में भी लगाया जाता है। घरेलू नौकरियों के साथ-साथ इन बच्चों के साथ मारपीट, खाना न देना, बंद करके रखना और शारीरिक शोषण करना आदि सब भी किया जाता है। इस प्रकार बंधुआ मजदूरी के माध्यम से बच्चों का शारीरिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है।

 

 

हम सभी अपने लिविंग स्टैण्डर्ड को मेंटेन रखने के लिए फिजूल खर्च करते है। आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से अपील कर रहा है कि अगर हम अपनी फिजूलखर्ची का कुछ अंश अपने आस-पास रहने वालें बेसहारा बच्चों को अच्छा जीवन और शिक्षा दिलाने में खर्च कर दें तो उन बेसहारा बच्चों का भविष्य बन सकता है। हमें बालश्रम का विरोध करना चाहिये। अगर हमारे आस-पास छोटे बच्चों से काम कराया जा रहा है तो हमें उसे रोकना चाहिए। यहीं नही न्यायालय एवं प्रशासन के माध्यम से बाल तस्करी में संलिप्त लोगों को कठिन कारावास की सजा निश्चित रूप से मिलनी चाहिये|


“बच्चे किसी भी देश या समाज की बुनियाद होते हैं और उनके प्रति संवेदनहीनता,देश के भविष्य के लिए घातक है|

इसलिए यह जरूरी है हम बच्चों के संरक्षण एवं उनके अधिकारों की रक्षा को पहली प्राथमिकता दें|”

भड़ास अभी बाकी है...