नहीं डरेंगे हम......

आतंकवाद वर्तमान समय में भयंकर विश्वव्यापी समस्या बन गयी है। यह समस्या न केवल भारत में ही अपनी पकड़ मजबूत किये हुये है बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी यह समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। आज आतंकवाद भारत की प्रमुख समस्या में से एक है,जिसने हमारी शासन-व्यवस्था को जर्जर कर दिया है। आज आतंकवाद ने भारत की आर्थिक,सामाजिक,राजनीतिक,धार्मिक,सांस्कृतिक आदि परिस्थितियों को प्रभावित किया हुआ है।इसलिए अब इससे छुटकारा पाना हम सभी के लिये अत्यधिक आवश्यक  हो गया है| आतंकवाद शब्द का आशय है-भय एवं चिंता की स्थिति अर्थात् हिंसा द्वारा जनता में आतंक फैलाकर अपनी शक्ति प्रदर्शित करना। सिर्फ हमारे देश में ही नहीं अपितु आज विश्व स्तर पर आतंकवाद की समस्या गले की फांस बनी हुई है और सभी इससे छुटकारा पाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं|

 

 

बदलने होंगे तरीके

आज आतंकवादी अपने तुच्छ स्वार्थो की पूर्ति हेतु बेक़सूर लोगों की हत्यायें कर रहे हैं। भारतीय लोकतन्त्र को कमजोर बना रहे हैं । पंजाब, जम्मू-कश्मीर,असम,तमिलनाडु,उत्तराखण्ड,बिहार,पश्चिमबंगाल,आंध्र प्रदेश ही नही उत्तर प्रदेश भी अब इससे अछूता नहीं रह गया है| वर्तमान समय में आतंकवाद के कारण विस्फोटक स्थिति उत्पन्न हो गयी है। अत: आतंकवाद की समस्या को हल किया जा सकता है, आवश्यकता इस बात की है कि प्रशासन को सद्‌भावना एवं सहिष्णुता की भावना  को भूल कर कड़े प्रयास करने होंगे,क्षेत्रीय असमानता को दूर करना होगा, बेरोजगारी को दूर करना होगा। नवयुवकों में तीव्र असंतोष की धारणा भी आज देश में आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है| संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था,शिक्षित बेरोजगारी,जनसंख्या वृद्धि जैसी समस्याओं ने नवयुवक वर्ग में तीव्र असंतोष पैदा कर दिया है| आज युवा वर्ग को लगने लगा है कि योग्यतानुसार नौकरियाँ नहीं मिल पा रही हैं और मेहनत-मजदूरी या नौकरी केआधार पर सम्मान के साथ सुविधाजनक जीवन अत्यन्त कठिन हो गया है और वह ये भी देखता हैं कि तस्कर और नशीले पदार्थो के व्यापारी मौज कर रहे हैं| जिसके कारण वह इन कार्यो की ओर आकर्षित होता जा रहा है।


 

 

आज जनमानस भड़ास सभी भारतवासियों से यह अपील करता है कि हमें आतंकवाद के विनाश के प्रण को सिर्फ कागजी कार्यवाही बनाकर ही रखना नहीं है बल्कि इसे जड़ से ख़त्म करने के लिए हम सभी को एकजुट होकर आगे आना हैं। जैसा कि...

“धर्म ग्रन्थ गीता में श्रीकृष्ण जी ने कहा हैं-शठे शाठ्यं समाचरेत् अर्थात् जो जैसा करे उसके साथ वैसा ही बर्ताव करो| जो तुम्हारे साथ हिंसा करता है, तुम भी उसके प्रतिकार में हिंसा करो| इसमें कोई दोष नहीं हैं क्योकि शठ के साथ शठता करने में ही उपाय पक्ष का लाभ हैं

जिस तरह आतंकवादी हमारे बेक़सूर लोगो को मारने में नहीं सोचते है, हमें भी उनके साथ ऐसा ही करना होगा| तभी इस समस्या का हल हो सकता है और देश के स्वर्णिम भविष्य की कल्पना की जा सकती है।

भड़ास अभी बाकी है...