चिट्ठी न कोई संदेश, कहां तुम चले गए...

देश/प्रदेश/शहर से आए दिन महिलाएं और युवतियां लापता हो रही  हैं । उनके परिजन थानों के चक्कर लगा-लगा कर परेशान हैं । कई बार पुलिस की सर्तकता से उनका सुराग मिल जाता है, तो उन्हें बरामद कर लिया जाता है और कई बार पुलिस भी उनकी तलाश करते-करते थक कर फाइल क्लोज  कर देती है। एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश भर में हर पांच मिनट में एक किशोरी,युवती या महिला लापता हो जाती है। इनमें से कई तो प्रेम प्रसंग के चलते, कई फिरौती  के लिए अपहरण के चलते लापता हो जाती हैं। जबकि, कितनी महिलाओ और युवतियों का तो सुराग तक नहीं मिल पाता है। आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में रोज करीब 30 महिलाएं, युवतियां व नाबालिग किशोरियां लापता होती हैं। प्रदेश में महिलाओं के इतनी तेजी से लापता होने के कारण आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स को अलर्ट करना चाहता है कि वो किसी भी घटना या हरकत को हल्के में न लें। 

 


74 परसेंट युवतियां एवं महिलाएं हैं लापता


एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में लापता हुए सभी लोगों में  सिर्फ 60 परसेंट महिलाएं थीं। इसमें 24 परसेंट लड़कियां 18 साल से कम ऐजग्रुप की थीं, जिनका आज तक  सुराग नहीं लग सका। वहीं, 74 परसेंट महिलाएं 18 से 60 साल की ऐजग्रुप की थीं। इसी साल प्रदेश से नाबालिग लड़कियों के गायब होने वाली संख्या 41,067 हैं, जो नाबालिग गायब हुए लड़कों की संख्या 22,340 से करीब दो गुनी हैं। पुलिस अधिकारियों की  मानें तो वर्ष 2016 के बाद से 2018 के बीच में लापता होने वाली महिलाओं की संख्या में कमी नहीं आ सकी है।


 

महिलाएं होती शोषण का शिकार


एक ओर हम महिलाओं को देवी का रूप मानते हैं वहीं दूसरी ओर आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश और प्रदेश में महिलाओं का ही सबसे अधिक शोषण किया जाता है। आइये एनसीआरबी के ऐसे ही आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में यूपी में महिलाओं से रेप के 4,816 मामले दर्ज हुए थे, जो पूरे प्रदेश में दर्ज आंकड़ों का 12.4 परसेंट था. सिर्फ प्रदेश की राजधानी की बात करें तो 2016 में 29 महिलाओं के अपहरण के मामले दर्ज हुए थे, 2017 में यह संख्या बढ़ कर 40 पहुंच गई थी, जो 2018 में 34 हो गई थी। वहीं, एक आरटीआई में गृह मंत्रालय से मिले जवाब के अनुसार वर्ष 2012 से 2017 के बीच यूपी में 13981 मामले रेप के, 48048 मामले महिलाओं के अपहरण के और 51027 मामले महिला उत्पीडऩ के दर्ज हुए। जबकि,16 मार्च 2018 से 30  जून 2018 के बीच ही  सिर्फ  21077 मामले महिलाओं  के अपहरण, 1410 मामले महिला उत्पीडऩ के और 5654 मामले रेप के  दर्ज किए गए। 

 

 


हमारे देश में महिलाओं को देवी का रूप माना जाता है। लेकिन, आज आंकड़े इस देवी के साथ किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रहे हैं। इसलिए,आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से अपील करता है कि हम भी समाज में एक जिम्मेदार नागरिक बन कर अपने आस पड़ोस के माहौल पर नजर रखें और कोई भी संदिग्ध हरकत होने पर पुलिस को सूचित करें ताकि कोई अन्य महिला/युवती इस लापता की भीड़ में ना शामिल हो। महिलाओं का सम्मान करें और अगर कभी कोई महिला मुसीबत में दिखे तो उसकी संभव मदद करें। 

भड़ास अभी बाकी है...