स्वर्ग में हो रहा घमासान...

 

प्रसिद्ध मुगल सम्राट जहाँगीर का ये मानना था कि अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो वो कश्मीर है। भारत के अंतर्गत आने वाला कश्मीर एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण केंद्र है। यह जगह प्रकृति के प्रेमियों के अलावा साहसिक गतिविधियों में लिप्त उत्साही लोगों के दिल में एक खास मुकाम रखती है।जम्मू-कश्मीर भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है,जिसमें श्रीनगर को ग्रीष्मकालीन राजधानी और जम्मू को शीतकालीन राजधानी माना जाता है। पर्वत श्रृंखला और हिमालय की बर्फीली वादियाँ इसकी खूबसूरती बयां करती है। साहसिक उत्साही, प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए ये अमिट छाप छोड़ने वाली जगहों में से एक है।चारों ओर बिछी हुई बर्फ की सफेद चादर, चट्टानें तथा चीड़ के पेड़ों से गिरते बर्फ के टुकड़े सच में यहाँ आने वालों को नई दुनिया का आभास कराते हैं। जिधर भी नज़रेंउठाये, हमें बस बर्फ ही बर्फ दिखायी देती है और उस पर दिखते हैं बर्फ के खेलों का आनंद उठाते हुए लोग, जो देश के विभिन्न भागों से नहीं विदेशो से भी इसकी खूबसूरती का दीदार करने आते हैं। सर्दियों में तों जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल के नजारों को हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते और इसे देखने के बाद हर शख्स बस यही कहता है- “अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है।”

यहां के लोगों का दर्द


आज हम अपनी मौज मस्ती के लिए अपने परिवार या मित्रों के साथ कश्मीर की वादियों में सुकून के पल बिताने चले आते हैं| घरती के स्वर्ग का कुछ हिस्सा पकिस्तान में भी है। जहाँ रहने वालों की स्थिति आप जान के हैरान रह जायेंगे। वहाँ के लोगों का कहना हैं कि जिस देश (पाकिस्तान) और आजादी के लिए उनके समाज के 50 हजार से ज्यादा नागरिकों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए उनकी सरकारें (पाक सरकार) आज भी उन्हें वे अधिकार देने को राजी नहीं हैं, जो वे चाहते हैं। वे अपनी मर्जी से जी भी नहीं सकते। यहीं नहीं पाक अधिकृत कश्मीर के अधिकतर क्षेत्र के  लोग भूख और अभावों से जूझ रहे हैं। वहाँ न स्कूल है और न अस्पताल। वहां बस आतंक का राज है। आतंकवादी समुदाय धर्म और मजहब के नाम पर इन लोगों को भड़काते है कि भारत का काम मुस्लिमों का कत्ल करना है। भारत में मुसलमानों का बेरहमी से कत्ल किया जा रहा है। दरअसल,पाकिस्तानी टीवी चैनल जो बताता है वे उस पर विश्वास करते हैं। शिक्षा का बुरा हाल है। स्कूलों में धर्म के बारे में पढ़ाने का दबाव बना रहता है। छात्रों को जेल में डाल दिया जाता है और स्कूलों में फायरिंग कराई जाती है। 17 फीसदी स्कूल ही बचे हैं। जो कोई आजादी की आवाज उठाता है या अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ता है, उसे उम्रकैद दे दी जाती है।


11 लाख से ज्यादा ने ली है भारत में शरण

बेरोजगारी, गरीबी, जहालत चारों तरफ पसरी हुई है। रोज जुल्म पर जुल्म हो रहे हैं। इस जुल्म और पाकिस्तान के नापाक इरादों के चलते कई कश्मीरियों ने भारत में शरण ले रखी है तो कई दूसरे मुल्क में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। पाकिस्तानी कबीलों के बर्बर हमले, कत्लेआम और जुल्मो-सितम से बचकर अनेक जगहों से भागे अल्पसंख्यकों की तीसरी पीढ़ी भी दर-दर ठोकर खा रही है| इन्हें शरणार्थी, विस्थापित, आंतरिक रूप से विस्थापित या पलायित किस श्रेणी में रखा जाए? इसे लेकर आज भी भ्रम बना हुआ है। पीओके पर तो यथास्थिति बनी हुई है, लेकिन वहां से भागे करीब 11 लाख विस्थापितों की स्थिति बद से बदतर हो चुकी हैं| भूखे-प्यासे, अधनंगे बचे लोग किसी तरह जान बचाकर भागे। कई ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। अपनी चल-अचल संपत्ति छोड़कर बदहवासी में भागे इन लोगों ने कई वर्ष इस उम्मीद में काट दिए कि कभीं न कभीं तो घरती का स्वर्ग पूर्ण रूप से भारत का होगा और वे बचा हुआ जीवन अपने घर में बितायेंगे| विस्थापितों की समस्या के निवारण के लिए भारत सरकार भरसक प्रयास कर रही हैं|

 

आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से अपील कर रहा है की जिस कश्मीर को हम सभी धरती के स्वर्ग के नाम से पहचानते हैं, उस स्वर्ग में आज हमारे देवताओं (बॉर्डर पर हमारी सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षाबल) और असुरों (धर्म और मजहब के नाम पर निर्दोषों को मौत की घाट उतारने वालें आतंकवादी) के बीच युद्ध है| आज वहाँ रहने वालों का अस्तित्व ख़तरे में हैं| हम सभी को एकजुट हो कर उनकी मदद करनी चाहिए| क्योकि जब हमें मानसिक तनाव होता हैं या अपने मित्रों या परिवार के साथ हम सुकून के पल बिताने कश्मीर जा सकते है, तो फिर आज मुसीबत में फँसे वहाँ के लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना भी तो हमारा फ़र्ज़ होना चाहिये| जिस तरह युद्ध में देवताओं की शक्तियों को बढाने के लिए ऋषि- मुनि तप और हवन करते थे, उसी प्रकार आज हम लोगों को भी ऋषि- मुनि के रूप में ही कुछ ऐसा करना चाहिए|    

भड़ास अभी बाकी है...