अच्छा ! ये है इसके पीछे

 

आज भारत की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आदि परिस्थितियों को प्रभावित करने वाला कोई और नहीं सिर्फ आतंकवाद है ।इसलिए इसे दूर करना अत्यधिक आवश्यक है। इसका उद्देश्य है हिंसा द्वारा जनता में आतंक फैलाकर अपनी शक्ति प्रदर्शित करना। हमारे देश में यह भयंकर रूप धारण किये हुये हैवर्तमान समय में आतंकयाद के कारण विस्फोटक स्थिति उत्पन्न हो गयी है, जिसके कारण प्रशासनिक व्यवस्था शिथिल हो गयी है।

 


 

इसलिए पनप रहा है आतंकवाद

प्रजातन्त्र एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें शासक एवं शासित के मध्य निरन्तर सम्पर्क की स्थिति बनी रहनी चाहिए, लेकिन पिछले कुछ सालों में ठीक इसका विपरीत हुआ है, ऐसी स्थिति होने पर भी जनता ने तो धैर्य नहीं खोया, लेकिन भारतीय शासक वर्ग में संवदेनशीलता का अभाव देखने को मिला। वह विलासिता एवं शान-शौकत में डूबे रहते हैं। जनता के दुःख- दर्द से उन्हें कुछ लेना-देना नहीं है। आम जनता की हर बात को अनसुना कर दिया जाता है। लेकिन जब वह शक्ति की भाषा को अपनाता है,तो उसकी अनुचित बात पर भी ध्यान दिया जाता है। ये शासक और शासित में संवादहीनता की स्थिति और शासक वर्ग की संवेदनशून्यता ही आतंकवाद को जन्म देने का कारण है। वहीँ दलीय राजनीति, चुनावी राजनीति और शासक वर्ग द्वारा सवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग भी आतंकवादी प्रवृत्ति को उभारने के लिए जिम्मेदार है। आधुनिक समय में आतंकवाद की जो गम्भीर स्थिति सामने है, उसके लिए अनेक कारण उत्तरदायी हैं, जिन्होंने भारत में विभिन्न क्षेत्रों में आतंकवाद को जन्म दिया है और उसे बनाये रखा है। देश की वर्तमान समय की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, कानूनी, न्यायिक और पुलिस एवं प्रशासनिक व्यवस्था ऐसी है, जो कहीं न कहीं आतंकवाद के जन्म का कारण भी है। हमारे देश में सदियों से ही अन्याय और शोषण चला आ रहा है । स्वतन्त्रता प्राप्ति और नवीन संविधान लागू होने के बाद भी इसमें कोई कमी नहीं आई है। सामाजिक-आर्थिक न्याय हेतु केवल नारेबाजी की जाती है । अनेक राज्यों में भूमिहीन श्रमिकों की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया है। भूमि सुधार कानूनों का न लागू होना नक्सलवादी आतंकवाद का ही एक रूप है। शोषित वर्ग की आवाज तब तक नही सुनी जाती जब तक कि कोई विस्फोट न हो, ऐसी स्थिति में ये लोग जनता को विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं कि ये आतंकवादी नहीं अपितु अन्याय के विरुद्ध संघर्षरत हैं, जिससे कि आतंकवादी शक्ति और बढ़ जाती है। नवयुवकों में तीव्र असन्तोष की प्रवृत्ति भी देश में आतंकवादी प्रवृत्ति को बढावा देती है। सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था में विद्यमान आपाधापी, शिक्षित बेरोजगारी, बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि जैसी समस्याओ ने नवयुवक वर्ग में तीव्र असन्तोष पैदा कर दिया है। आज हैरोइन, कोकीन जैसे अन्य नशीले पदार्थों के व्यसन से ग्रस्त नवयुवक आतंकवादियों के हाथों की कठपुतली बन रहे हैं और आतंकवादी गतिविधियो को बढ़ावा मिल रहा है।

वहीं दूसरी तरफ अवैध शस्त्र निर्माण और शस्त्र भण्डार भी आतंकवादी गतिविधियों को बढावा दे रहे हैं आज भयानक एवं आधुनिकतम शस्त्र अवैध रूप से प्राप्त कर लेना अत्यन्त सरल है और आतंकवादी इन हथियारों को सरलता से प्राप्त कर लेते हैं, इन्हीं के बलबूते पर सम्पूर्ण देश एवं राज्य में आतंक फैलाते हैं । लोगों की हत्यायें करना, साम्प्रदायिक दंगे फैलाना, सार्वजनिक इमारतों एवं पुलों को उड़ाना इन लोगों का पेशा बन गया है।

 

 

ये करना है हमें

आज जनमानस भड़ास आतंकवाद के खिलाफ इन सवालों के जवाब में कहना चाहता है कि हमें इस सिलसिले को तोड़ना है। यदि  हमारे देश के  प्रधानमंत्री विश्व स्तर पर इस मुद्दे के लिए लड़ रहे है, तो देश की सम्पूर्ण जनता एवं विपक्ष को भी एकजुट होकर उनके साथ खड़े होने की ज़रूरत है, न कि अपने निजी स्वार्थ में लगे रहने की, क्योंकि देश पर न्यौछावर होने वाले शहीद आपके न सही, लेकिन किसी के तो बेटे, भाई और पिता है। शहीद संदीप जाधव के घर, उनके बेटे के पहले जन्मदिन के अवसर पर जब उनकी जगह उनका पार्थिव शरीर पहुंचा होगा, तो उस परिवार पर क्या बीती होगी, इसका अंदाज़ा भी हम नहीं लगा सकते। वो बच्चा, जिसने अपने पहले जन्मदिन पर अपने पिता को मुखाग्नि दी। उस शहीद के स्थान पर अपने बेटे को रखकर देखिये, शायद आपकी अंतर-आत्मा जाग जाये, आपको सही और गलत में फर्क करने की समझ आये और आपको अपने कर्तव्य का बोध हो।

सुझाव के रूप में भारतीय मामलों में पाकिस्तान की दखल को समाप्त करना होगा क्योंकि पाकिस्तान आतंकवादियों को हमेशा से भारी प्रोत्साहन देता आ रहा है। अत: आवश्यक है कि पाकिस्तान के साथ लगने वाली समस्त भारतीय सीमा को ‘सील’ कर दिया जाये, पाकिस्तान जा रहे अनाज और अन्य सामग्रियों के जाने पर रोक लगा दी जाये।  साथ ही साथ आतंकवादियों में एक वर्ग ऐसा भी है जो परिस्थितिवश आतंकवाद से जुड गया है, इन भूले-भटके नवयुवकों को सद्‌भावना एवं सहनशीलता के साथ राह पर लाना होगा। कानून के आधार पर कड़ी व्यवस्था होनी चाहिये। विकास के क्षेत्र में क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करना होगा। विकास की दृष्टि से पिछड़े हुये क्षेत्रों के विकास की ओर विशेष ध्यान देना होगा, नैतिक शिक्षा की व्यवस्था कर सामाजिक जीवन में नैतिक मूल्यों को प्रतिष्ठित करना होगा, भ्रष्टाचार को नियन्त्रित करना होगा एवं दुर्भावना को जड़ से मिटाना होगा, तभी आतंकवाद का अंत संभव है।


भड़ास अभी बाकी है...