इसलिए है युवा बेरोजगार !

भारत जैसे बड़े और विकासशील देश में बेरोजगारी एक विकट समस्या बन गयी है। इसके अलावा बेरोजगारी शिक्षित युवाओं के लिए एक अभिशाप बन चुकी है। आज हमारे देश के ज्यादात्तर युवा शिक्षित तो हैं लेकिन फिर भी उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है। बेरोजगारी केवल देश के आर्थिक विकास में प्रमुख बाधा ही नहीं बल्कि व्यक्तिगत रुप से पूरे समाज पर भी एक साथ अनेक प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डालती है। जब किसी देश की जनसंख्या का अनुपात वहाँ मौजूद रोजगारों के अवसरों से कम हो तो उस जगह बेरोजगारी की समस्या हो जाती है। बेरोजगारी की बढ़ती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है। हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं। जिन्हें आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से शेयर कर रहा है।

शिक्षा का आभाव

बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण एक बड़ी संख्या का निराक्षर होना है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 75.06 है। जो 1947 में मात्र 18% थी। भारत की साक्षरता दर विश्व की साक्षरता दर 84% से कम है। ये आकड़े यही तक सीमित नहीं हैं बल्कि महिलाओं को लेकर इन आकड़ों की स्थित कुछ अलग है। भारत में शिक्षा के मामले में पुरुष और महिलाओं में काफी अंतर है। जहाँ पुरुषों की साक्षरता दर 82.14प्रतिशत है वहीं महिलाओं में इसका प्रतिशत केवल 65.46 है। दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली भी बेरोज़गारी को बढ़ाने में काफी हद तक जिम्मेदार है, जिसके अंतर्गत फर्जी डिग्री हासिल किये हुए लोगो से लेकर डोनेशन देकर नौकरी हासिल करने से कुछ समय पश्चात उसका सच सामने आ जाने के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है

शिक्षित बेरोजगारी

 

बेरोजगारी आधुनिक समाज की मुख्य समस्या बन गई है। इसने समाज को बुरी तरह जकड़ रखा है, लेकिन शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक बड़ी समस्या और गंभीर मुद्दा बन गई है। जो पढ़े-लिखे बेरोजगारों में भ्रम और भटकाव की स्थिति पैदा करती है। जिसके कारण अधिकांश युवा तनाव का शिकार हो जाते हैं। शिक्षित बेरोजगारी की समस्या सबसे अधिक कष्टप्रद है। प्रत्येक वर्ष विश्वविद्यालयों से शिक्षित युवाओं की बड़ी भीड़ रोजगार के क्षेत्र में कदम रखती है, लेकिन उन सभी को जीविका उपलब्ध कराना एक बड़ी समस्या है। उनमें से कुछ प्रतिशत लोग ही रोजगार पाने में सफल हो पाते हैं, उसके बाद भी कितने मेधावियों को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुरूप जॉब नहीं मिल पाती हैं।

बेरोजगारी के दुष्परिणाम

बेरोजगारी के कई दुष्परिणाम होते हैं। बेरोजगारी के कारण निर्धनता में वृद्धि होती है तथा भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। बेरोजगारी के कारण मानसिक अशांति की स्थिति में लोगों की चोरी, डकैती, हिंसा, अपराध की और प्रभावित होने की भी पूरी संभावना रहती है। अपराध एवं हिंसा में हो रही वृद्धि का सबसे बड़ा कारण बेरोज़गारी ही है। युवाओं की बेरोजगारी का लाभ उठाकर एक ओर जहां स्वार्थी राजनेता इनका दुरुपयोग करते हैं तो वहीं दूसरी और धनी वर्ग भी इनका शोषण करने में चूकते नहीं हैं। मानव तस्करी, आतंकवाद, साइबर क्राइम आदि जैसे जघन्य अपराधों के लिए भी काफी हद तक बेरोजगारी जिम्मेदार है।

बेरोजगारी की समस्या का निवारण

जनमानस भड़ास बेरोजगारी से जुड़े सवालों के जवाब में कहना चाहता है कि हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान तभी संभव हो सकता है, जब शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार करते हुए व्यावसायिक एवं व्यवहारिक शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिये। कुटीर उधोगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये तथा नए उद्योगों को स्थापित कर औद्योगिकरण द्वारा रोज़गार के अवसरों को बढ़ाया दिया जाना चाहिये। इसके अलावा जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करके और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं और रोज़गारों की जानकारी देकर काफी हद तक बेरोज़गारी की समस्या का समाधान हो सकता है, बेरोजगारी देश के आर्थिक विकास में प्रमुख बाधा है। आज युवा कम समय और मेहनत के कामयाब होना चाहते हैजिसके कारण उनका काम करने में मन नहीं लगता है, जो बेरोजगारी को बढ़ावा दे रहा है बेरोजगारी के कारण ही समाज में अपराध एवं हिंसा में वृद्धि हो रही है और सबसे बुरी बात तो यह है कि बेरोज़गार व्यक्ति को अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत रहते हुए अपने घर ही नहीं बाहर के लोगों द्वारा भी मानसिक रुप से प्रताड़ित होना पड़ता है। युवाओं को स्वावलंबी बनाया जाये और मेधावियों को उनकी योग्यता के आधार पर जॉब दी जाये न कि सिर्फ डिग्री देखकर। 

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