ये रोमांच है या बढ़ते अपराध की दस्तक...

पहले सिनेमा या टीवी को लेकर खबरें आती थीं कि किसी किरदार से प्रभावित होकर किसी बच्चे ने सुपरहीरो की तरह स्टंट करने की कोशिश में जान गंवा दी या फिर किसी नौजवान ने कहानी के असर में अपराध कर डाला। यह बात अब सिर्फ सिनेमा या टीवी तक सीमित नहीं रही है। आज मनोरंजन जगत के तमाम उत्पाद इस इन्टरनेट की दुनिया में व्यक्ति की हथेली में सिमट आये हैं। आज का समय मनोरंजन के माध्यमों के असर के बारे में नये सिरे से सोचने का है। यह तथ्य सिद्ध हो चुका है कि इंटरनेट की दुनिया, खासकर कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर चलने वाले गेम्स ने आजकल बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत को बरकरार रखना मुश्किल बना दिया है। कुछ समय पहले हमें समाचार माध्यमों से पता चला था कि देश के विभिन्न प्रदेशों में किशोरों पर ब्लू व्हेल गेम इस हद तक आदी हो गया कि उन्होंने इस खेल में दी गयी चुनौती को स्वीकार करते हुए एक ऊंची मंजिल से छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली। इस प्रकार के इन्टरनेट गेम्स के लिए किशोरों की हद का आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते है। आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि अनेक देशों में इस प्रकार के गेम्स के चक्कर में किशोरों की मौत की खबरें आयी। मनोचिकित्सक डॉ. कफील का कहना है कि वर्तमान समय में बच्चे ही नहीं बल्कि युवाओं में भी ऑनलाइन गेम्स या सर्फिंग की लत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थों की आदत की तरह हो गयी है।

अपनों से बढ़ती दूरी

पहले की तुलना में आज मनोरंजन के माध्यम कहीं ज्यादा आकर्षक एवं रोचक हो गये है। स्मार्टफोन की मौजूदगी के कारण हम सभी अब पहले की तरह किसी समूह में बैठ कर सिनेमा या टेलीविज़न नहीं देखते, स्मार्टफोन के कारण विभिन्न उत्पादों को निजी एकांत में देखने की हमें आदत सी हो गयी है। आश्चर्य की बात ये है कि इन्टरनेट का प्रयोग सार्वजनिक होते हुए भी हम इसे स्मार्टफोन के माध्यम से आज निजी/ एकांत में ही अधिकतर करते है।

अपराध और समय की बर्बादी

आज बच्चे और किशोरों में इंटरनेट और ऑनलाइन गेम्स की लत आज उन्हें समाज और परिवार से दूर करने के साथ-साथ और मानसिकता पर नकारात्मक असर डालकर अपराध को बढ़ावा दे रही है। आधुनिकता के इस युग में यह समस्या हमारे सम्पूर्ण देश में अपने पैर फैला चुकी है, जो आज चिंता का विषय बन चुकी है। इसकी रोकथाम के लिए परिवार, स्कूल और सरकार की तरफ से ही प्रयास किया जाना ही हल नहीं है बल्कि हम सभी को भी इन्टरनेट के प्रयोग की सीमा तय करने के साथ ही साथ हमें इन्टरनेट का उपयोग वरदान के रूप में करना चाहिये। आज ऑनलाइन गेम्स का चस्का बच्चों के साथ-साथ युवाओं को भी इस कदर लग चुका है कि वे अपने ज़रूरी कामों, यहाँ तक की अपनी पढ़ाई के लिए निकाले जाने वालें समय को भी गेम्स को खेलने में बर्बाद कर दे रहे हैं। युवा किसी भी देश का भविष्य है, यदि हमारे देश के युवा अपना कीमती समय इस प्रकार ऑनलाइन गेम्स को खेल कर ही बर्बाद कर लेंगे तो वह अपनी तरक्की कैसे करेंगे? हो सकता है कि उन्हें इर प्रकार के गेम्स खेलने में रोमांच मिले और उनका समय व्यतीत हो जाये, पर ऐसा निरंतर करते रहने से वह अपनी तरक्की की मशाल को अपने ही हाथों से ही बुझा लेंगे।


आजकल बच्चों और युवाओं में घंटो बैठकर ऑनलाइन गेम्स खेलना आम बात हो गयी है। हमें एंटरटेनमेंट या रोमांच के लिए गेम्स या अन्य माध्यमों को खुद को तनाव से दूर रखने के लिए करना चाहिये न कि इसके आदी होकर अपने समय को बर्बाद करने के लिए। आज जनमानस भड़ास अपने ऐसे व्यूवर्स से अपील कर रहा है जो अपना अधिकतम समय गेम्स को खेलने और अनावश्यक नेट सर्फिंग में बर्बाद कर रहें है, कि वह अपने कीमती वक़्त को इस तरह बर्बाद न करें, बल्कि अपने समय का सदुपयोग करें, जिससे आपका भविष्य अन्धकार ने न जायें, क्योकि यह आजकल छोटे बच्चे और युवाओं में अपराध को बढ़ाने मानसिक प्रवत्ति को प्रतिकूल बनाने में माध्यम का काम कर रहा हैं।

अब फैसला आपका है

भड़ास अभी बाकी है...