पर्यावरण, धरती और हम...

 

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है- परि और आवरण। अर्थात हमारे चारों तरफ का वातावरण है। पर्यावरण हम सभी के जीवन का एक अति महत्वपूर्ण भाग है |हमारे आसपास मौजूद पानी, हवा, पेड़-पौधे, जीव–जंतु आदि मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। इसमें जैविक और अजैविक दोनों घटक शामिल होते हैं। कहा गया है कि हम सभी जीवन तभी बेहतर होगा, जब हमारे आसपास का पर्यावरण बेहतर होगा। यदि ऐसा नहीं होगा तो यह कहीं न कहीं यह हमारे जीवन शैली और जीवन दशा को प्रभावित करेगा ही करेगा अर्थात हमाँरा जीवन सिर्फ हमारे ऊपर नहीं, बल्कि हम जिस वातावरण में रह रहे हैं उस |पर भी निर्भर करता है, क्योकि हमारा वायुमंडल हमारे लिये प्रकृति का वरदान है| यह हमारा पालनकर्ता और जीवन का आधार है| हमें स्वस्थ और सुखमय रखने का रक्षा कवच है, आप यह सोचकर देखिये कि यदि आपका यह रक्षा कवच ही यदि दूषित हो जाए तो यह अभिशाप बनकर हम सभी का संहारक बन जाता है। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा करना हम सभी का दायित्व हैं।

 

ऊर्जा की खपत में निरंतर वृद्धि

 

आज हम सभी के लिए उर्जा की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है। उर्जा की आपूर्ति हेतु प्राकृतिक संसाधनों का जमकर दोहन किया जा रहा है। जीवाश्म इंधन जिसमें कोयला, पेट्रोल और डीजल प्रमुख हैं, ने आज हमारे प्रत्येक गतिविधि पर अपना आधिपत्य बना रखा है। आज हम सभी इसके बिना विकास की कल्पना बहुत कठिन है। जहाँ एक और मानव निरंतर वैकल्पिक इंधन की प्राप्ति के लिए नये-नये तरीके ढूंढ रहा है, वहीँ दूसरी ओर मानवता इसके प्रयोगों के दौरान निकले हानिकारक तत्वों से त्रस्त होती जा रही है। अगर ये कहा जाये पेट्रोल, डीजल या गैस पर निर्भर हो चुके है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हमारे पास दो तरह की उर्जा के विकल्प हैं- नवीकरणीय उर्जा और अनवीकरणीय उर्जा स्त्रोत। जीवाश्म ईंधन जैसे-कोयला, पेट्रोल, डीजल, आदि अनवीकरणीय उर्जा स्रोत हैं यानी यदि ये एक बार समाप्त हो गए तो इनको दोबारा बनने में लाखों वर्ष लग जायेंगे नवीकरणीय उर्जा स्रोत जो हमें लगातार मिलते रहते हैं, जैसे पवनचक्की से प्राप्त उर्जा  या बिजली आदि। दुनिया भर में सरकारों का प्रयास है कि अधिक से अधिक लोगों तक बिजली पहुंचाई जाये। उद्योग धंधे, परिवहन, घरेलू कार्य हेतु सब जगह बिजली की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है। आज हम सभी के घर में दैनिक प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरण बिजली के बिना चल नहीं सकते है। ताप विधुत परियोजना के लिए कोयले की सतत आपूर्ति बहुत आवश्यक है। अतः जीवाश्म ईंधन का प्रयोग करना हमारी जरुरत और मजबूरी दोनों है|

 

पौधारोपण की ज़रुरत

हम सभी की मिलकर भूमि को पुनः उर्वर बनाना होगा, इसके लिए वन-उपवनों का विकास करना होगा तथा वनों के विनाश को रोकना होगा। असंख्य पेड़-पौधों लगाकर उनको पल्लवित-पुष्पित करना हमारा दायित्व होगा। राजमार्गों तथा अत्यधिक व्यस्त मार्गों के बीच या दोनों ओर जैसे भी संभव हो, वृक्षों की पंक्तियाँ सुशोभित करवाना भी हम अपना धर्म समझें| जब भी एक पेड़ काटें उसके स्थान पर पहले एक पेड़ जरुर लगा दें।

 

पर्यावरण और प्रदुषण

 

 

आज बढ़ता प्रदुषण स्टार भी कहीं न कहीं पर्यावरण को दूषित करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है। प्रदूषण का कारण है- पेड़/पौधे की हो रही निरंतर कटाई। कटाई की मुख्य वजह है-जनसंख्या की वृद्धि के साथ निवास के लिए भवनों का निर्माण और औद्दोगिक संस्थानों की स्थापना। इसलिए वायु प्रदूष्ण रोकने के लिए जनसंख्या वृद्धि को रोकना हमारा कर्तव्य होना चाहिये।हमें दो से अधिक बच्चे उत्पन्न करना, अपराध मानना है। साथ ही साथ औधोगिक संस्थानों को शहर से बाहर, आबादी से दूर स्थानान्तरित करवाना है। न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालयों के निर्णयों के मानने के लिए बाध्य करना है। वाहनों के पाइपों से जो गैस सरेआम जीवन में ज़हर घोल रही हैं, उनको रोकना है । हम अपने वाहनों को ’प्रदूषण -मुक्त’ प्रमाण-पत्र मिलने पर ही चलें। धूम्रपान जो हमारे शौक की विवशता है, उसे यथासम्भव कम करें।

जल ही जीवन है

 

शुद्ध जल पीने को मिले, यह हमारा अधिकार है, लेकिन जल को प्रदूषण से बचना भी तो हमारा दायित्व है। शहर के गन्दे जल का पास की नदी में प्रवाहित करने के स्थान पर आबादी से दूर उसके विसर्जन की व्यवस्था करवानी है। औधोगिक रासायनिक द्रव को जल में प्रवाहित करने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगवाना है, और इसका पुरजोर विरोध भी करना है। 

 

 

 

हम अपने रोजमर्रा की चीजों को पाने में या यूँ कहें कि अपने लालच में अपने ही पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं। शुद्ध वायु, शुद्ध जल तथा शक्तिवर्धक भोजन हमारे जीवन जीने के लिए अनिवार्य हैं. इनकी प्राप्ति के लिए प्रयत्न करना हमारा दायित्व है. यदि हमने अपने दायित्व से मुख मोड़ा तो सृष्टि के विनाश के अपराधी हम स्वयं ही होंगे। इसलिए हमें अपने पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी बनाना पड़ेगा। आज विश्व पर्यावरण को लेकर चिंतित है. प्रदूषक तत्वों की मात्रा निरंतर बढ़ती जा रही है। यह सम्पूर्ण मानवता के लिये खतरनाक है।आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से विश्व पर्यवान दिवस के अवसर पर यह अपील करता कि हम सभी को मिलकर पर्यवान को दूषित होने से बचाने का मोर्चा संभालना है और इसे अपनी जिम्मेवारी और अपनी आने वाली पीढ़ी के भविष्य की सुरक्षा मानते हुए इस दिशा में ठोस पहल करनी है। इसके साथ ही साथ हम सभी को जल के अपव्यय को रोकना है तथा पेय जल को फिल्टर करके या उबाल कर प्रयोग में लाना है और अधिक से अधित वृक्षारोपण भी करना है।

भड़ास अभी बाकी है...