नारी और सशक्तिकरण...

जीवन के सभी क्षेत्रों में आज महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है और जिससे महिला सशक्तिकरण एक बहुचर्चित मुद्दा बन चुका है। घर के अंदर या बाहर सभी जगहों पर महिलाएं अपना एक स्वतंत्र दृष्टिकोण रखती हैं। वे अपनी शिक्षा, व्यवसाय या जीवन शैली से संबंधित सभी निर्णय स्वयं लेते हुए अपने जीवन पर तेजी से अपना नियंत्रण कायम करने में कामयाब हो रही हैं। कामकाजी महिलाओं की संख्या में लगातार वृद्धि होने की वजह से महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त हो गयी है और इस वजह से उन्हें अपने जीवन का नेतृत्व खुद करने एवं अपनी पहचान बनाने का अत्मविश्वास भी प्राप्त हुआ है। वे सफलतापूर्वक विविध व्यवसायों को अपनाकर यह साबित करने का प्रयास कर रही हैं कि वे किसी भी मामले में पुरूषों से पीछे नहीं हैं, लेकिन ऐसा करते हुए भी महिलायें अपने व्यवसाय के साथ-साथ अच्छी तरह से अपने घर एवं परिवार के लिए प्रतिबद्धता के बीच संतुलन कायम रखने पर भी ध्यान देती हैं। आज भी नारी आधुनिक होने के साथ-साथ सद्दभाव के साथ आसानी से माँ, बेटी, बहन, पत्नी एवं एक सक्रिय पेशेवर जैसी कई भूमिकायें एक साथ निभाने में कामयाब हो रही हैं। काम करने के समान अवसरों के साथ वे टीम वर्क की भावना के साथ तय समय सीमा के भीतर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपने-अपने व्यवसायों में पुरुष समकक्षों को हर संभव सहयोग दे रही हैं। महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य है महिलाओं को उनके जीवन एवं कार्य क्षेत्र के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार होना एवं उन्हें व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं कानूनी सभी क्षेत्रों में समान अधिकार प्रदान करना। महिला सशक्तिकरण आजकल एक बहुचर्चित मुद्दा है और महिलाएं अपनी पूरी क्षमता का एहसास करने की दिशा में अग्रसर हैं। वे तेजी से अपने जीवन और व्यवसाय की दिशा तय करने करने के मामले में सशक्त हो रही हैं। आज महिला सशक्तिकरण सिर्फ शहरी कामकाजी महिलाओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि दूरदराज़ के कस्बों एवं गांवों में भी महिलाएं अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं। वे पढ़ी-लिखी हों या ना हों, अब किसी भी मायने में अपने पुरुष समकक्षों से पीछे नहीं रहना चाहती। अपनी सामजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना वे अपने सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं और साथ ही अपनी उपस्थिति भी महसूस करा रही हैं। हालांकि यह भी सच है कि ज्यादातर महिलाओं को अब समाज में बड़े भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता, लेकिन दुर्भाग्यवश अभी भी उनमें से कई को विभिन्न प्रकार के भावनात्मक, शारीरिक, मानसिक और उत्पीडन से सामना करना पड़ता है और वे अक्सर दुष्कर्म, शोषण और अन्य प्रकार की शारीरिक और बौद्धिक हिंसा का शिकार हो जाती हैं।

क्यों है ये ज़रूरी

सही मायनों में महिला सशक्तिकरण तभी हो सकता है, जब हम समाज में महिलाओं के प्रति सोच में परिवर्तन लायेंगे और उनके साथ उचित सम्मान, गरिमा, निष्पक्षता और समानता का व्यहार करेंगे। देश के ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी समनांतर और मध्ययुगीन दृष्टिकोण का वर्चस्व है और वहां महिलाओं को उनकी शिक्षा, विवाह, पहनावे, व्यवसाय एवं सामाजिक संबंधों इत्यादि में समानता का दर्जा नही दिया जाता हैं। हमें एकजुट होकर जल्द से जल्द महिलाओं के सशक्तिकरण लिये प्रयास करने है। आज जनमानस भड़ास आपको बता रहा है आखिर क्यों महिलाओं में  सशक्तिकरण ज़रूरी है। ये तथ्य है-

  • बिना महिला सशक्तिकरण के हम अन्याय, स्त्री-पुरुष भेद, जाति भेद एवं अन्य सामजिक असमानताओं को दूर नहीं कर सकते।
  • अगर महिलाएं सशक्त नहीं हैं तो उन्हें जीवन में सुरक्षा और संरक्षण का आनंद प्राप्त नहीं हो सकता।
  • सशक्तिकरणउन्हें कार्य करने के लिए सुरक्षित वातावरण प्राप्त होता है।
  • महिलाओं के शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ सशक्तिकरण एक शक्तिशाली हथियार के रूप में कार्य करता है।
  • सशक्तिकरणमहिलाओं के लिए पर्याप्त कानूनी संरक्षण प्रदान करने का एक बड़ा माध्यम है, जिससे महिलाओं को उन पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध न्याय मिल सके।
  • अगर सामाजिक और आर्थिक रूप से महिलाएं सशक्त नहीं हो पायी तो वे अपनी खुद की पहचान का विकास नहीं कर पायेगी।
  • अगर महिलाओं को रोजगार प्रदान नहीं किया गया तो, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि महिलाएं दुनिया की आबादी का एक विशाल हिस्सा हैं।
  • महिलाएं बेहद रचनात्मक और बुद्धिमान होती हैं और इस वजह से सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में उनका योगदान प्राप्त करना जरूरी है।
  • एक न्यायसंगत एवं प्रगतिशील समाज के लिए महिलाओं को कार्य के समान अवसर प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।

 

 

आज महिला सशक्तिकरण द्वारा सभी महिलाओं के लिए समाज और दुनिया में रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने में मदद मिलती है और साथ ही यह समावेशी भागीदारी के रास्ते पर आगे चलने में सहायता मिलती है। जिससे ऐसे परिवार एवं संगठन की खुशियों में वृद्धि होती है जहां महिलाओं का प्रभाव होता है।आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से अपील कर रहा है कि हमें महिलाओं को विकास के समान अवसर प्रदान करने चाहिये, जिससे वे पुरुष समकक्षों के साथ-साथ व्यापक रूप से समाज के विकास के लिए जरूरी सभी कारकों में समान रूप से अपना योगदान दे सकें।


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