जड़ हो रहा जनमानस “भाग-2”

हम लोगों का भी कोई जोड़ नहीं क्योंकि हम 5-10 दिन तो ख़ूब शोर/धरना प्रदर्शन करते है और बाद मे चुप होकर शांति से बैठ जाते है ,जैसे कुछ हुआ हीं न हो। कोई भी सवाल नहीं और कोई जिज्ञासा भी नहीं कि उस घटना के न्याय में क्या हुआ या अपराधी का क्या हश्र हुआ? हमनें अपराधी को सज़ा दिलवाने का कोई प्रयास नहीं किया। वैसे हम लोगों की सहनशक्ति का तो कोई जवाब ही नहीं है, हम चुप रहेंगे, कसम खाकर बैठे है कि बोलेंगे नहीं क्योंकि यह हमारे घर-परिवार का  मसला नहीं हैं, ये तो समाज का है या किसी और का है, वो ही निपटेगा। हमे क्या लेना? लेकिन ठीक इसी के विपरीत जब बात हमारे घर-परिवार पर आ जायें, तब हम लोग क्या करेंगे? ज़रा सोचियें....

 

 

 

तब हम सरकार को,समाज को उल्टा-सीधा बोलेंगे,शासन व्यवस्था को कोसेंगे और पूरी कोशिश करेंगे कि हमे न्याय मिले और किसी से सिफारिश लगायेंगे,हाथ जोड़ के,प्यार से,पैसे से,दवाब से अगर इनसे भी नहीं हुआ तो हम उसके पैरों में गिर जायेंगे मतलब हर तरह से चाहेंगे कि मसला काबू मे आ जायें अर्थात जी तोड़ कोशिश और प्रयत्न करेंगे।


 


आज जनमानस भड़ास आपकी कमियाँ नहीं निकाल रहा हैं, बल्कि आपको आत्म चिंतन करने के लिये निवेदन कर रहा है, हमारे देश/प्रदेश/शहर के विकास की डोर हम लोगों के ही हाथ में हैं, इसीलिये हम सभी को एकजुट होना होगा है। हम सभी को जनचेतना का हिस्सा बनकर किसी पर भी हो रहे अपराध की सूचना प्रशासन को देना है और अपराधी को सज़ा मिलने तक शांत नहीं रहना हैं। अगर समाज मे किसी के साथ भी हिंसा हो रही है तो ये दस्तक हमारे घर पर भी हो सकती है, बस यही भावना मन में रखकर हमें अपनी आवाज़ को हुंकार में बदलना है।



जब तक प्रजा हैं-तभी तक राजा है” बिना प्रजा के राजा भी कभी राजा होता है और यह प्रजातंत्र है यहाँ प्रजा ही राजा है। इसीलिये हम सभी को आज से ही अपने राजाधिकार का प्रयोग करना है और हमारे देश/प्रदेश/शहर से रिश्वत, गरीबी, अशिक्षा, भुखमरी, लाचारी, मजबूरी, कमजोरी, अनैतिक राज को जड़ से मिटाना है।


भड़ास अभी बाकी है...