जड़ हो रहा जनमानस “भाग-4”

शहर को साफ सुथरा बनाना सम्बंधित विभाग की ही जिम्मेदारी नहीं, हमारी भी है। यह शहर/प्रदेश/देश हमारा है और हमारी भी कुछ जिम्मेदारी है। अगर हम अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ेंगे तो शहर की सूरत बदलेगी तो लेकिन विपरीत दिशा में| मनचाही जगह कूड़ा फेंकना, पार्कों में अतिक्रमण, यहां-वहां पान, पान मसाला-गुटखे की पीक मार देना, यहाँ तक कि चलते हुए वाहनों से भी हम सड़क पर हम पीक मार देते है, ये हमारा मौलिक अधिकार नहीं| क्या हम ऐसे ही गन्दगी अपने घर के कमरों और अपने ऑफिस केबिन में भी करते है? यदि हम शहर में नजर दौड़ाएं तो लगता है कि नगर निगम के कर्मचारियों की उदासीनता के अलावा  हम सभी का (अपने घर और ऑफिस को छोड़कर) अन्य स्थानों के प्रति जागरूकता का अभाव ही गंदगी की बड़ी वजह है।


जिम्मेदारी का अभाव

 

सड़क पर  फैली हुयी गन्दगी 

हम सभी आमतौर पर मोहल्लों की सफाई के लिए सम्बंधित विभाग के ही सहारे बैठ जाते हैं। इसके अलावा जलभराव और कूड़ा फेंकने जैसे कामों में अपनी सहूलियत देखते हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि हम कई बार मोहल्ले के किसी प्लॉट में कूड़ा फेंकने लगते हैं, या अपने घर की जल निकासी ऐसी जगह कर देते हैं, जहां अन्य लोगों को दिक्कत होती है और तो और कई बार हम पार्कों के लिए उपलब्ध करायी गयी जमीन भी कूड़ेदान की तरह इस्तेमाल करने लगते हैं। आज शहर में अधिकतर जगह देखने को मिलती है, जहाँ जगह-जगह पर कूड़ा फैला हुआ है। गरीब बच्चों को कूड़े में से काम की चीज बीनते हुए देखा जा सकता है। जब हम अपने गली-मोहल्लों  को स्वच्छ नहीं रख सकते है तो शहर क्या ख़ाक रखेंगे? इसका जिम्मेदार कौन है? इसका कारण है हम लोगों में अपनी जिम्मेदारी को न समझने का अभाव। वैसे तो नगर की सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम की है। नगर निगम सफाई कराता है लेकिन इसे उसी स्वरूप में स्वच्छ रखना हम सभी का भी तो दायित्व है। पार्क हमारे टहलने और फुर्सत के पल बिताने के लिए है, अगर हम लोग पार्क में ही कूड़ा फेंकने लगे तो क्या होगा? सफाई हर गरीब और अमीर के लिये फायदे का सौदा है। गन्दगी कहीं भी हो, सबको बीमार करती है। हम सभी में एक बुराई है कि हमने सफाई का काम एक वर्ण विशेष पर छोड़ दिया। बाकी के तीन वर्ण गन्दगी करने के लिये स्वतंत्र जीवन जीते रहे। नतीजा यह कि सफाई करना हम अपनी तौहीन मानते हैं। 


 

 

सड़क पर पान-मसाला थूकते लोग 

 

आज जनमानस भड़ास गंदगी के मुख्य कारणों में से एक जिम्मेदारी के अभाव को मानता है। जिम्मेदारी के चलते ही विश्व के अच्छे शहर इतने साफ सुथरे हैं। अब सवाल ये उठता है की क्यों हम अपना घर तो हम साफ कर लेते हैं, पर दरवाजे के सामने का कूड़ा साफ करने में हमारी नाक कटती है। नतीजतन हमारे बच्चे जिस परिवेश में खेलते हैं, वह उनकी सेहत के लिये अच्छा नहीं होता। क्यों हम जब अपने घर, दफ्तर या दुकान पर आते-जाते हैं, तो गन्दगी से बच-बचकर चलना पसंद करते है, जबकि अपने घर-ऑफिस या दूकान के पास हम ही गन्दगी फैला रहे है? सड़क पर गाड़ी रोककर पान, पानमसाला थूक देते है या अन्य कोई चीज़ फेक देते है? आखिर क्यों हमें अपने कर्तव्य का एहसास नहीं होता रहा है? हम खुद और अपने बच्चों को अपने घर/ऑफिस/मॉल/स्कूल में सफाई बनाये रखने की प्रेरणा देते है और अगर स्कूल या मॉल में हम या हमारा बच्चा धोखे से भी कूड़ा फेक देता है तो हम तुरंत उसे उठा कर डस्टबिन में डालते है जबकि ठीक इसका उल्टा हम पार्क, गली-महल्लों के साथ-साथ रोड पर भी करते है। आखिर हमारे इस दोतरफा बर्ताव की वजह क्या है??...सोचियेगा ज़रूर|

भड़ास अभी बाकी है...