जड़ हो रहा जनमानस “भाग-5”

ट्रैफिक जाम की समस्या आज हम सभी के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। हम अपनी सहूलियत और समय की बचत करने के लिए अपने साधन से जाना पसंद करते है लेकिन आज हम और ज्यादा समय ट्रैफिक जाम में बिताते है। हमें प्रतिदिन अपने गन्तव्य पर पहुँचने के लिए तयशुदा समय से कुछ घंटे पहले घर से निकलना पड़ता है, जिससे जाम में फंसने के बावजूद भी हम समय से गन्तव्य पर पहुँच सके। कुछ समय पहले तक कभी अगर हम जाम में फंसते थे तो हम उस पर अपना गुस्सा व्यक्त करते थे, इस समस्या पर बातचीत करते थे, लेकिन आज ट्रैफिक जाम हम लोगों के रोजमर्रा में शामिल हो गया है और हम लोग इस समस्या से समझौता करना भी सीख गये है। तभी तो हम लोग घंटों जाम में फंसने के बाद भी इस समस्या पर बात तक नहीं करते है।आज ट्रैफिक जाम की सबसे बड़ी मुख्य वजह हमारे चारपहिया और दोपहिया वाहनों की संख्या में इजाफ़ा है। हर साल वाहनों की संख्या में दोगुना इज़ाफा होता है। आज अमीर ही नहीं हर वर्ग का व्यक्ति(हम लोग) अपने लिए निजी वाहन रखता है, घर से थोड़ी दूर तक जाने के लिए भी हम सभी अपने वाहन का प्रयोग करते है, जबकि कम दूरी वाला काम हम सभी पैदल चल कर भी पूरा कर सकते है।इसके साथ ही साथ चारपहिया के वाहन में अक्सर यह देखने को मिलता है कि प्रत्येक चारपहिया वाहन में मात्र एक व्यक्ति ही सफर कर रहा होता है अगर एक मात्र व्यक्ति की संख्या के स्थान पर तीन या चार व्यक्ति का होना जरूरी कर दिया जाये, या फिर  एक मात्र व्यक्ति को पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करने के लिए बाध्य कर दिया जाये तो ट्रैफिक जाम की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

 

 


हम अपनी सहूलियत से अपने वाहनों को कहीं भी खड़ा कर देते है


 

पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जगह प्राइवेट ट्रांसपोर्ट को प्राथमिकता देना, शायद हमारी दिखावे की आदत का हिस्सा बन गया है। एक और बड़ी समस्या यह है कि हमारे शहर/प्रदेश/देश में जिनके पास कारें हैं वे अपनी कारों से घर के दरवाज़े के सामने ही उतरना चाहते हैं। हम दुकानदार भी यह चाहते हैं कि कार से ही दुकान के सामने उतरें। हमें दो कदम भी पैदल न चलना पड़े। हमारी इस मानसिकता ने सड़क के किनारे वाली जगह को पार्किंग बना दिया है जो हमें मुफ्त में मिल जाती है।  यहीं नहीं हम अपनी दुकान के आगे ही अपना चारपहिया वाहन खड़ा रखते है, कहीं पर भी ट्रैक्टर या ट्राली का खडा कर देते है ऐसे ही कारण ट्रैफिक की समस्या को और जटिल बना देते है।

 

 

हमारे वाहनों से अन्य लोगों को असुविधा भी होती है

 

“हमारी इस आदत या न समझी के कारण कितनी अव्यवस्था होती है या अन्य कितने लोगों को परेशानी होती है, यह हम नहीं जानते है या जानना नहीं चाहते है या अनदेखा कर देते है।”

 

भड़ास अभी बाकी है...