शक्ति भी असुरक्षित है आखिर क्यों?? भाग-2

 

  • भारत महिलाओं के लिये सबसे खतरनाक देश
  • पिछले पचास सालों में महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में 1255 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
  • 27 प्रतिशत महिलायें 15 साल तक की आयु में हिंसा का शिकार।

'बेटी है अनमोल' के नारे को अपनाने वाले देश में आज बेटियों/महिलाओं पर होने वाला अत्याचार झकझोरने लगा है। देवभूमि में देवी की तरह पूजी जाने वाली बेटियों/महिलाओं के प्रति बढ़ रही दुष्कर्म, छेड़छाड़ एवं अत्याचार की घटनाएं समाज के जिस चेहरे को दर्शा रही हैं उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं किया जा सकता है। इन घटनाओं का बढ़ना न केवल चिंताजनक हैं नहीं बल्कि शर्मनाक भी है। महिला सुरक्षा के तमाम दावों के बावजूद प्रदेश में दुष्कर्म, शारीरिक शोषण एवं छेड़छाड़ के मामलों में कोई कमी नहीं आ रही है। इससे लगने लगा है कि अपराधियों के मन में कानून का कोई डर नहीं रह गया है। देश/प्रदेश की सरकारों ने दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। कानून को कड़ा किया है, लेकिन अब भी कुछ अराजकतत्वों की आपराधिक सोच दूर नहीं हुई है। दुष्कर्म या छेड़छाड़ की घटनाएं हमारे समाज की बुराई ही नहीं बल्कि चिंता का विषय है ,जिसे महिलाओं के प्रति गलत सोच रखने वाले क्षीण मानसिकता वाले लोग अंजाम दे रहे हैं।


 

महिलाओं पर बढ़ते जा रहे हैं अपराध 

 

इक्कीसवीं सदी की सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था बनने के ख्वाब संजोये हम सभी हिंदुस्तानियों के लिये यह तमगा कतई नागवार गुजरेगा मगर भारत महिलाओं के लिये सबसे ज्यादा खतरनाक मुल्क है। थामस रूटर फांउडेशन की रिपोर्ट का यह मानना है। फांउडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बलात्कार, यौन उत्पीड़न, महिलाओं पर तेजाब फेंकने और दहेज हत्याओं के मामलों में चालीस प्रतिशत का इजाफा हुआ है। महिलाओं के लिये खतरनाक श्रेणी में आने वाले और भी देश है। खासकर अस्थिरता के दौर से गुजर रहे पश्चिमी एशिया और अफ्रीका के कई देशों से लेकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी महिलायें सुरक्षित नहीं हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से महिलाओं के प्रति अपराधों में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। खासकर बच्चियों के साथ यौन अपराधों के मामले भी काफी बढ़े हैं। यहां तक कि महिलाओं की तस्करी के मामले भी सामने आ रहे है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ो पर गौर करें तो पता चलता है कि पिछले पचास सालों में महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में 1255 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। जबकि केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के तमाम दावों के बावजूद हालात खराब ही हुए है। साल 2018 में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि 15 साल तक की आयु वाली हर तीसरी लड़की किसी न किसी रूप में घरेलू हिंसा का शिकार हुई है। इस सर्वेक्षण के मुताबिक 27 प्रतिशत महिलायें 15 साल तक की आयु में हिंसा का शिकार बनी हैं। इस तरह के मामले ग्रामीण क्षेत्रों में काफी आम हैं। आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमश: 29 एवं 23 प्रतिशत महिलाओं को यौन उत्पीड़न की स्थितियों का सामना करना पड़ा है।


भड़ास अभी बाकी है...