सिस्टम से लड़ती एक मां की कहानी

  • 15 साल की सरकारी नौकरी और तनख्वाह मिली 6613 रूपये।

15 साल की सरकारी नौकरी में कुल जमा 6613 रूपये बतौर तनख्वाह मिले तो इसे आप क्या कहेंगे। 71 साल की चिन्मयी मोइत्रा अगर मजदूरी करती तो इससे ज्यादा कमा लेती लेकिन भारत संचार निगम लिमिटेड की नौकरी ने उनकी जिंदगी के दिन लील लिये। उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने बीएसएनएल में बेलगाम अफसरशाही के खिलाफ आवाज उठायी और अपने डिमोशन के खिलाफ हाईकोर्ट चली गयी, लेकिन बेगैरत, बेहया अफसरशाही ने भी अपने बेलगाम चरित्र का प्रदर्शन करते हुए महिला के पक्ष में जारी होते रहे कोर्ट के आदेशों को भी ठेंगें पर रख दिया।

 

 

कानपुर के साकेत नगर में रहने वाली चिन्मयी मोइत्रा जून 1971 में डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकाम में टेलीफोन ऑपरेटर के पद पर नियुक्त हुई। उस समय बीएसएनएल को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम यानी डीओटी के नाम से जाना जाता था। अपनी मेहनत और लगन के चलते 1977 में वह स्टेनोग्राफर के पद पर पहुँच गयीं। चूँकि उनका काम अच्छा था इसलिये जनवरी 1987 में उन्हे डिप्टी जनरल मैनेजर प्लानिंग के कार्यालय में ज्वाइनिंग मिल गयी। गौरतलब है कि इस पद के लिये तब ग्रेड द्वितीय के कर्मचारी नियुक्त होते थे जबकि उनका पद ग्रेड तृतीय में आता था। इस तरह उनका प्रमोशन हो गया। लेकिन अगस्त 1993 में उनका एजीएमपी कार्यालय में ट्रांसफर कर दिया गया जिस पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कैट की शरण ली। कैट ने उनके पक्ष में आदेश पारित करते हुए उनके स्थानांतरण पर रोक लगा दी। लेकिन चिन्मयी से खुन्नस खाये अफसरों को यह नागवार गुजरा और उन्होने उनकी तनख्वाह पर रोक लगा दी। बाद में उन्हे चार्जशीट देकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गयी, मगर वेतन और भत्तों का भुगतान नहीं किया गया।

 

 

अपने पुत्रों के साथ चिन्मयी मोइत्रा जी

 

 

चिन्मयी के पास वापस कैट की शरण में जाने के अलावा कोई चारा नही बचा था और कैट ने दोबारा जून 2018में उनके पक्ष में आदेश दिया कि 1994से लेकर चिन्मयी के रिटायरमेंट के वर्ष 2008तक पूर्व भत्तों का 50प्रतिशत, एरियर, पेंशन और अन्य बकाये का भुगतान दो महीने के भीतर कर दिया जाए। लेकिन इस आदेश के खिलाफ विभाग हाईकोर्ट पहुँच गया मगर वहाँ दो सदस्यीय खंडपीठ नें कैट के आदेश को बरकरार रखते हुए विभाग की याचिका निरस्त कर दी। लेकिन बीएसएनएल के अफसरों की गैंडे जैसी खाल पर हाईकोर्ट की चाबुक का भी कोई असर नहीं हुआ। थक-हार कर वृद्ध चिन्मयी नें दोबारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसपर हाईकोर्ट ने सख्ती से पेश आते हुए बीएसएनएल को बकाया राशि, वेतन और भत्तों को मय ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश दिया। मगर...


 

भड़ास अभी बाकी है...