ये हादसे है या किसी लापरवाही का खामियाज़ा...

हमारे देश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में 79.8 प्रतिशत हादसे चालकों की लापरवाही के कारण होते हैं। जिनमें लापरवाह लोगों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या भी खतरनाक स्तर तक बढ़ रही है। वैसे एक प्रमुख वजह शराब एवं अन्य मादक पदार्थों का सेवन कर वाहन चलाना है। ‘कम्यूनिटी अगेन्स्ट ड्रंकन ड्राइव’ (कैड) द्वारा सितंबर से दिसंबर 2018 के बीच कराए गए ताजा सर्वे में यह बात सामने आई है कि दिल्ली-एनसीआर के लगभग 58.6 प्रतिशत ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं। राजमार्गों को तेज रफ्तार वाले वाहनों के अनुकूल बनाने पर जितना जोर दिया जाता है उतना जोर फौरन आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराने पर दिया जाता तो स्थित कुछ और होती।

इसका भयावह उदाहरण है यमुना एक्सप्रेस वे पर हुआ बस हादसा। जिसने सड़क सुरक्षा से लेकर परिवहन विभाग के यात्रियों की सुरक्षा को लेकर तमाम दावों की पोल खोल दी है। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश की परिवहन व्यवस्था किस हद तक दुर्घटनाग्रस्त है? आयें दिन हो रहे हादसों से सबक लेने की गुंजाइश क्यों बार-बार नजरअंदाज होती है? जांच में पता चला है कि ड्राइवर को झपकी आ गई थी जिससे यह दर्दनाक हादसा हुआ। अगर हम  आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश की राजधानी को देश की राजधानी से जोड़ने वाला यमुना एक्सप्रेस-वे ‘मौत का एक्सप्रेस-वे’ बनता जा रहा है। हर दिन प्रदेश के भीतर भयावह सूचनाओं का अंबार खड़ा हो रहा है, लेकिन बहस क्षणिक है। यमुना एक्सप्रेस-वे पर वर्ष 2019 के पहले छह महीने में अब तक 274 सड़क दुर्घटनाओं में 219  लोगों की मौत हो गई है।

 

हर साल बढ़ रहे सड़क दुर्घटना के आकड़ें

अगर हम हादसों के कारण की बात करें तो पहला नंबर आता है-यातायात नियमों की अनदेखी का। बाइक चालकों का हेलमेट न लगाना और तीन सवारी के साथ चलना आए दिन जानलेवा साबित हो रहा है। अक्सर हम लोग सुनते है कि दुर्घटना होने पर सिर में चोट लगने की वजह से कई लोगों की मौत हो गयी। इसके साथ ही कार चालकों का सीट बेल्ट न लगाना और रफ्तार का जुनून भी जानलेवा साबित हो रहा है। आए दिन बिना लाइसेंस वाले लोग भी वाहन लेकर सड़क पर निकल पड़ते हैं और हादसे को अंजाम दे देते हैं, जो किसी की जान ले लेता है और पूरे परिवार को गमगीन कर देता है। वाहन चलाते समय मोबाइल पर बातें करना भी नियमों का उल्लंघन ही हैं, लेकिन सड़क पर ऐसा करने वाले लोग आसानी से दिख जाते हैं।

दुर्घटना से देर भली, ‘आपकी यात्रा मंगलमय हो’, ‘सुरक्षित चलिए’, ‘यातायात नियमों का पालन करें’। जरा सोचिए! ये स्लोगन आपकी जान बचा सकते हैं। ये हैं भी आपके और आपके परिवार के लिए। ये स्लोगन उन नन्हे-मुन्नों के लिए हैं, जो पापा के घर आने के इंतजार में दरवाजे पर टकटकी लगाए रहते हैं। यह उनके लिए भी हैं जिनकी जिंदगी आपसे है, जिसकी खुशी आप से है। तो आइये हम सब यातायात नियमों का पालन करने का संकल्प लें। बगैर हेलमेट के बाइक न चलाएं, रेड लाइट का ध्यान रखें, अपने वाहन की रफ्तार पर नियंत्रण रखें और सबसे मुख्य बात कि बाइक पर तीन सवारी (ट्रिप्लिंग) न करें।

जिंदगी खूबसूरत है इसे और खूबसूरत बनायें।आज सड़क हादसों में मरने वालों की बढ़ती संख्या ने एक महामारी का रूप ले लिया है। इस बारे में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकडे दिल दहलाने वाले हैं। इन आकड़ों के मुताबिक पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं में औसतन हर घंटे 20 लोगों की म्रत्यु हो रही है।

 

"हर साल बढ़ते वाहनों के आंकड़ों के साथ-साथ दुर्घटनाओं के हालात भी हो जाते हैं, लेकिन इन्हें रोकने की तैयारी नहीं। खासतौर पर दोपहिया वाहनों पर युवा पीढ़ी की उन्मादी दौड़ को कौन संबोधित करेगा? बिना हेलमेट के प्रदेश भर में घूम रहे युवाओं की रफ़्तार को हादसा या उन्हें किसी हादसे का इंतजार करने वाला मानें...अब फैसला आपका है।"

 

भड़ास  अभी बाकी है...